सोमवार, 30 अगस्त 2010

सालों बाद निमोरा में दिखा जागरूकता...

राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता को ग्रहण लगने लगा था। मालिको के सरकारी विज्ञापन के प्रति जीभ लपलपाने की बढ़ती प्रवृत्ति ने छत्तीसगढ़ की पहचान पर ही सवाल उठाये थे। बाल्को कांड हो या मंत्रियों की घपलेबाजी, आईएएस अफसरों की काली करतूतें हो या डीजी का साहित्य प्रेम सब कुछ सरकारी विज्ञापन की बलि चढ़ रही थी। ऐसे में धरसींवा के पास निमोरा में हुई तीन मासूमों की हत्या केबाद छत्तीसगढ़ के मीडिया ने जिस तरह से रिपोर्टिंग की वह यहां के पुराने तेवर को ताजा कर दिया। हर मामले को कुरेदकर सरकार को कार्रवाई के लिए मजबूर करने वाला तेवर ही छत्तीसगढ़ के मीडिया की पहचान है। बहुत संभव है अब यह तेवर फिर से दिखने लगेगा हम यही आशा कर सकते हैं...!
सनत फिर भास्कर में
अपनी सीधे साधे छवि के लिए जाने जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार सनत चतुर्वेदी ने फिर दैनिक भास्कर ज्वाईन कर लिया है। जनसत्ता से वे भास्कर क्यों गये यह पता नहीं चला है पर तीसरी बार वे भास्कर को सेवा दे रहे हैं। कितने दिन देंगे? सवाल कायम है?
सुरेन्द्र का भ्रम टूटा
देशबंधु को अपना सब कुछ मानकर सुबह से रात तक सेवा बजाने वाले सुरेन्द्र शुक्ला ने पत्रिका की ओर रूख किया तो कई लोग अचरज में रह गये कि आखिर देशबंधु में यह सब क्या हो रहा है। अब तो दामादों का खौफ भी नहीं है। इसी तरह बेर ने नई दुनिया ज्वाईन कर लिया है।
पी. बुद्धदेव की वापसी
दैनिक समवेत शिखर से भास्कर रायपुर फिर रायपुर में सब कुछ बेच-बाच कर इंदौर गए भरत पी. बुद्धदेव को इंदौर रास नहीं आया और एक बार फिर वे दैनिक भास्कर आ गए हैं। उनका मकान खरीदना इन दिनों चर्चा में है।
डीबी का हंगामा
वैसे तो भास्कर हमेशा कुछ न कुछ नया कर सुर्खियों में बना रहना चाहता है। पत्रिका के आने की हड़बड़ाहट भी भास्कर में झलकने लगी है पहले ही नेशनल लुक और नई दुनिया से झटका खा चुके भास्कर समूह कोई रिस्क लेना नहीं चाहता इसलिए डीबी स्टार शुरु कर दिया है। अब स्टोरी इसमें क्या जा रही है अभी मत पूछना? कैसे भी हो हंगामा खड़ा होना चाहिए।
पैसा कम दो दस्तखत अधिक में कराओ
कांग्रेस के प्रतिष्ठित परिवार द्वारा निकाले जा रहे अखबार में इन दिनों यही सब कुछ हो रहा अब कर्मचारी तो कर्मचारी, पत्रकार भी मजबूर है नौकरी जो आसानी से नहीं मिलती। दरअसल ऐसे दस्तखत करने वाले पत्रकार ही कब थे।

मालिक  को खुश रखो नौकरी दो जगह करो
कई पत्रकारों के लिए यह जुमला कारगर हुआ है कि ऐड़ा बनकर पेड़ा खाओ। प्रेस लाईन में दत्तक पुत्र के रूप में मशहूर पाटन छाप पत्रकार ने अब दो जगह नौकरी बजाना शुरू कर दिया है। उन्हें ‘अ’ रास आ गया है पहले भी खाने पीने के नाम से बदनाम इस युवा पत्रकार के सीधाई का लोहा सभी मानते हैं।
लुक ही नहीं दिख रहा...
भास्कर को हलाकान करने वाले नेशनल लुक अब मैनेजमेंट की वजह से गायब होते जा रहा है खबरें अब भी अच्छी है लेकिन जब बांट ही नहीं पाओंगे तो पढ़ेगा कौन ? सरकारी विज्ञापन लेते रहो।
तरूण की पीड़ा
पहले ही निगम की तोडफ़ोड़ से पीडि़त सांध्य दैनिक तरूण छत्तीसगढ़ इन दिनों पार्किंग की वजह से परेशान है। नियमानुसार बिल्डिंग बनी है या नहीं यह तो निगम और तरूण छत्तीसगढ़ वाले जाने लेकिन जिस तरह से नवभारत ने टूटने वाले बिल्डिंगों की सूची में तरूण छत्तीसगढ़ का नाम छापा है उससे तरूण छत्तीसगढ़ बेहद खफा है लेकिन छोटा आदमी बड़ों का कर क्या सकता है?
और अंत में ...
पत्रकारों की जमीन पर अपनी बिल्डिंग तानने वाले एक सांध्य दैनिक के मालिक ने हाईरईश कमेटी से दस मंजिल का परमिशन क्या लिया अच्छे अच्छों की नींद उड़ गई। दूसरा सांध्य दैनिक अब जुगाड़ में है कि परमिशन कैसे लिया जाए।