बुधवार, 25 जून 2025

सीज़फ़ायर-युद्ध और ट्रंप…

 सीज़फ़ायर-युद्ध और ट्रंप…


यह दुनिया के लिए राहत की खबर है कि इज़राइल ईरान या भारत पाकिस्तान के बीज सीज़फ़ायर हो गया लेकिन युद्ध और सीज़फ़ायर के बीच जो कुछ हुआ वह क्या सब पूर्व में लिखी स्क्रिप्ट है ताकि कोई खेल खेला जा सके… राष्ट्रवाद के जुनून में जनता को धकेला जा सके…


जैसे भारत-पाकिस्तान में आभासी युद्ध करवाया गया था ड्रोन ड्रोन मिसाइल मिसाइलों का खेल किया गया था कुछ उसी तरह से यह स्क्रिप्ट भी लिख दी गई!


भारत-पाक युद्ध में भी क्या हुआ था सरकार ने स्वयं अपनी पीठ ठोकी थी पाकिस्तान को सूचना देकर आतंकवादी ठिकानों पर हमले किए थे जहां से पहले ही आतंकवादी हटा लिए गए थे और अब तो यह भी साबित हो गया है की पहलगाम आतंकवादियों के लिए जिन आतंकवादियों को नामांकित किया गया था उसमें भी भारत सरकार चूक कर गई थी और वह आतंकवादी वह नहीं थे जिन्होंने हमला किया!


भारत में यह परसेप्शन बनाया गया कि हमने चुन चुन कर टारगेट हिट किया और पाकिस्तान ने इस बात के लिए जश्न बनाया की पहली बार पाकिस्तान की वायु सेना ने भारत के बड़े-बड़े विमान को मार गिराया!


 दोनों तरफ से विन विन सिचुएशन का परसेप्शन मीडिया बनाता रहा और दोनों देश की जनता तमाशा देखते रही और दोनों देश के शासक सत्ता के पुनरप्राप्ति के प्रयासों पर अपने कदम बढ़ाते रहे और अमेरिका का राष्ट्रपति अपने व्यापारिक फायदा और अंतर्राष्ट्रीय सरपंची के लिए अपनी स्थिति मजबूत करता रहा!

पूरे देश में सेना की वर्दी पहनकर घूमने वाले तथाकथित 56 इंच कमांडर की जबान पर अभी तक पहलगाम के आतंकवादियों का सवाल वह कौन थे कब गिरफ्तार होंगे नहीं आ पाया है! 

समय की बिसात पर राजनीति के पासे  जब कूटनीति के सांचो में ढलते हैं, तो यह समझना मुश्किल हो जाता है क्या सच है क्या झूठ? 

बाहर से दिखने वाली परिस्थितियों अंदर से कितनी शालीनता से एक दूसरे का सहयोगी बन जाती है हम अपेक्षित ही नहीं कर पाते!  और शायद इसी का नाम अंतरराष्ट्रीय राजनीति है !

फोर्दो पर हमले के बाद ईरान के चट्टानी संकल्प की परीक्षा लेते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने जो कुछ कहा ,किया वह चौंकाने वाला था! 

आज ईरान ने भी कतर स्थित अमेरिकन बेस पर हमला किया लेकिन उसके पहले उसने कतर को आगाह किया इसलिए एयर बेस पर ईरानी मिसाइल तो विस्फोट करती नजर आई, लेकिन जनधन की हानि बहुत न्यूनतम थी हमले के वेग के अनुपात में 

और इस एक घटना से विमर्श उपजने लगा क्या कहीं सब कुछ स्क्रिपटेड तो नहीं चल रहा!

ईरान की पहाड़ियों में दफन सुरक्षित किला फॉरदो पर अमेरिका की बंकर रोधी मिसाइल ने हमले किए और सुरक्षित अमेरिका का विमान इसराइल लौट गए! 

एक बारगी लगा नोबेल पीस प्राइज की दौड़ में शामिल ट्रंप ऐसी गलती कैसे कर सकते हैं? 

जो संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों का उल्लंघन ही नहीं बल्कि अमेरिकन नागरिकों की मानसिकता को भी हिट करता था!

लेकिन जैसा भारत-पाक युद्ध में हुआ ठीक वही परसेप्शन वहां क्रिएट किया गया!

 अमेरिका ने ईरान को पूर्व सूचना दी थी कि हमें इजरायल की संतुष्टि और अमेरिका की जो सीनेट की यहूदी लाबी है , उसकी मानसिकता को तुष्ट करने के लिए ऐसा प्रदर्शित करना पड़ेगा !

आप वहां से अपने आवश्यक और जो आपको हानि पहुंचा सकते हैं ऐसी सामग्रियों को हटा ले जो 15 दिन का समय दिया गया था ट्रंप के द्वारा शायद उसकी प्रति ध्वनि भी अब समझी जा सकती है! चट्टान का वह किला अमेरिका की बंकर रोधी मिसाइलों ने हिलाया, एक सीमा तक नष्ट भी किया लेकिन फिर भी कोई रेडियोएक्टिव प्रभाव ईरान पर दुनिया ने नहीं देखा मतलब साफ था वहां से यूरेनियम हटा लिया गया था! 

यह सब इतना आसान भी नहीं रहा होगा क्योंकि

 ईरान को इस बात के लिए राजी करने के लिए शायद यह भी कहा होगा कि हम इसराइल के माध्यम से सीज फायर का निवेदन आप तक पहुंचाएंगे और वह उस ईरान की मानसिकता को संतुष्ट करेगा जिसका परसेप्शन आपने बनाया है! 

नेतन्याहू भी इजरायल के लगातार होते नुकसान से परेशान थे एक के बाद एक मुस्लिम देशों पर हमले के बाद इजरायल की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हुई थी और युद्ध सामग्री का भंडार भी! 

कहीं की भी जनता युद्ध नहीं चाहती इजरायल की भी नहीं! नेतन्याहू परेशान थे, विद्रोह के स्वर इजराइल में भी उठने लगे थे!

अमेरिका ने समझाया इजराइल का प्राथमिक उद्देश्य युद्ध को लेकर यह था कि ईरान परमाणु संवर्धन नहीं कर पाए परमाणु बम नहीं बना पाए बंकर रोधी आक्रमण के बाद ईरान लगभग 10 साल पीछे चला गया है और यह इजरायल के लिए विन विन सिचुएशन है 

मिडिल ईस्ट में इजरायल के साथ सीधे युद्ध में शिरकत कर कर अमेरिका ने इजरायल की स्थिति को मजबूत किया है और इन्हीं सब तथ्यों की रोशनी में उन्होंने इसराइल पर दबाव डाला की  वह ईरान से  सीज फायर की रिक्वेस्ट करें!

एक चालाकीअमेरिका नेऔर की उन्होंने ईरान से अपनी एयरबेस जो कतर में थी उस पर भी हमला करवाया ताकि ईरानी मानसिकता और अमेरिका विरोधी मानसिकता इस बात से संतुष्ट हो सके कि ईरान ने सरेंडर नहीं किया नरेंद्र की तरह बल्कि अमेरिका के आक्रमण पर भी प्रत्यक्रमण कर जवाब दिया!

 ठीक इसी तरह जिस तरह इजराइल को समझाया गया कि चीन उत्तर कोरिया और सोवियत रूस ईरान को परमाण्विक हथियार दे सकते हैं इसलिए इस विषय को आगे बढ़ना तर्कसंगत नहीं!

अब व्यापार की बात होगी, शेयर मार्केट में तेजी होगी सोने के भाव गिरेंगे और पेट्रोल की आपूर्ति निरंतर रहेगी लेकिन सवाल सबसे बड़ा है क्या ईरान इजरायल युद्ध में भारत की विदेश नीति और कूटनीति एक बार फिर से आहत नहीं हुई है? 

अपने अपने तर्कों से आपके जवाब प्रतीक्षित रहेंगे पर फिलहाल ऐसा लगता है तीसरे विश्व युद्ध का खतरा कुछ दिनों के लिए तो आगे खिसक गया है!(साभार)