शनिवार, 2 जून 2012

ग्रामीणों का गुस्सा...


नई राजधानी और रायगढ़ में कल गांव वालों ने प्रशासन की जमकर बजा दी। दोनों ही जगहों पर ग्रामीणों ने गुस्से ने सरकार की जनहित की कलई खोल कर रख दी। किसानों को बरबाद होने के हद तक पहुंचाने में लगी रमन सरकार के प्रति गुस्सा चरम पर है। नई राजधानी में गांव वालों ने न केवल काम बंद करवाया बल्कि अफसरों को बंधक तक बना लिया यही हाल रायगढ़ के केलोडेम के प्रभावितों का है यहां मुख्यमंत्री 14 जून को केलोडेम का उद्घाटन करने जा रहे हैं और यहां के किसानों को अब तक मुआवजा ही नहीं दिया गया है।
पूरे प्रदेश में छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के साथ चल रहे इस दोयम दर्जे से हाहाकार की स्थिति है। जमीने कभी विकास के नाम पर तो कभी सड़क या उद्योगों के नाम पर छीनी जा रही है और मुआवजा या हक की लड़ाई लडऩे वालों को वर्दी वालों के सहारे पीटा जा रहा है। कांग्रेस इस मामले में केवल बयानबाजी तक सीमित है और लोग नेतृत्व के अभाव में अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं।
चौतरफा मची इस लूट को लेकर लोगों में बेहद गुस्सा है। और मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारियों के भ्रष्टाचार के किस्से इस गुस्से में आग में घी डालने का काम कर रहा है। नई राजधानी और रायगढ़ में कल प्रशासन ने पुलिस के दम पर आंदोलनकारियों को मना तो लिया लेकिन यह कब तक चलेगा। आखिर मुआवजा और व्यवस्थापन को लेकर सरकार कोई ठोस नीति क्यों नहीं बनाती।
हम पहले भी कह चुके है कि छत्तीसगढ़ में अभी विकास की बहुत संभावनाएं है। सड़क से लेकर उद्योग व सरकारी भवनों की जरूरत है लेकिन हम किसी की लाश पर विकास कतई नहीं चाहते। नई राजधानी के औचित्य को लेकर हम सवाल उठाते रहे हैं कि आखिर जनप्रतिनिधियों को महलों या बंगलो में रहने की जरूरत क्यों हैं? विधायक बनते ही उनके रहन सहन में राजसू ठाट के लिए सरकारी व्यवस्था की क्या जरूरत है। केलो डेम में भी गांव के किसानों के साथ सरकार छल कर रही है लेकिन जनता के हितैषी कहलाने वालों का कहीं पता नहीं है। नई राजधानी में भी यह हाल है लोग अपनी लड़ाई स्वयं लड़ रहे हैं और सरकार इन लोगों को मुआवजा या व्यवस्थापन की बजाय कुचलने में लगी है।