बुधवार, 3 मार्च 2010

जमीन भी गई नौकरी भी छिन गई...



यह तो नेकी कर और दरिया में डाल की कहावत ही चरितार्थ करता है वरना क्षेत्र के विकास के लिए सीमेंट कारखानों को अपनी जमीनें देने वालों को यह दुर्दिन नहीं देखना पड़ता। जमीन तो उनकी गई ही अब कंपनियों ने साजिशपूर्वक उनकी नौकरी भी छिन रही है और तो और आसपास के लोग प्रदूषण से ही नहीं कंपनियों की दादागिरी से भी त्रस्त है। पुलिस भी आम लोगों की बजाय प्रबंधकों की ही सुनता है।
बलौदाबाजार से नजदीक हिरमी क्षेत्र इन दिनों फिर अशांत होने लगा है तो इसकी वजह सरकारी अधिकारियों की करतूत है जो चंद रुपयों के लालच में आम लोगों के हितों की अनदेखी कर रही है। दूसरी तरफ अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी की कथित मनमानी के चलते नौकरी से निकाले गए लोग आंदोलित है और आंदोलन को कुचलने पुलिस तैयार है।
दरअसल सीमेंट कंपनी की स्थापना की वजह इस क्षेत्र का विकास करना बताया गया और जिला प्रशासन ने किसानों की जमीन उद्योगों को बेचने में मध्यस्थता की मध्यस्थता करते करते सरकारी अधिकारी तो बिचौलिये बनकर लाखों कमाकर निकल गए और आम आदमी को भगवान भरोसे छोड़ दिया। बताया जाता है कि जमीन देने के एवज में हर परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी देने की शर्ते लागू की गई। जमीन अधिग्रहण के बाद जब उद्योग बनकर तैयार हो गया और नौकरी की बात आई तभी यह संदेह जताया जाने लगा कि कंपनी नौकरी की शर्तों से मुकर रहा है तब जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप से नौकरी तो दी गई लेकिन यह ठेकेदारों के नीचे दिया गया।
और यहीं से कंपनी के नियत पर सवाल उठने लगे लेकिन जिला प्रशासन और सरकार ने कभी भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। कंपनी ने एक-एक कर दो दर्जन से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाल दिया और जब ये शांतिपूर्वक आंदोलन करने लगे तो पुलिस बुलवाकर गिरफ्तार कर लिया गया। पूरा क्षेत्र इन दिनों आक्रोशित है और सरकार ने कंपनी के खिलाफ कड़ा रुख नहीं अपनाया तो स्थिति खराब हो सकती है।

भ्रष्ट अधिकारियों का पनाहगार है वेयर हाउसिंग

वैसे तो प्रदेश का कोई भी विभाग नहीं है जहां भ्रष्टाचार चरम पर न हो लेकिन वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में जिस पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है वह गिनीज बुक में दर्ज करने लायक है। पिछले 20 माह में एक से बढ़कर एक कांड हुए लेकिन शाखा प्रबंधकों पर इसलिए कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि उन्हें सरकार का संरक्षण है और वे अब भी शान से भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन कहने को खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहिले का विभाग है लेकिन वास्तव में यहां सीधे सरकार का हस्तक्षेप है और यहां विभिन्न शाखाओं में जमें प्रबंधकों का मंत्रियों से गठजोड़ की खबरें हैं यहीं वजह है कि पिछले 20 माह से इतने कांड हो रहे है उतने वेयर हाउसिंग के इतिहास में कभी नहीं हुए।
बताया जाता है कि शाखा प्रबंधकों की मनमानी का यह हाल है कि वे ऊपर तक पैसा पहुंचाने का दावा करते हैं और कई जगह तो कर्मचारियों को प्रताड़ित करने से भी बाज नहीं आते।
बताया जाता है कि दुर्ग, अम्बिकापुर, सक्ती और राजिम में अग्निकांड की जांच रिपोर्ट को दबाया जा रहा है ताकि शाखा प्रबंधकों व दोषी लोगों को बचाया जा सके जबकि इन मामलों में इनकी लापरवाही प्रथम दृष्टि में ही उजागर हो चुकी है। इसी तरह जगदलपुर, अम्बिकापुर एवं राजिम में चावल की बोरियों में हेराफेरी का मामला सामने आया है लेकिन इस मामले में भी किसी भी शाखा प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई उल्टे इस मामले में दोषी लोगों को बचाने उच्च स्तर पर लेन देन की चर्चा है।
हमारे भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार राजधानी के गुढ़ियारी और कांकेर में संग्रहित चावल में बड़े पैमाने पर कीट प्रकोप का मामला सामने आया और यहां हेराफेरी की भी खबरें है लेकिन मंत्रियों के करीबी होने की वजह से शाखा प्रबंधकों को बचाया जा रहा है।
वेयर हाउस के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब शाखा प्रबंधकों को महाप्रबंधक बचाने में लगे हो और उपर तक पैसा पहुंचाने की चर्चा खुलकर होती हो। बताया जाता है कि खाद्य मंत्री के पास भी इन सबकी शिकायत की गई है लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई की बजाय शिकायतों को रद्दी की टोकरी में फेके जाने की चर्चा है। बहरहाल वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में चल रहे इस व्यापक भ्रष्टाचार पर सरकार की खामोशी आश्चर्यजनक है जबकि सरकारी योजनाओं का चावल यही संग्रहित किया जाता है ऐसे में योजनाओं को लेकर सवाल उठना स्वावभाविक है।

बृजमोहन ने कराया आर्थिक आरोपी को भाजपा में प्रवेश,सरयूपारीण ब्राम्हण मंत्री से नाराज



सरयूपारीण ब्राम्हण सभा ने जिस दशरथ प्रसाद शुक्ल को आर्थिक अनियमितता एवं दुर्व्यवहार के आरोप में समाज से निष्कासित किया उसका न केवल भाजपा में प्रवेश हो गया बल्कि पद देने की भी चर्चा है। कहा जाता है कि दशरथ प्रसाद शुक्ल का भाजपा प्रवेश में पी.डब्ल्यू.डी. मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की विशेष रूचि रही है।
सरयूपारीण ब्राम्हण सभा के अध्यक्ष रमाकांत शुक्ल के मुताबिक दशरथ प्रसाद शुक्ल और कोषाध्यक्ष अश्विनी कुमार दुबे ने अपने कार्यकाल में खूब आर्थिक अनियमितता की जो सही पाये जाने पर उन्हें समाज से निष्कासित किया गया। बताया जाता है कि गोयल द्वारा दान में दी गई सबमर्सिबल का भुगतान हो या सौ बोरी सीमेंट रेती, ईंटा, गिट्टी सहित अन्य मामले में दशरथ प्रसाद शुक्ल की आर्थिक अनियमितता सामने आ गई।
इसके अलावा निष्कासित दोनों पदाधिकारियों पर सदस्यों से दुर्व्यवहार जैसे आरोप लगे हैं। बताया जाता है कि निगम चुनाव के दौरान ही बृजमोहन अग्रवाल को टिकरापारा का गढ़ ढहने का अंदाजा लग गया था इसलिए उन्होंने दशरथ प्रसाद शुक्ल से संपर्क किया और दशरथ प्रसाद शुक्ल ने बृजमोहन अग्रवाल के कार्यक्रम के दौरान 51 साथियों के साथ भाजपा प्रवेश की घोषणा की। यह अलग बात है कि दूसरे ही दिन इन 51 लोगों में से डेढ़ दर्जन ने खंडन कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक अपना गढ़ ठीक करने के चक्कर में आर्थिक अनियमितता के आरोपी को भाजपा प्रवेश दिलाने को लेकर पूरे टिकरापारा क्षेत्र में कई तरह की चर्चा है। चर्चा तो इस बात की भी है कि दशरथ प्रसाद शुक्ल को भाजपा द्वारा महत्वपूर्ण पद भी दिया जा रहा है। जिसकी वजह से सरयूपारीण ब्राम्हण में भारी रोष है और कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसका खामियाजा बृजमोहन अग्रवाल ही नहीं भाजपा को भी भुगतना पड़ सकता है।
बहरहाल भाजपा प्रवेश का मामला तूल पकड़ने लगा है और समाज का प्रतिनिधिमंडल इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने की भी योजना बना रहे हैं।