रविवार, 29 अप्रैल 2012

सुराज के बाद सुराख...


 अभी लोग ग्राम सुराज की नौटंकी से उभर भी नहीं पाये थे कि राजा ने बिजली का झटका देकर मानों कहा हो खुब एन्जॉय कर लिए? उठो? नौटंकी के दौरान कलाकारों ने जो मेहनत की है उसका मेहंताना भी तो निकालना है और यह जनता की जेब से ही निकलेगा? कोई मुफ्त में नौटंकी नहीं दिखाता और यही सब हो रहा है छत्तीसगढ़ में। आपको नौटंकी पसंद हो या न हो पैसा तो देना ही पड़ेगा।
छत्तीसगढ़ में चल रहे इस खेल में आम आदमी त्रस्त हो चुका है। भ्रष्टाचार के दलदल में धंसी सरकार तो एक तरफ तो यहा के गरीबों के लिए घडिय़ाली आंसू बहाते है लेकिन दूसरी तरफ लोगों का जीना कठिन करते जा रही है।
राज्य निर्माण के तहत कहा जा रहा था कि यह देश का इकलौता कर मुक्त राज्य बनेगा। करों के बोझ से जनता बेहाल है। केन्द्र सरकार की नीति तो इसके लिए दोषी है ही छत्तीसगढ़ सरकार भी कम अत्याचार नहीं कर रही है। एक्सेस  पॉवर से पावर कट बन चुके हर राज्य में बिजली से वैसे भी परेशान है और सरकार बिजली दर बढ़ाने में आमदा है। गोवा या दूसरे राज्य की तरह पेट्रोल-डीजल में कम करके राहत देने की बात तो दूर उसने आम आदमी को बिजली का ऐसा झटका दिया है कि उसके घर का बजट गड़बड़ाना स्वाभाविक है।
छत्तीसगढ़ को पॉवर हब बनाने के सपने कहां तक पूरा हुआ है कोई नहीं जानता लेकिन बिजली के नाम पर अरबों-खरबों का घोटाला जरूर हुआ है। ओपन एक्सेस से लेकर उद्योगों से बिजली खरीदी में बेतहाशा गड़बड़ी की बात तो महालेखाकार की रिपोर्ट में भी आ गई है। विद्युत कंपनी को घाटे में दिखाकर  जनता से वसूली की कोशिश हो रही है। गांव-गांव में बिजली की कटौती से लोग परेशान है लेकिन इन सबसे सरकार को कोई लेना देना नहीं है। एक तरफ महंगाई के लिए केन्द्र सरकार को गरियाया जाता है और दूसरी तरफ आम लोगों पर करों का बोझ डाला जाता है। ऐसे में आम आदमी के पास क्या विकल्प है।
जनता तो अभी नक्सली और सरकार का खेल देख रही थी। जिस तरह से प्रदेश में नक्सलवाद हावी होता जा रहा है, सरकार कोयले की कालिख से पुती नजर आ रही है, कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और आम आदमी इन सबसे अवाक है तब बिजली की दरों में वृध्दि से आम आदमी का जीना दूभर हो जायेगा।