शनिवार, 8 मई 2021

प्रधानमंत्री की प्राथमिकता...

 

दिल्ली हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए जब कहा कि कड़ी कार्रवाई के लिए मजबूर न करें! तो यह सवाल उठाया जाना चाहिए कि इस भीषण महामारी में भी केन्द्र की सरकार आखिर लोगों की जान से खिलवाड़ क्यों कर रही है, उसकी प्राथमिकता क्या जनकल्याण नहीं होनी चाहिए? आखिर वह एक कदम आगे बढ़कर देश के लोगों के कल्याण की बात क्यों नहीं कर रही है। क्या वह जानती है कि कुछ भी नहीं करने के बाद भी सिर्फ हिन्दु-मुस्लिम के सहारे वह सत्ता में फिर से आ जायेगी?

यह सवाल अब हर उस देशप्रेमी की जुबान बनने लगी है जो भीषण महामारी से तड़पते जिन्दगी को अपनी खुली आंखों से देख पा रहे हैं। बंगाल चुनाव के नतीजे आने के बाद जिस तरह से वहां भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की लड़ाई को हिन्दू-मुस्लिम का रुप देने की कोशिश की गई, उसका सच सामने आने लगा है, दुनियाभर की हिंसा की तस्वीरों को बंगाल की हिंसा बताकर नफरत फैलाने की कोशिश किस तरह की गई, भारतीय जनता पार्टी ने किस तरह से देशभर में धरना प्रदर्शन किया वह अब स्पष्ट होने लगा है।

ऐसे में एक बात तो तय है कि इस भीषण महामारी से अब इस देश की जनता को खुद ही निपटना है, क्योंकि बीस हजार करोड़ के सेन्ट्रल विस्टा को लेकर दायर याचिका पर न्यायालय ने भी हाथ खड़े कर दिये हैं। तब सवाल यही है कि मोदी सत्ता की प्राथमिकता क्या है। महामारी से निपटने मोदी सत्ता को राष्ट्रीय प्लान बनाने, आक्सीजन की सुचारु आपूर्ति और वैक्सीन को लेकर न्यायालयों ने लगातार लानत भेजी है लेकिन सरकार ने रईसी बरकरार रखने का उपाय अपनी प्राथमिकता में रखी है। यही वजह है कि तमाम विरोध के बाद भी इस महामारी में सेन्ट्रल विस्टा का काम बेधड़क चल रहा है और उसमें भी महल जैसे प्रधानमंत्री आवास सबसे पहली प्राथमिकता है जिसे हर हाल में दिसम्बर 2022 तक पूरा किया जाना है।

सरकार की दूसरी प्राथमिकता की रईसी बरकरार रखने की है इसलिए इस महामारी के दौर में सिर्फ आईडीबीआई बैक को बेचने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई जाती है। इस सरकार की प्राथमिकता तो शुरु ही राज्यों में सत्ता प्राप्ति की रही है इसलिए जब भी किसी राज्य में चुनाव होता है प्रधानमंत्री सहित पूरी कैबिनेट वहां होती है और कई बार तो साफ लगता है कि ये प्रधानमंत्री देश के नहीं सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के नेता बस हैं। यही नहीं ट्रम्प को जिताने भी रैलियां होती है और कोरोना की अनदेखई तब तक की जाती रही जब तक मध्यप्रदेश में सरकार नहीं बन गई।

सवाल बहुत से है लेकिन कोरोना काल में भी सरकार की प्राथमिकता यदि सत्ता की रईसी बरकरार रखने की है तो फिर दूसरी-तीसरी क्या चौथी लहर में भी कुछ नहीं होने वाला है। क्या देश के प्रधानमंत्री को इस भीषण महामारी से निपटने कोई योजना नहीं बनानी चाहिए? क्या मध्यम व लघु व्यापारियों या उद्योगपतियों के लिए कोई योजना नहीं बनानी चाहिए? क्या मध्यम वर्ग के लोगों की तकलीफ दूर करने योजना नहीं बनानी चाहिए। क्या रोज कमाने-खाने वालों के लिए इस सरकार ने कोई योजना बनाई है। सभी को आक्सीजन और वैक्सीन मिल जाये इसकी कोई योजना है। महामारी से बर्बाद हो चुके परिवार के परिवार और अनाथ हो चुके बच्चों के लिए कौन सी योजना है। 

सरकार जानती है कि बेबसी में तड़पते लोग भले ही आज गाली दे रहे है लेकिन वोट उन्हें ही देंगे क्योंकि हिन्दुत्व खतरे में है? राहुल गांधी के परिवार ने देश के लिए कुछ नहीं किया? तब इन सवालों का क्या अर्थ रह जाता है। जिस तरह से असम जीते वैसे ही 2024 में देश जीत लेंगे?