रविवार, 4 जुलाई 2021

बाबा को गुस्सा क्यों आता है...

 

शीर्षक देखकर बहुत से लोगों को नसरुद्दीन शाह और शबाना आजमी अभिनीत फिल्म अलबर्ट पिंटों को गुस्सा क्यों आता है कि याद ताजा हो गई होगी, लेकिन यकीन मानिये रियल लाईफ और रील लाईफ में ज्यादा अंतर नहीं होता, कुछ लोगों में नाराजगी व्यक्त करने का स्वभाव आदत में तब्दिल हो जाता है और वे ये भूल जाते है कि उनकी नाराजगी का दूरगामी असर क्या पडऩे वाला है।

हम बात कर रहे हैं प्रदेशत के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव यानी बाबा का। उनकी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से नाराजगी जग जाहिर है, नाराजगी की वजह के कई कयास है। ताजा मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उस बयान के बाद सामने आई हैं जिसमें बघेल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने निजी अस्पतालों को मदद की जायेगी। इस योजना पर काम शुरु किया जा रहा है। वैसे देखा जाए तो इस तरह की योजना बनाना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार भी है लेकिन राजा साहेब यानी टीएस बाबा को लगता है कि मुख्यमंत्री अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं इसलिए जब इस योजना को लेकर पत्रकारों ने स्वास्थ्य मंत्री बाबा साहेब से सवाल पूछा तो वे सवाल सुनते ही उखड़ गए और इस पर असहमति जताते हुए यहां तक कह दिया कि निजी अस्पतालों को गरीबों को मुफ्त में ईलाज करना चाहिए तभी अनुदान देना चाहिए।

हालांकि मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से चूक गए राजा साहेब की नाराजगी नई नहीं है, वे पहले भी अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर जाहिर कर चुके हैं, ढाई-ढाई साल वाले फार्मूले को  उनके ही समर्थकों द्वारा हवा देने का आरोप तो उन पर लगा ही है उनका इस मामले में गोल-मोल जवाब भी आशकाएं बढ़ाने वाला साबित हुआ। विभाग के बंटवारे से शुरु हुई नाराजगी की खबर हर किसी को है, कैबिनेट की कई बैठकों में बाबा के तेवर की चर्चा भी बाहर आते रही है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल को लेकर दिये उनके बयान का क्या मतलब है यह तो वही जाने लेकिन बुरी गत बन चुकी भाजपा नेताओं के लिए यह नाराजगी मुद्दा जरूर बन गया है। 

वैसे अपने सौम्य व्यवहार और खुशमिजाज के लिए राजधानी में छवि बनाने वाले राजा साहेब के बारे में कहा जाता है कि यदि हकीकत पता करना हो तो अंबिकापुर और आसपास जरूर घुमा-देखना चाहिए। फिर अडानी के परसा कोल ब्लॉक में राजा साहेब की भूमिका तो वहां के ग्रामीण पहले ही बता चुके हैं कि परसा कोल ब्लॉक में अडानी के नियम कानून की धज्जियां पर बाबा कुछ नहीं बोलते जबकि यह क्षेत्र उनके विधानसभा में भी पड़ता है, धंधा पानी की चर्चा तो अलग ही मामला है। यानी बाबा को गुस्सा क्यों आता है कुछ-कुछ तो लोग समझने भी लगे हैं।