रविवार, 16 दिसंबर 2012

उद्योगों की गुण्डागर्दी पर सरकारी चुप्पी !


ऐसा नहीं है कि वंदना समूह की मनमानी की कहानी समाप्त हो गई है वह बेधड़क जारी है लेकिन ताजा मामला दुर्ग जिले के अहिवारा के समीप स्थापित हो रहे जे के लक्ष्मी सीमेंट की गुण्डागर्दी का है । एक तरफ सरकार इनवेस्टर मीट के नाम पर करोड़ों खर्च कर उद्योगों को भरपूर सुविधा देने की घोषणा करती है दूसरी तरफ यहां आकर उद्योग गुण्डागर्दी कर रहे है क्या ऐसे में उद्योग यहां आने चाहिए ?
विशेष प्रतिनिधि
ऐसा नहीं है कि वंदना समूह की मनमानी की कहानी समाप्त हो गई है वह बेधड़क जारी है लेकिन ताजा मामला दुर्ग जिले के अहिवारा के समीप स्थापित हो रहे जे के लक्ष्मी सीमेंट की गुण्डागर्दी का है । एक तरफ सरकार इनवेस्टर मीट के नाम पर करोड़ों खर्च कर उद्योगों को भरपूर सुविधा देने की घोषणा करती है दूसरी तरफ यहां आकर उद्योग गुण्डागर्दी कर रहे है क्या ऐसे में उद्योग यहां आने चाहिए ?
पिछले चार अंको में हमने वन्दना समूह के करतूतों पर विस्तार से प्रकाश डाला था इस बार एक और उद्योग के कारनामें बताये जा रहे है । इस उद्योग को जमीन दिलाने शासन प्रशास
न ने न केवल फर्जी जनसुनवाई की बल्कि विरोध करने वाले ग्रामीणों की पिटाई व गिरफ्तारी भी हुई । हालत यह हे कि गांव वाले आन्दोलित हे लेकिन विपक्षी कांग्रेस के नेता नदारत है । स्वाभिमान मंच ने जरूर यहां किसानों व गांव वालों का साथ दिया लेकिन सरकार तो हर हाल में उद्योग के साथ खड़ा दिख रहा है ।
छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों के चलते जल जंगल जमीन और दवा तक में उद्योगों का हक होने लगा है । अहिवारा विधानसभा क्षेत्र खासाडीह अहिवारा, गिरहोला,भलपुरी खुई, सेमरिया के किसान इन दिनों आन्दोलित है उनका न केवल जेके लक्ष्मी सीमेंट प्रबंधक पर गलत तरीके से जमीन हासिल करने का आरोप है बल्कि स्थानीय लोगों की उपेक्षा का भी आरोप है । आश्चर्य का विषय तो यह हे कि यह संयंत्र लगभग पूरी तरह कृषि भूमि पर स्थापित हे । लगभग दो हजार एकड़ जमीन कौडिय़ों के मोल खरीदने में सरकार की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता सूत्रों की माने तो लघु उद्योग लगाने के नाम पर किसानों से जमीन ट्रकड़े-ट्रकड़े में ली गई और गांव की सरकारी जमीनों पर बेतहाशा कब्जा किये जाने का आरोप किसान लगा रहे हें । यहां तक कि बगीचे, चरागन और श्मशान घाट तक उद्योग में शामिल कर लिये गए और जब गांव वालों ने इसका विरोध किया तो उनके खिलाफ ही कार्रवाई की जा रही हे ।
सूत्रों की माने तो संयंत्र प्रबंधन ने किसानों को उद्योंगों में नौकरी देने का झांसा देकर कौडिय़ों के मोल जमीन हथियायी और अब नौकरी देने से मना किया जा रहा है । यहां तक कि कंपनी के लेटर पैड पर नौकरी का आश्वासन देने की चर्चा है और ऐसी शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई करने से साफ मुकर रही है । इधर अपने को ठगा महसूस कर किसान जब आन्दोलन करने लगे तो उन्हें सुरक्षा गार्डो से पिटवाया गया और जब वे थाने पहुंचे तो वहां भी उनकी सुनवाई नहीं हुई ।
इधर किसानों के मुताबिक संयंत्र स्थापना से पहले होने वाली जनसुनवाई भी नहीं हुई और पर्यावारण मंडल मे उद्योग स्थापना की अनुमति भी दे दी । यही नहीं जनसुनवाई का विज्ञापन जानबहुझकर दिल्ली और रायपुर से प्रकाशित होने वाले ऐसे अखबार में कराया गया जिन्हें अहिवारा क्षेत्र के लोग ठीक से जानते ही नहीं है । सूत्रों की माने तो उद्योग से ही विकास की रणनीति की अवधारणा पर चल रही भाजपा की रमन सरकार को ग्रामीणों की तकलीफ से कोइ्र सरोकार नहीं है जबकि उद्योगों को बिजली पानी जमीन की सुविधाएं दी जा रही है ।