शुक्रवार, 26 मार्च 2010

अल्ट्राटेक : चोरी और सीना जोरी

0 खिलाफ छापा तो नोटिस भिजवाई
यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे या चोरी और सीना जोरी की कहावत को ही चरितार्थ करता है वरना हिरमी स्थित अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी में व्याप्त अनियमितता की खबर पर अल्ट्राटेक प्रबंधक इस तरह नहीं बौखलता और नोटिस नहीं भेजता।
वैसे तो अल्ट्राटेक सीमेंट संयंत्र को लेकर पूरा हिरमी क्षेत्र व्यथित है और हमें समय-समय पर क्षेत्रिय जनप्रतिनिधियों सरपंच, जनपद सदस्य, आम लोगों के अलावा यहां कार्यरत कर्मचारियों ने लिखित में शिकायत की है कि किस तरह से अल्ट्राटेक की वजह से पूरे क्षेत्र में प्रदूषण व्याप्त है। आम लोगों का जीना दूभर करने वाले इस संयंत्र ने लोगों को नौकरी देने की शर्त पर उनकी जमीनें हड़प ली और नौकरी देने वाले जमीन मालिकों को सीधे काम कराने की बजाय ठेकेदारों के पास भेज दिया गया। यहीं नहीं नौकरी से निकालने की कहानी तो एक दम आम है और इसे लेकर लोगों में भारी रोष व्याप्त है लोग यहां आए दिन आंदोलन पर उतारू है और सरकार भी आम लोगों की बजाय प्रबंधन तंत्र पर यादा भरोसा करती है।
जिस संतराम वर्मा को नोटिस में अपराधिक कृत्य में संलग्न रहने की बात कही गई है उसके खिलाफ कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है जिसे लेकर संतराम वर्मा शीघ्र ही मानहानि का दावा ढोकने वाले है।
कंपनी ने प्रदूषण से ही इंकार किया है लेकिन हमें गांव वालों व जनप्रतिनिधियों ने लिखित में शिकायत की है कि संयंत्र के प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
जहां तक हमने अल्ट्राटेक की दादागिरी से सरकार की खामोशी की बात कही है तो यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि उद्योगपतियों की दादागिरी से आम आदमी त्रस्त है और सरकार में बैठे अधिकारी व मंत्री आम लोगों के दुखदर्द की बजाय उद्योगपतियों की सुनता है इसका अनेक उदाहरण है कि किस तरह से आज तक जमीन छीने जाने वाले लोग मुआवजा के लिए भटक रहे हैं।
अल्ट्राटेक के खिलाफ कई तरह की शिकायत है और यहां संयंत्र के विस्तार के नाम पर किस तरह से वृक्षों की बलि दी गई वह किसी से छिपा नहीं है। संयंत्र प्रबंधक की दादागिरी की चर्चा तो क्षेत्र में इस तरह से है कि लोगों का अब कानून से विश्वास ही उठने लगा है।
अल्ट्राटेक प्रबंधक की तरफ से नोटिस जारी कर मानहानि का दावा किया जा रहा है जबकि हमने हर खबरों पर आम लोगों की प्रतिक्रिया ली है और इसी प्रतिक्रिया या शिकायत के आधार पर आंखों देखी खबरें प्रकाशित की है।
बहरहाल प्रबंधक तंत्र ने जिस तरह से नोटिस भेजकर खबरों पर दबाव बनाने की कोशिश की है उससे बुलंद छत्तीसगढ़ के हौसले और बढ़े हैं और आम लोगों के हितों को लेकर खबरों का प्रकाशन होता रहेगा।

बेवजह छेड़छाड़ के जुर्म में फंसा दिया

यह पुलिसिया गुण्डागर्दी का नमूना नहीं तो और क्या है। पुलिस ने सुभाष नगर निवासी नरेन्द्र साहू को गिरफ्तार कर एक रात जेल में गुजारने मजबूर कर दिया। अब युवक अपने खिलाफ लगे छेड़छाड़ के आरोप से मुक्त होने न्याय मांग रहा है लेकिन सरकार के मुखिया ने भी आंखे फेर ली है।
इस संबंध में सुभाष नगर निवासी नेरन्द्र साहू ने बताया कि मैं बी.ए. प्रथम वर्ष का छात्र हूं और 3 मई 2007 को दुर्ग पुलिस ने उसे किसी सुषमा वर्मा नामक युवती से छेड़छाड़ के जुर्म में गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया। हालांकि दूसरे दिन उसकी जमानत हो गई और 19 जुलाई 2007 को प्रकरण नस्तीबध्द भी हो गया।
नेरन्द्र साहू का कहना है कि उसने इस घटना के बाद सुषमा वर्मा की खोज की लेकिन न तो इस युवती का ही पता चला और न ही इस मामले का गवाह आनंद सेन का ही पता चला है। इस वजह से मेरी भारी बदनामी हुई और मुझे शर्मिन्दगी भी उठानी पड़ी। नरेन्द्र साहू का कहना है कि इस प्रकरण की जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर मैने एसपी, कलेक्टर, गृहमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को आवेदन दिया है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
एक सामान्य आदमी के जीवन के साथ खेलने वालों के खिलाफ सरकार की चुप्पी आश्चर्यजनक है। नरेन्द्र साहू का कहना है कि वे न्याय के लिए तब तक लड़ते रहेंगे जब क उन्हें न्याय नहीं मिल जाता।