बुधवार, 31 जुलाई 2024

मोदी सत्ता के इन रिकार्डो का कोई तोड़ नहीं...

 मोदी सत्ता के इन  रिकार्डो का कोई तोड़ नहीं...


हालांकि आम तौर पर कहा जाता है कि रिकार्ड तो टूटने के लिए ही बनता है लेकिन यदि रिकार्ड भयावकता का हो, कालिख भरा हो तो ऐसे रिकार्ड कोई नहीं तोड़‌ना चाहेगा कि इतिहास उन्हें खलनायक के रूप में दर्ज करे। लेकिन हाल में सोशल मीडिया में जो चर्चा है वह मोदी सरकार के अपने मंत्रियों की ही नहीं, उनके सहयोगियों की भी चर्चा जमकर हो रही है।

हावड़ा मुंबई मेल के दुर्घटना ग्रस्त होने के बाद लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया के जरिये जिस तरह से सामने आया है वह किसी भी सरकार और उसके मंत्रियों के लिए बेचैन करने वाला है लेकिन बेशमी के इस दौर में नैतिकता की दुहाई देने का मतलब स्वयं का अपमान कराने वाली बात हो गई है।

मोदी की रिकार्ड तोड़ सरकार नामक शीर्षक से चल रहे विडियों और तस्वीर जमकर वायरल हो रहे हैं। जिसमें सबसे पहले नम्बर पर मोदी सरकार के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तस्वीर के आगे लिखा गया है 'पेपर लीक का रिकार्ड '

धर्मेंद्र प्रधान उड़ीसा राज्य से आते हैं और मोदी सरकार में दमदार मंत्री माने जाते हैं। 2014 के बाद अब तक 70 से अधिक बार पेपर लीक होने का मामला सामने आया है, इससे लोगों के डॉक्टर बनने का सपना ही नहीं टूटा बल्कि कितने ही युवाओं का भविष्य चकनाचूर हो गया, क्योंकि कई युवाको की नौकरी के लिए निर्धारित आयु सीमा ही समाप्त हो गई। यहीं नहीं सरकार्र ने परीक्षा फॉर्म बेचकर करोड़ों कमाये।

आपदा में अवसर का इससे सटिक उदाहरण और क्या होगा।

दूसरे नम्बर पर जो तस्वीर है वह नीतिश कुमार की है। बिहार के मुख्यमंत्री जो बीजेपी के सहयोग से चल रहे हैं। पुल गिरने का रिकार्ड। लेकिन मजाक है कोई उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा दे। दस से ज्यादा पुल तो  2023-24 में ही गिर गये।

तीसरे नम्बर पर मोदी सत्मार के रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव की तस्वीर है। एक दुर्घटना होते ही मंत्री पद से इस्तीफा दे देने की नैतिकता से इतर दर्जनों दुर्घटना के बाद भी यदि उनके माथे  पर शिकन नहीं होने का दावा किया जाता है तो यह इतिहास के पन्नों में बेशर्म राजनीतिज्ञ के रूप में जरूर दर्ज होगा। 

हर दुर्घटना के बाद रेलों में बेहतर सुविधा का दावा करने के अश्वनी यैष्णव के इस दौर में बुजुर्गो की सुविधा छिन लेने के साथ ही स्टेशन-पटरी, ट्रेन बेच देने या निजिकरण कर देने का खेल भी हुआ तो मालगाड़ी से अधिक कमाई के लिए सर्वाधिक यात्री ट्रेने भी इसी दौर में रद्द हुई।

वंदेभारत के चक्कर में भारत के ग़रीबों की जेबों पर डाका डालने का आरोप भी लगे।

तब देखना है कि आगे और कौन, कितने रिकार्ड तोड़‌ता है।