शुक्रवार, 18 मई 2012

अब कौन सुरक्षित...


नक्सलियों ने हमला तेज कर दिया है। अब वे मंत्रियों के घर तक पहुंचने लगे है और अब इस प्रदेश में सुरक्षित कौन है कहना कठिन है। ज्यादा दिन नहीं बीते है जब डॉ. रमन सिंह ने नक्सली प्रभावित जिले में ग्राम सुराज चलाते वाहवाही लुटी थी। तब पूरी भाजपा व उसकी सरकार ने यह प्रचारित किया था कि नक्सलियों की मांद में सरकार घुस गई है। छत्तीसगढ़ पुलिस के तमाम उच्च अधिकारियों को भी यह बात कहे ज्यादा दिन नहीं बीता है कि हम अबुझमाड़ के 15 फीसदी जगह से नक्सलियों को खदेड़ चुके है।
इन दो दावों से जनता आश्वस्त भी नहीं हो पाई थी कि कलेक्टर का अपहरण हो गया। तब सरकार के पास कहने के लिए शब्द थे कि कलेक्टर खुद मरने गया था। लेकिन अब जब कोण्डागांव में प्रदेश की मंत्री लता उसेंडी के घर हमला हुआ तब सरकार क्या यह कह पायेगी कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रहोगे तो हमला तो होगा या फिर इसकी गंभीरता को समझेगी।
अब तक नक्सली केवल जंगलों पर औकात दिखाते रहे हैं तब सरकार के पास सफाई का पूरा मौका होता था लेकिन अब तो यह सरकार की नाकामी की इंतीहा हो गई है। नक्सली, मंत्रियों के घरों तक में हमला कर रहे है। लता उसेंडी के घर तक पहुच जाना ही सरकार के लिए  बड़ी चुनौती है और अब भी सरकार ने अपने आसपास के नकारा व मीठलबरा अधिकारियों को नहीं हटाया तो आगे इससे भी बड़ी वारदात हो सकती है। सरकार को राजधानी में मौजूद सीनियर अधिकारियों को तत्काल नक्सली क्षेत्र में पदस्थ करना चाहिए। सिर्फ पुलिस कप्तान बदलने से मामला नहीं सुलझने वाला है सीनियर आईएएस को भी नक्सली क्षेत्र में पदस्थ करनेे की जरूरत है।
इन सबके अलाव डॉ. रमन सिंह को अपने चंडाल चौकड़ी के लोगों का भी परिक्षण करना चाहिए क्योंकि अब तक वे इन्हीं चंडाल चौकड़ी की राय लेते रहे है और इससे सरकार के हाथ सिर्फ बदनामी ही हाथ लगने वाली है यह साबित हो चुका है।
हम यहां नक्सलियों की ताकत की बात नहीं कर रहे है और न ही सरकार की नाकामी गिना रहे है। लेकिन जिस तरह से सरकार चल रही है उसे कतई ठीक नहीं कहा जा सकता है। डॉ.रमन सिंह व उनके मंत्रियों को यह सोचना ही होगा कि यही हाल रहा तो बंदूक की गोली का शिकार और कौन-कौन हो सकते हैं।