रविवार, 19 दिसंबर 2010

लोकायुक्त के चालान के बाद भी सुब्रतो राय की चांदी

मंडी बोर्ड का भगवान ही मालिक...
जिस व्यक्ति के खिलाफ लोकायुक्त ने न्यायालय में चालान पेश कर दिया है वह कार्यपालन अभियंता सुब्रतो राय न केवल मंडी बोर्ड में प्रभारी संयुक्त संचालक के पद पर बने हुए है बल्कि उन्हें निर्माण से संबंधित आहरण का अधिकार तक दे दिया गया। यह सब छत्तीसगढ़ को लुटने की साजिश का हिस्सा नहीं तो और क्या है? कहा जाता है कि प्रभारी बनते शअरी राय ने अपने उच्चाधिकारियों को न केवल जमकर पैसे बांटे है बल्कि मंत्री तक को अंधेरे में रखा गया।
करोड़ों रुपए के बजट वाले मंडी बोर्ड में जिस तरह से भ्रष्टाचार में यहां के अधिकारी लिप्त हैं उसकी आंच अब सचिव तक भी आने लगी है। कहा जाता है कि मिल बांटकर पैसे खाने की इस रणनीति में उच्चाधिकारी तक शामिल है और पूरा मामला सुनियोजित षडय़ंत्र का हिस्सा है और इसमें प्रबंध संचालक की विशेष रुचि चर्चा का विषय है। मंडी बोर्ड में पदस्थ कार्यपालन अभियंता सुब्रतो राय के कारनामों की चर्चा तो अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही रही है। उनके कारनामें की चर्चा जब काफी होने लगी तो उनके खिलाफ मध्यप्रदेश में लोकायुक्त ने न केवल छापे की कार्रवाई की बल्कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए गए।
सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त की कार्रवाई के चलते ही सुब्रतो राय ने राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ का रुख कर लिया और वे यहा अपने कारनामें दिखाना भी शुरु कर दिया चूंकि सुब्रतो राय के खिलाफ लोकायुक्त ने गंभीर आरोप लगाए हैं इसलिए प्रारंभ में तो उनसे दूरी बनी रही लेकिन अपने कार्यशैली से शीघ्र ही वे अधिकारियों के चहेते बन प्रमुख पदों पर जा बैठें। इधर मध्यप्रदेश लोकायुक्त ने सुब्रतो राय के खिलाफ जुलाई 2009 में न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया तो वे फिर चर्चा में आ गए। चूंकि मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण तथा नियंत्रण अपील नियम 1966 के नियम 9 (1) बी के प्रथम परंतुक के अनुसार शासकीय सेवक के विरुद्ध दंडित अपराध में चालान प्रस्तुत किए जाने पर संबंधित कर्मचारी को निलंबित किया जाना अनिवार्य है इसलिए सुब्रतो राय को निलंबित किया गया। बताया जाता है कि इधर निलंबित सुब्रतो राय पद पाने छटपटाने लगे और उन्होंने अपने निलंबन की कार्रवाई पर पुर्नविचार करने अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा कि चूंकि वे छत्तीसगढ़ में नौकरी कर रहे हैं चूंकि उनका प्रकरण छत्तीसगढ़ राज्य से संबंधित नहीं है।
इधर सुब्रतो राय के पत्र पाते ही जिस तेजी से उन्हें बहाल किया गया उससे अनेक संदेहों को जन्म देता है। बताया जाता है कि 6-7 माह के भीतर ही सुब्रतो राय को न केवल बहाल कर दिया गया बल्कि उन्हें प्रभआरी संयुक्त संचालक भी बना दिया गया। बताया जाता है कि प्रभारी संयुक्त संचालक बनाने के बाद प्रबध संचालक मंडी बोर्ड ने उन्हें निर्माण संबंधित आहरण वितरण तक का काम सौंप दिया गया जबकि सुब्रतो राय पर पहले ही आर्थिक अनियमितता का आरोप लग चुका है। हमारे भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक मंडी बोर्ड के अधिकारियों व सचिव स्तर पर यह सारी कार्रवाई बड़े ही गोपनीय तरीके से की गई ताकि मंत्री को इसकी हवा न लगे।
छत्तीसगढ़ में किस कदर अफसरशाही हावी है और भ्रष्ट लोगों को किस तरह से जिम्मेदारी भरे पदों पर बिठाया जा रहा है यह आश्चर्यजनक ही नहीं दुर्भाग्यपूर्ण है। सूत्रों के मुताबिक सुब्रतो राय के व्यवहार को लेकर भी कर्मचारियों व अधिकारियों में जबरदस्त रोष है और इसकी शिकायत भी उच्च स्तर पर की जा चुकी है। छत्तीसगढिय़ा कर्मचारी व अधिकारियों में भी सुब्रतो राय को लेकर बेहद रोष है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि सुब्रतो राय की सचिव स्तर तक जबरदस्त सेटिंग है इसलिए इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद भी उन्हें मलाईदार काम दिया गया है। बहरहाल आर्थिक अनियमितता के आरोपी सुब्रतो राय को आहरण कार्य सौंपे जाने को लेकर विभाग में ही नहीं मंत्रालय में भी जबरदस्त चर्चा है और लोग तो राम नाम की लूट है लूट सको तो लूट की चर्चा करने लगे हैं।

नीना सिंह की दबंगई या भाजपाई दादागिरी

 मामूली अपराध पर मान मालिकों को अपराधी बना देने वाली छत्तीसगढ़ पुलिस ने किस कदर भाजपा नेत्री नीना सिंह की कंपनी के द्वारा की गई डकैती के बाद अपनी दुम दबा ली यह इन दिनों चर्चा में है। बारुद जैसे संवेदनशील मामले में पुलिस ने जिस तरह से कार्यवाही की उससे भाजपा नेत्री नीना सिंह की दबंगई साफ झलक रही है यही नहीं इस मामले में शिकायतकर्ताओं के आगे जिस तरह से राजधानी की पुलिस गिड़गिड़ाते नजर आई वह भाजपाई सत्ता के लिए भी शर्मसार कर देने वाली है।
वैसे तो सत्ता के दबाव में पुलिस अनदेखी की कहानी नई नहीं है लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से यह मामला अति संवेदनशील होने के बाद भी जिस तरह से पुलिस ने कार्रवाई की वह आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा है। बारुद पैकेनिंग फैक्ट्री में डकैती करने वाले रंगे हाथ पकड़े जाते है लेकिन डकैती के सूत्रधारों के खिलाफ शिकायत के बाद भी जुर्म दर्ज नहीं किया जाता।
दरअसल घटना उरला स्थित एक बारुद पैकेजिंग बाक्स निर्माता फैक्ट्री में लूट व डकैती की है। एक्सप्लो पैक नामक इस कंपनी में 11 अक्टूबर को नवभारत एक्सप्लोजिव्ह फैक्ट्री के कर्मचारी पहुंचकर ताला तोड़ते
है और पैकेजिंग बाक्स लूट लेते हैं मौके पर इसका खुलासा होते ही पुलिस पहुंचती है और मौके पर ही पुलिस ने वाहन सहित लगभग आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर वाहन में लोड किए गए लगभग 3250 नग पैकेजिंग बाक्स जब्त करती है।
पुलिस ने इस मामले में इतनी तत्परता दिखाई कि सात दिन में ही जांच कर कोर्ट में चालान पेश कर दिया और बगैर पीसीआर के आरोपी कोर्ट से जमानत पर छूट गए। इतना ही नहीं पुलिस ने मौके से जब्त किए मेटाडोर क्रमांक सीजी 04 जे 9805 को भी सुपुर्दनामे में दे दिया और इतने महत्वपूर्ण पैकेनिंग बाक्स को खुले में उतार दिया। जबकि सामान्यत: जब तब सामान की सुपुर्दनामा नहीं होता वाहन नहीं छोड़े जाते। पुलिस की हड़बड़ी की एक मात्र वजह राजिम क्षेत्र से भाजपा की टिकिट पर चुनाव लड़ चुकी नीना सिंह को बताया जा रहा है क्योंकि नवभारत एक्सप्लोजिव का नीना सिंह पूर्णकालीक संचालक है।
इस संबंध में पैकेनिंग बाक्स फैक्ट्री मालिक सुनील सरावगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस के हरेक अधिकारियों से वे मिल चुके हैं लेकिन राजनैतिक दबाव के चलते कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने इस मामले में नवभारत एक्सप्लोजिव के संचालक विजय कुमार सिंह, विशाल सिंह, डॉ. नीना सिंह, गीता सिंह पर भी डकैती की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए जुर्म पंजीबद्ध करने की मांग की। सुनील सरावगी ने कहा कि भारी राजनैतिक दबाव में छत्तीसगढ़ पुलिस ने जिस तरह से इस संवेदनशील मामले की अनदेखी की है वह न केवल आश्चर्यजनक है बल्कि पुलिस ने जानबूझकर आरोपियों को बचाने का कार्य किया। यही नहीं डकैती के इस मामले में पुलिस ने चोरी का अपराध पंजीबद्ध किया यह भी आश्चर्यजनक है।
नागपुर के इस शिकायकर्ता ने साफ कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य पहले से ही नक्सली समस्या से ग्रस्त है इसके बाद भी पुलिस ने विस्फोटक पैकेनिंग बाक्स में लूटमार की घटना को गंभीरता से नहीं लिया जबकि बारुद बगैर पैकेजिंग के नहीं भेजा जा सकता और एनएफसीएल और एनईसीएल क्यों यह सामान लूटना चाहता था और उनकी मंशा क्या थी। उन्होंने यह भी कहा की पुलिस को जांच करनी चाहिए कि लूटमार की इस घटना को राष्ट्रविरोध या अनैतिक कर्म के लिए प्रयोग तो नहीं किया जा रहा था। बहरहाल सुनील सरावगी ने फैक्ट्री में हुई लूटमार को लेकर पुलिस के रवैये से हैरान होकर कोर्ट में जाने की बात कही। वहीं हमने भी नवभारत एक्सप्लोनिव के संचालकों से संपर्क की कोशिश की गई लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए।