शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

हैट्रिक में जुटी रमन सरकार की बढ़ी मुश्किल


पिछली बार 18 कटी थी, इस बार 36 के हालात
सत्ता की हैट्रिक बनाने में जुटी रमन सरकर के सामने सबसे बड़ी दिक्कत उनके अपने विधायक ही बन रहे है॥ कहा जा रहा है कि रमन सरकार के अधिकांश मंत्रियों और विधायकों के प्रति लोगों में बेहद गुस्सा है। पिछले चुनाव में ऐसे ही हालात के चलते 18 विधायकों की टिकिट काटनी पड़ी थी जबकि इस बार कोयले की कालिख ने हालात और खराब कर दिए है और करीब 36 ऐसे विधायकों की सूची तैयार हो चुकी है जिनके टिकिट काटे जा सकते हैं।
इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरकार ने जोर शोर से तैयारी शुरु कर दी है और विपक्षी कांग्रेस का माकूल जवाब देने साम दाम दंड भेद की नीति अपनाई जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह इस बार विपक्ष के सीधे निशाने पर हैं तो इसकी वजह कोयले की कालिख के अलावा रोगदा बांध के3 अलावा शिक्षा कर्मियों , किसान और बेरोजगारी भत्ता को लेकर किया गया वादा खिलाफ़ी है।
हांलाकि डॉ रमन सिंअह ने विपक्षी हमले का जवाब ब्रह्मास्त्र से देने की बात कही है और यह ब्रह्मास्त्र क्या होगा इसका खुलासा नहीं हुआ है। डॉ रमन सिंह के इस हैट्रिक अभियान को चाक चौबंद करने भाजपा संगठन के अलावा आर एस एस और उसके अनुसागिंक संगठनों ने भी तैयारी शुरु कर दी है जबकि मुख्यमंत्री के खास अधिकारी भी इस अभियान में शामिल होने लगे हैं।
हालांकि कोयले की कालिख के अलावा भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर हमले कर रही कांग्रेसी नीति का क्या असर होगा यह तो बाद में ही पता चलेगा। लेकिन कांग्रेस की आक्रामक शैली से रमन सरकार के माथे पर बल पडऩे लगा है।
कांग्रेसियों द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे से रमन सरकार कटघरे में नजर आ रही है और यही वजह है कि मुख्यमत्री डॉ रमन सिंह न केवल संघ के लोगों से लगातार बैठकें कर रहे हैं बल्कि ब्रह्मास्त्र होने की बात कर रहे हैं।
हालांकि विपक्षी कांग्रेस रमन सिंह के ब्रह्मास्त्र की बात को नजर अंदाज करने की कोशिश में है। लेकिन कांग्रेस यह जानती है कि सत्ता का ब्रह्मास्त्र क्या हो सकता है। भले ही वह मुख्यमंत्री रमन सिंह के ब्रह्मास्त्र को भगवान लक्ष्मण द्वारा छोड़े गए मेघनाथ के ब्रह्मास्त्र से तुलना कर रहे हैं लेकिन गुटबाजी में बटी कांग्रेस के पास लक्ष्मण के लिए संजीवनी लाने वाले हनुमान कौन होगें। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इसकी तरफ़ मुख्यमंत्री के ब्रह्मास्त्र बादक़ भी भाजपा की चिंता अपने ही विधायकों के प्रति जनता में उत्पन्न आक्रोश को लेकर भी है। कहा जाता है कि सरकार के कामकाज को लेकर करीब आधा दर्जन सर्वेक्षण हुए हैं और सभी सर्वेक्षणों में मंत्रियों व विधायकों के प्रति आक्रोश की बात अधिक है। इस सर्वे में टिकिट काटे जाने वाले विधायकों की संख्या अलग-अलग है लेकिन सूत्रों क अभी दावा है कि किसी भी सर्वे रिपोर्ट में यह संख्या दो दर्जन से कम नहीं है। बताया जाता है कि 50 विधायकों वाली सरकार में यदि दो-तीन दर्जन विधायकों की टिकिट काटने की नौबत आई तो बगावत से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में भाजपा के लिए यह मुश्किल भरा काम हो सकता है। हालांकि संगठन सूत्रों का कहना है कि पिछली बार भी 18 विधायकों टिकिटें काटी गई थी तब कुछ नहीं हुआ था लेकिन इस बार मुख्यमंत्री की पहले जैसे छवि पर भी संगठन खेमा खामोश है। बहरहाल भाजपा की हैट्रिक में सबसे बड़े रोड़ा बन रहे उनके अपने विधायकों पर ब्रह्मास्त्र का क्या असर होगा यह चर्चा में है।