सोमवार, 10 मई 2010

चोर हो चाहे हत्यारा , आदमी है हमारा !

छत्तीसगढ़ में सफेदपोश अपराधियों को किस तरह से सरकार और उसके मंत्री संरक्षण दे रहे हैं यह बताने की जरूरत नहीं है। आरोप सिध्द न हो जाए तब तक अपराधी नहीं के जुमले ने सिध्दांतवादी राजनीति के पर कतर दिए हैं। राय बनने के बाद तो छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार खूब बढ़ा है। नेताओं को लेकर अधिकारियों में सरकारी खजाने को लूटने की प्रतिस्पर्धा चल पड़ी है। जोगी शासन काल में निगम मंडल का गठन शायद यही सोचकर नहीं किया गया था कि भ्रष्टाचार बढ़ेगा। भाजपा सरकार सत्ता में आते ही ऐसे लोगों को लालबत्ती थमा दी जिनकी औकात भी नहीं थी और जिसका उदाहरण है निगम मंडलों की आड़ में सरकारी खजाने की जमकर लूट खसोट हुई। बताया जाता है कि निगम मंडल के अध्यक्षों ने डॉ. रमन सिंह के पिछले कार्यकाल में पैसा कमाने का कोई मौका नहीं छोड़ा और कमाई को देखते हुए एक बार फिर निगम मंडल अध्यक्ष बनने होड़ मची है। सफेदपोश अपराधियों की मंडली इस कार्य में जुट गई है। एक तरफ सरकार के पास बड़ी योजनाओं के लिए पैसे का अभाव है और दूसरी तरफ निगम मंडल में अध्यक्षों की नियुक्ति कर सरकारी खजाने में बोझ डालने की कोशिश हो रही है।
भूमाफिया से लेकर शराब माफियाओं का दबदबा तो सरकार पर स्पष्ट दिखता है ऐसे में सफेदपोश अपराधियों की मंडली यदि निगम मंडल में अध्यक्षों की नियुक्ति में सफल हो जाती है तो छत्तीसगढ़ की राजधानी एक बार फिर माफियाओं के चंगुल में होगा। इस सरकार ने तो शायद फैसला ही कर लिया है कि यदि हमारी पार्टी या हमारे लोग गलत हैं तो भी हमारे हैं और उन्हें मलाईदार पदों पर बिठाया ही जाएगा। पुलिस विभाग में ही जिन्हें संविदा नियुक्ति दी गई है क्या उनके विवादास्पद चरित्र किसी से छीपे हैं। इसी तरह अन्य विभाग में रिटायर्ड या किस तरह के लोगों को संविदा नियुक्ति दी गई है किसी से छीपा नहीं है। महाधिवक्ता के पद पर नियुक्त देवराज सुराना और उनके परिवार के विवादास्पद कार्य क्या किसी से छिपे हैं। इसी तरह से निगम मंडल में पिछली बार जिन्हें नियुक्त किया गया था उनके घपले सबके सामने हैं।
भाजपा के बड़े नेता जब विपक्ष में थे तब सिध्दांतों की राजनीति का कितना वकालत करते थे किसी से छिपा नहीं है। सत्ता में आते ही उनकी भूमिका क्या हो गई यह भी किसी से छिपा नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ़ में जिस तरह से सरकारी खजानों पर डाका डाला जा रहा है ऐसा कहीं देखने को नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री का विभाग ऊर्जा, खनिज और जनसंपर्क में जब खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा हो तब बृजमोहन अग्रवाल के विभागों से ईमानदारी की उम्मीद बेमानी है। इतनी अंधेरगर्दी के बाद भी सरकारें चलती है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि लोग खुश है। सरकारें तो 20-30 प्रतिशत लोगों का वोट पाकर बन जाती है।

संवाद में कुरेटी के हाथ से जनसंपर्क का विज्ञापन फिसला

सालों से जमें संवाद में सुखदेव कुरोटी के विवादास्पद छवि के बाद शायद शासन की नींद टूटी है और कहा जा रहा है उनसे जनसंपर्क विभाग के विज्ञापन का प्रभार छिना गया है।
उल्लेखनीय है कि जनसंपर्क और संवाद में चल रहे कमीशनखोरी को लेकर जबरदस्त चर्चा है और इसकी शिकायत जनसंपर्क सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक की गई है। बताया जाता है कि लगातार शिकायत के बाद संवाद में व्यवस्था परिवर्तन किए जाने की खबर है। हालांकि इस व्यवस्था परिवर्तन की कोई लिखित में आदेश जारी नहीं किए है लेकिन उच्च पदस्थ अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है।
सूत्रों के मुताबिक अब तक संवाद के द्वारा जारी किए जाने वाले सारे विज्ञापन सुखदेव कुरोटी के पास से जारी किए जाते थे लेकिन लगातार शिकायत को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि अब जनसंपर्क द्वारा जारी किए जाने वाले विज्ञापन कुरोटी की बजाय उनके जूनियर श्री पुजारी के मार्फत जारी होंगे। संवाद में हुए इस परिवर्तन की मीडिया जगत में जबरदस्त चर्चा है और कहा जा रहा है कि यह कुरोटी के पर कतरे जाने की शुरुआत है।

गृहमंत्री के बंगले में घंटो युवक को जबरिया रखा गया...

चिरमिरी से उठाकर पुलिस लाई थी
कहते हैं पुलिस वालों से बड़ा गुण्डा कोई नहीं होता और ऐसे में जब गृहमंत्री का संरक्षण हो तो आम आदमी को क्या कुछ भुगतना पड़ सकता है यह चिरमिरी निवासी कुलदीप सलूजा की आपबीती से जाना जा सकता है। पुलिस उसे चिरमिरी से उठा लाती है गृहमंत्री के सरकारी आवास पर रखती है और फिर छोड़ देती है।
घटना 2 मई 2010 की शाम सात बजे की है जब चिरमिरी निवासी कुलदीप सलूजा अपने घर में था तब शाम सात बजे गृहमंत्री का खास कहने वाले जे. कौशिक ने टीआई लता चौरे और अन्य पुलिस कर्मियों के साथ कुलदीप सलूजा को पकड़कर रायपुर चलने की बात कही। कहा जाता है कि जे. कौशिक गृहमंत्री ननकीराम कंवर का खास आदमी है और उसने कुलदीप सलूजा पर चिरमिरी में डांस बाला बुलाने और स्थानीय पुलिस वालों को शराब पिलाने का आरोप लगाते हुए खूब चमकाया। उसके साथ लता चौरे और उपस्थित स्टॉफ ने भी उसे साथ चलने मजबूर किया।
एक तरफ पुलिस कुलदीप सलूजा को कोल माफिया बता रही है और उस पर कई तरह के आरोप लगा रही है वहीं दूसरी तरफ कुलदीप सलूजा का कहना है कि उन पर लगाए जा रहे सारे आरोप बेबुनियाद है। उनका कहना है कि शादी समारोह में उत्तर प्रदेशवासियों द्वारा नाच गाने का आयोजन होता है और शादी में पुलिस वाले भी आए थे चूंकि दुल्हा पुलिस में है इसलिए भी पुलिस वाले थे। इधर लता चौरे की टीम पूछताछ करने के नाम पर कुलदीप सलूजा को चिरमिरी से शाम को ही लाया गया और रात बिलासपुर के गेस्ट हाउस में रुके और फिर सुबह किसी थाने में ले जाने की बजाय लता चौरे की टीम उसे गृहमंत्री के सरकारी बंगले में ले गई। जहां उन्हें रात आठ बजे तक रोक कर रखा गया और फिर बिना पूछताछ किए छोड़ दिया गया। गृहमंत्री के भी बंगले में मौजूद रहने की खबर है। इधर बताया जाता है कि गृहमंत्री की मंशा कोल माफियाओं पर शिकंजा कसने की है लेकिन जिस तरह से कुलदीप सलूजा को चिरमिरी से लाया गया और बगैर पूछताछ किए छोड़ा गया उसे लेकर कई तरह की चर्चा है।
हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि इस मामले में कोल माफियाअओं के साथ जबरदस्त लेन-देन की चर्चा है जबकि यह भी कहा जा रहा है कि गृहमंत्री की आड़ में लेन देन का जबरदस्त खेल चल रहा है और कुलदीप सलूजा को इसी के चलते उठाया गया था। इधर हमारे चिरमिरी संवाददाता रतन जैन ने कहा कि जिस तरह से यहां कोल माफिया सक्रिय है उसकी शिकायत लगातार की जाती है और गृहमंत्री के स्टाफ की इस कार्रवाई से कोल माफियाओं में हड़कम्प मचा है। बहरहाल कुलदीप सलूजा को उठाने और बिना पूछताछ किए छोड़े जाने की यहां जबरदस्त चर्चा है और इससे गृहमंत्री की छवि पर भी प्रभाव पड़ने की बात कही जा रही है।

नगरीय निकाय मंत्री और पार्षदों में टकराव...

मुंह फट और अनाप-शनाप बोलने में माहिर प्रदेश के नगरीय निकाय मंत्री राजेश मूणत का इन दिनों राजधानी के आधा दर्जन पार्षदों से टकराव चल रहा है जिसमें से कई भाजपा के भी है और वे पार्टी के होने के कारण खामोश है। जबकि निर्दलीय पार्षद श्रीमती अंजू तिवारी ने मंत्री के खिलाफ सीधे मोर्चा खोल रखा है और उसे भाजपा के एक विधायक सहित आधा दर्जन से अधिक पार्षदों का समर्थन मिल रहा है।
नगरीय निकाय मंत्री राजेश मूणत के व्यवहार को लेकर समय समय पर विवाद होता रहा है कहा जाता है कि विरोधियों के साथ तो उनका रवैये को लेकर सवाल उठाये जाते ही रहे हैं लेकिन पार्टी के भीतर भई आम कार्यकर्ताओं के प्रति उनके व्यवहार की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
बताया जाता है कि कोटा वार्ड की निर्दलीय पार्षद श्रीमती अंजू तिवारी ने उनके व्यवहार को लेकर नाराज हैं। श्रीमती अंजू तिवारी का कहना है कि मंत्री का व्यवहार सभी के लिए बराबर होना चाहिए लेकिन पिछली बार श्री मूणत ने सभी वार्डों में 20-20 लाख रुपए के कार्य कराए जबकि कोटा में 3-4 लाख के ही कार्य हुए। इसी तरह सूत्रों के मुताबिक निगम में नेता प्रतिपक्ष सुभाष तिवारी, सुनील बांद्रे सहित आधा दर्जन भाजपाई पार्षद भी नाराज हैं। नाराज भाजपाई पार्षदों से जब इस बारे में पूछा गया तो एक पार्षद ने कहा कि जैन मुनि के सानिध्य के बाद उनके सुधर जाने की उम्मीद थी लेकिन उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया हैं हमने तो वहां जाना ही बंद कर दिया। इसी तरह एक पार्षद ने तो साफ कह दिया कि वे तो इस मंत्री का नाम तक सुनना पसंद नहीं करते।
बताया जाता है कि नगरीय निकाय मंत्री राजेश मूणत के व्यवहार की शिकायत छत्तीसगढ़ के प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान से भी की गई है। जबकि भाजपा के कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि युवा मोर्चा वाला रवैया अब उचित नहीं हैं। नगरीय निकाय मंत्री और पार्षदों में चल रहे टकराव को लेकर यहां कई तरह की चर्चा है और कहा जा रहा है कि एक विधायक ने तो निर्दलीय पार्षद अंजू तिवारी को आश्वस्त किया है कि लड़ाई जारी रखे मदद किया जाएगा। हालांकि निर्दलीय पार्षद ने विधायक का नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि वे कोटा से दूसरी बार जीत कर आए हैं और वे अपनी बात मंत्री के समक्ष नहीं रखेंगे तो कैसे चलेगा। बहरहाल नगरीय निकाय मंत्री के प्रति भाजपा कार्यकर्ताओं और पार्षदों में बढ़ते असंतोष की शिकायत प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान से की गई है देखना है कि इस मामले में क्या होता है।

महाराष्ट्र में पैसा खपाने वाले मुकेश-दिनेश का जलवा

क्यों न हो महाराष्ट्र का विकास
महाराष्ट्र के विकास में अब छत्तीसगढ़ का योगदान बढ़ने लगा है कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ के राजनेताओं और अधिकारियों के करोड़ों-अरबों रुपए महाराष्ट्र में खर्च किए जा रहे हैं। प्रदेश के एक मंत्री के तो नागपुर-गोंदिया में अरबों रुपए जमीन खरीदी में लगा है और इस काम में मुकेश व दिनेश की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है।
छत्तीसगढ़ वैसे तो भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। राजधानी की जमीनें आसमान छूने लगी है और फिर भ्रष्टाचार का पैसा खपाना आसान नहीं है इसलिए यहां के कई अधिकारी व नेता अपनी काली कमाई दूसरे प्रदेशों में खपाने लगे हैं। ऐसा ही एक मामला प्रदेश के दमदार माने जाने वाले मंत्री का आया है। कहा जाता है कि राजधानी में रिश्तेदारों और दोस्तों के नाम बेनामी जमीनें खरीदने के साथ-साथ अब इस मंत्री ने गोंदिया-नागपुर और मुंबई में भी अपने रिश्तेदारों व विश्वसनीय लोगों के नाम पर जमीन खरीदना शुरु कर दिया है।
हमारे सूत्रों व नागपुर संवाददाताओं के मुताबिक पिछले 5-6 सालों में यहां की जमीनों की कीमत में बेतहाशा वृध्दि हुई है और इसकी वजह छत्तीसगढ़ के एक मंत्री की रूचि है जिनके रिश्तेदारों द्वारा यहां भारी पैमाने पर जमीनें खरीदी गई है। हमारे सूत्रों के मुताबिक गोंदिया और नागपुर में इन 6 सालों में दिनेश-मुकेश की जोड़ी ने तहलका मचा रखा है और इन लोगों ने कई जमीनें अपने नाम पर खरीदी है या फिर अपने रिश्तेदारों के नाम पर रजिस्ट्री कराई है। सूत्रों का दावा है कि इन 6 सालों में गोंदिया व नागपुर में खरीदी गई जमीनों की उच्च स्तरीय जांच की गई तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।
हमारे सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र के तेजी से विकास में भी काली कमाई का बहुत बड़ा हाथ है पूरे देशभर के कई अधिकारी व नेता यहां पैसा खपा रहे हैं इसलिए इस प्रदेश में बढते निर्माण कार्य ने विकास दर में वृध्दि किया है। सूत्रों का कहना है कि यदि छत्तीसगढ़ के राजनेता व अधिकारी अपने ही प्रदेश में पैसा खपाये तो प्रदेश का विकास तेजी से होगा लेकिन नाम उजागर होने और पकड़े जाने के डर से ये लोग दूसरे प्रदेशों में पैसा लगाते हैं।
इधर मुकेश-दिनेश के जलवे को लेकर राजधानी में जबरर्दस्त चर्चा है और कहा जा रहा है कि इन्हें पैसा किसी राजेन्द्र अग्रवाल और उपाध्याय के मार्फत भेजा जाता है। हालांकि अधिकांश राशि हवाला के माध्यम से ही पहुंचाई जाती है। बहरहाल नागपुर और गोंदिया में बड़े पैमाने पर चल रही जमीन खरीदी को लेकर यहां कई तरह की चर्चा है और कहा जा रहा है कि यदि मुख्यमंत्री ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में कोई बड़ी मुसिबत आ सकती है।

अधिकारियों की दादागिरी, सरपंचों की लाचारी

वर्मा, बघेल को हटाने सरपंचों ने मोर्चा खोला
रमन सरकार में बेलगाम होते अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ के सरपंच बेहद नाराज है। बिलाईगढ़ क्षेत्र के सरपंचों ने तो बकायदा सीओ आर.के. वर्मा और ब्लाक अधिकारी बघेल के खिलाफ तो मोर्चा ही खोल दिया है। सरपंचों का कहना है कि ये दोनों अधिकारी अपने को मंत्रियों व सांसद का रिश्तेदार बताकर आए दिन सरपंचों से गाली गलौज व बदतमीजी करता है। यही नहीं इन दोनों अधिकारियों पर कार्यों के सत्यापन के लिए रुपए मांगे जाने का भी आरोप लगाया गया है।
छत्तीसगढ़ में बेलगाम होते अधिकारियों पर नकेल कसने में पूरी तरह विफल रही रमन सरकार से बिलाईगढ़ ही नहीं कई क्षेत्रों के सरपंचों ने अधिकारियों की शिकायत की है। बताया जाता है कि सरपंचों को भ्रष्ट आचरण की सीख ऐसे ही अधिकारी देते हैं और कार्यों के सत्यापन के नाम पर सरपंचों से न केवल अनाप-शनाप रुपए मांगे जाते हैं बल्कि गाली गलौज तक करते हैं। ऐसा ही एक मामला बिलाईगढ़ क्षेत्र का है जहां के सरपंच सीओ आर.के वर्मा से त्रस्त हैं सरपंचों का कहना है कि अपनी उच्च पहुंच और नेताओं से रिश्तेदारी का धौंस देकर श्री वर्मा आए दिन सरपंचों से गाली गलौच करते हैं। श्री वर्मा को हटाने की मांग बिलाईगढ़ क्षेत्र के लगभग 65 से 70 सरपंचों ने करते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा है।
इसी तरह अनुविभागीय अधिकारी बघेल पर पण्ड्रीपानी के सरपंच मजीद खान ने पैसे मांगने का आरोप लगाया है। सरपंचों का कहना है कि मास्टर रोल सचिव के द्वारा भरा जाता है और उस पर गलतियां निकालकर सरपंचों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है। ऐसा नहीं है कि सरपंचों के साथ इस तरह का व्यवहार केवल बिलाईगढ़ क्षेत्र में ही किया जा रहा है। बल्कि कवर्धा जिले के सरपंच भी परेशान है। अधिकारियों द्वारा जेल भेजे जाने की धमकी तो आम बात है।
सरपंच संघ के एक नेता ने कहा कि सरपंचों को भ्रष्टाचार के दलदल में यही अधिकारी ही ले जाते हैं। पहली बार सरपंच चुने जाने वाले सीधे साधे ग्रामीणों को पहले पैसा कमाने के तरीके बताये जाते हैं फिर उन्हें जेल भेजने की धमकी देकर उनसे रुपए हड़पे जाते हैं। सरपंचों का कहना है कि अधिकारियों की शिकायतें पर सरकार ध्यान नहीं देती असली चोर तो ये अधिकारी ही हैं और उन्हें बदनाम किया जाता हैं। बिलाईगढ़ सरपंच संघ के अध्यक्ष बैनू सोनवानी ने कहा कि यदि अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करेंगे। बहरहाल अधिकारियों और सरपंचों में आए दिन हो रहे टकराव को नजरअंदाज किया गया तो इसके घातक परिणाम आएंगे।

औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों ने डकारे 50 लाख

धांधली करने वालों ने भोज का आयोजन कर खुशियां मनाई
यह छत्तीसगढ क़ी लापरवाही है या अधिकारियों द्वारा सरकारी खजाने को लूटने की कोशिश यह तो वही जाने लेकिन औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों ने धांधली कर छत्तीसगढ़ शासन को 50 लाख का चूना लगाने में कामयाब हो गए। अब कार्रवाई की बजाय इनसे वसूली के तरीके निकाले जा रहे हैं। इधर इस धांधली करने वालों ने बकायदा भोज का आयोजन कर खुशियां भी मनाई।
औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों के इस खेल में कौन-कौन लोग शामिल है यह कहना कठिन है लेकिन अधिकारियों ने जिस पैमाने पर शासन को धोखे में रखकर धांधली की वह आश्चर्यजनक है। यह सारा खेल समयमान वेतनमान के निर्धारण को लेकर किया गया और अब जब मामला सामने आया है तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बजाय इस पर लीपापोती चल रही है। वेतनमान को लेकर प्रदेश के इस चर्चित घोटाले को लेकर मंत्रालय में पदस्थ अधिकारी भी सन्न है और वसूली किए जाने की सिर्फ बात ही की जा रही है।
शासन के आदेशानुसार समयमान वेतनमान का लाभ उन अधिकारी एवं कर्मचारियों को दिया जाना है जो सीधी भर्ती के पदों पर 8 एवं 10 वर्षों की सेवा अवधि पूर्ण किए गए हैं। ताहे वह एक दो या दो से अधिक पदोन्नति उपरांत सीधी भर्ती के पद पर कार्य करते हुए उक्त अवधि पूर्ण किया हो तथा भर्ती नियम के अनुसार सीधी भर्ती पद के लिए निर्धारित योग्यता रखता हो। विभिन्न वेतनमानों के लिए उच्चतर वेतनमानों की पात्रता के लिए निगम में प्रचलित वेतनमान का उल्लेख इस योजना में नहीं है। उसके संबंध में वित्त विभाग को अवगत कराया जाना था।
सीएसआईडीसी के सेवा भर्ती नियम के अनुसार सीधी भर्ती के पद इस प्रकार हैं:- निम्नश्रेणी लिपिक, टेलीफोन आपरेटर, लेखालिपिक, सह टायपिस्ट, सहायक प्रबंधक, शीघ्र लेखक, अनूरेखकर, जूनियर इंजीनियर, समयपाल सीधी भर्ती के पद हैं। किन्तु सीएसआईडीसी में इन सीधी भर्ती के पदों के अतिरिक्त ऐसे अधिकारी एवं कर्मचारी को समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है, जो 100 प्रतिशत पदोन्नति के पद पर कार्यरत है। जिसकी संख्या लगभग 150 है जिसमें कनिष्ठ सहायक, वरिष्ठ सहायक, लेखा सहायक, सहायक प्रबंधक लेखा, उप प्रबंधक, प्रबंधक, शीघ्र लेखक, मानचित्रकार, सहायक इंजीनियर, इंजीनियर इलेक्ट्रीशियन है।
इस योजना के अंतर्गत उक्त अपात्र अधिकारी कर्मचारियों को वित्ती लाभ का भुगतान (एरियर्स) किया गया है जिसका कुल राशि लगभग 50 लाख से अधिक का होता है। अधिक वित्तीय लाभ का मुख्य कारण वेतन विसंगति है जो इस प्रकार है- वेतनमान रु. 5000-9000 वाले को सीधा रु. 8000-13500 का वेतनमान दिया गया है, जबकि बीच में 6500-10500 का भी वेतनमान है। इस योजना का लाभ सेवा में नियुक्ति के पश्चात 8 वर्ष एवं 10 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण होने पर दिया जाना था, किन्तु सीएसआईडीसी में 8 वर्ष में प्रथम एवं 16 वर्ष में दि्तीय उच्चतर वेतनमान का लाभ अलग-अलग कर्मचारी को दिया गया है जिसके कारण निगम के निम्न वर्ग के कर्मचारियों द्वारा प्रबंध संचालक से शिकायत भी किया गया है उसके बाद भी प्रबंधन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जा रहा है। सीएसआईडीसी के अधिकारी के विरुध्द विभागीय जांच रहते हुए इस योजना का लाभ दिया गया है। सीएसआईडीसी में विलय निर्यात निगम के कर्मचारियों को उनके पैतृक विभाग द्वारा विलय के बाद वेतन विसंगति को संशोधन किया गया है, लेकिन सीएसआईडीसी में उन संशोधन वेतनमान को छोड़कर विसंगत वेतनमान पर समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है।
समयमान वेतनमान लागू करने कमेटी गठित की गई थी जिसमें उद्योग संचालनालय के वरिष्ठ अधिकारी पी.के. शुक्ला, महाप्रबंधक ने जानबूझकर गलती की है। इसका प्रमाण वे स्वयं है। संचालनालय (शासन) भर्ती नियम के अनुसार महाप्रबंधक के पद को पदोन्नति का पद होने के कारण पी.के. शुक्ला महाप्रबंधक को समयमान वेतनमान का लाभ संचालनालय द्वारा नहीं दिया गया है, वहीं अधिकारी सी.एस.आई.डी.सी. में 100 प्रतिशत पदोन्नति के पद पर कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी को समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है। इसी प्रकार नियमितिकरण में भी शासन के नियमों का खुलकर धाियां उड़ कर एक महिला को लिपिक एवं एक शीघ्र लेखक को नियम विरुध्द नियमित किया गया है। उपरोक्त सारे नियम विरुध्द कार्य के लिए सीएसआईडीसी अधिकारी एवं कर्मचारी संघ द्वारा प्रबंध संचालक राजेश गोवर्धन को प्रशस्ति पत्र एवं साथ ही निगम के करीब 100 से अधिक कर्मचारी को भोज भी दिया गया था। जिसमें करीब 50 हजार का खर्च आया था जिसका भुगतान किसके द्वारा किया गया है इसका भी किसी को पता नहीं है।

ढांड परिवार सहित रूके बाकी विदेश से लौट आए

प्रतिबंध के बाद भी विदेश यात्रा
प्रतिबंध के बावजूद विदेश यात्रा पर गए खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहिले और वेयर हाउस के प्रबंध संचालक उमेश अग्रवाल कनाडा से लौट आए जबकि सचिव विवेक ढांड परिवार सहित वहीं रुक गए और 16 मई को वापस आएंगे।
छत्तीसगढ सरकार ने विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगाया है लेकिन मंत्री और अधिकारी किसी न किसी बहाने विदेश यात्रा का आनंद उठाने का मौका तलाश ही लेते हैं। ऐसा ही मामला खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहिले खाद्य सचिव विवेक ढांड और वेयर हाउस के महाप्रबंधक उमेश अग्रवाल का है। खाद्य भंडारण के वैज्ञानिक तरीकों पर आयोजित कार्यशाला में भाग लेने के नाम पर ये लोग विदेश गए। लेकिन इनके साथ कोई भी तकनीकी जानकार नहीं थे।
बताया जाता है कि एक हफ्ते के प्रवास के दौरान यहां इस बात की भी चर्चा रही कि कार्यशाला तो बहाना है विदेश यात्रा घुमने फिरने के लिए बनाया गया जिस का खर्चा वेयर हाउस ने उठा रखा है। इधर इस दौरे में खाद्य सचिव विवेक ढांड के परिवार वालों के भी जाने की चर्चा है और कहा जा रहा है कि कार्यशाला के बाद वे परिवार सहित वहीं रुक गए है और घुमने फिरने के बाद ही 16 मई को लौटेंगे जबकि श्री मोहिले और उमेश अग्रवाल 8 मई को ही वापस आ गए। बहरहाल प्रतिबंध के बावजूद इस विदेश यात्रा पर सरकार का रुख क्या होगा यह तो पता नहीं चला है लेकिन कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसका जवाब देना होगा।