बुधवार, 17 मार्च 2021

आदमी की प्रवृत्ति...

 

गब्बर सिंह का भी तो कोई परिवार नहीं था? फिर वह लूटपाट क्यों करता था? सोशल मीडिया में इस तरह के सैकड़ों सवाल तैर रहे हैं? लेकिन इनका एक ही जवाब है कि हर व्यक्ति की अपनी फितरत और प्रवृत्ति होती है? धंधेबाज व्यक्ति हर काम को इसी ढंग से करता है, आखिर कफन भी तो बेचे जाते हैं? और भौतिकता के दौर में नैतिकता, सुचिता तमाशा नहीं होता तो लालकृष्ण अडवानी इस तरह से न किनारे किये जाते और न ही वे चुप बैठ सकते थे।

ऐसे में जब किसान आंदोलन के दौरान लालकिले में झंडा फहराने वाले दीप सिंद्धू का भापा कनेक्शन और प्रधानमंत्री मोदी के साथ तस्वीर सामने आया तो भी किसी को हैरानी नहीं हुई तब अब जब परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी को घूस के रुप में बस देने वाले मामले में स्वीडिश बस कंपनी स्कैनिया के भारतीय पार्टनर एस.वी.एल.एल. के मालिक रुपचंद बैद के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर सामने आई है तब भी किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि आदमी कुछ भी बोल ले उसकी प्रवृत्ति नहीं बदलती उसका फितरत वैसा ही रहेगा।

इसलिए 2014 में जब संसद में अपराधिक प्रवृत्ति के सांसदों के फैसले शीघ्र करने के लिए अलग से व्यवस्था करने की बात कही गई तब भी हमने इसे बकवास कहा था हालांकि तब ट्रोल आर्मी ने हमें देशद्रोही तक कह दिया था, लोकपाल बिल और कालाधन वापसी को लेकर भी जो लोग प्रधानमंत्री  पर भरोसा करते हैं उन्हें यह जान लेना चाहिए कि संसद में करीब आधे सांसदों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज है जिनमें भाजपा के सांसदों की संख्या भी बहुत ज्यादा है।

ऐसे में जब शारद चिट फंड घोटाले से जुड़े लोगों का भाजपा में स्वागत करते हुए सदस्यता से नवाजा गया तब भी यही सवाल था कि आखिर गब्बर सिंह का भी तो कोई परिवार नहीं है?

सवाल परिवार दोस्त या रिश्तेदारों का नहीं है सवाल उस राजनीति का है जिसका ध्येय सत्ता हासिल कर पावर हासिल करना है, जनसरोकार की बात ही बेमानी है और जब सत्ता में बने रहने के लिए राष्ट्रवाद, हिन्दू मुस्लिम ही पर्याप्त है तब नैतिकता की बात वे करते हैं जो विपक्ष में बैठे होते है। 

इसलिए नीतिन गडकरी ने जब सीना ठोक कर बस रिश्वत वाले मामले में मानहानि का दावा करने की बात कही तब पता चला कि रुपचंद वैद का क्या रोल है। क्या यह भाजपा की अंदरूनी लड़ाई के चलते यह सब हो रहा है। रिश्वत तो दी गई है? लेकिन क्या वह नीतिन के बजाय किसी और को मिली है?

भले ही ट्रोल आर्मी, आईटी सेल और वॉट्सअप युनिवर्सिटी को इसमें कोई रूचि न हो लेकिन दीप सिद्धू के बाद रूपचंद वैद के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर तो अपनी कहानी कह ही चुका है।