बुधवार, 25 मार्च 2020

संगठन पर सत्ता भारी अध्यक्ष मरकाम की लाचारी...


बघेल समर्थकों का दबदबा, पुरानों की छुट्टी

छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी की घोषणा के बाद यह स्पष्ट रुप से सामने आया है कि संगठन पर सत्ता हावी है और नये चेहरों के नाम पर जिस तरह से युवाओं को तवज्जों दी गई है  उसके बाद यह भी स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम संगठन को कैसे चलाने वाले हैं। हालांकि सत्ताधारी दलों में संगठनों का रोल क्या होता है यह किसी से छिपा नहीं है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस की बहुप्रतीक्षित सूची जारी  की गई तब किसी ने नहीं सोचा था कि उन चेहरों को नजरअंदाज कर दिया जायेगा जो अब तक संगठन में पहचाने जाते थे। या जिनकी पहचान कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के रुप में होते रही है। नई टीम में जिस तरह से गिरिश देवांगन को उपाध्यक्ष बनाया गया है वह भी कम हैरानी वाला नहीं है। प्रभारी महामंत्री के तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सबसे करीबी माने जाने वाले गिरिश देवांगन को संगठन के हिसाब से प्रमोशन देना कहा जा सकता है लेकिन राजनैतिक रुप से इसका अलग ही अर्थ लगाया जा रहा है। हालांकि देवांगन समर्थक यह भी कहते हैं कि चूंकि उन्हें लालबत्ती दिया जाना है इसलिए भी प्रभारी महामंत्री के पद से हटाया गया है। मोहन मरकाम ने इस मामले में अपनी पसंद के रवि घोष को प्रभारी मंत्री बनाने में जरूर सफलता पाई है लेकिन पूरी कमेटी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस बाबा का दबदबा अब भी कायम है। कन्हैया अग्रवाल, पंकज शर्मा जैसे युवा चेहरों को महामंत्री का पद देकर कांग्रेस किस तरह से राजनीति करना चाहती है यह भी आने वाले दिनों में देखना होगा। हालांकि कई चर्चित नाम सूची से गायब होने की वजह उन्हें निगम-मंडल में नियुक्ति देने की चर्चा भी है लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को ध्यान में रखकर ही दमदार व चर्चित माने जाने वाले चेहरों को संगठन से दूर रखा गया है ताकि मोहन मरकाम का ेकिसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। और वे पूरी टीम के साथ तालमेल बिठा सके। हालांकि गुरुमुख सिंह होरा, कमला मनहर, गिरिश देवांगन, अटल श्रीवास्तव जैसे आधा दर्जन ऐसे नाम भी संगठन में है जो प्रदेश अध्यक्ष पर भारी पड़ सकते हैं। 
भूपेश मंत्रिमंडल के सदस्यों में किसकी कहां चली यह कहना मुश्किल है लेकिन जिस तरह से नगरीय निकाय मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने अपनी पत्नी को कार्यसमिति में जगह दिलाई है वह भी चर्चा का विषय है। हालांकि इन दिनों मिसेस डहरिया आरंग क्षेत्र में बेहद सक्रिय है और प्राय: हर कार्यक्रमों में उनकी बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी को देखा जा सकता है। इसी तरह महापौर नहीं बनाने के बाद भी सभापति बनने वाले प्रमोद दुबे ने भी अपने विरोधियों को करार जवाब देते हुए यह साबित कर दिया है कि वे अब भी भूपेश बघेल के करीबी है यही वजह है कि उनके खास समर्थक गिरिश दुबे को एक बार फिर शहर अध्यक्ष बना दिया गया है।
बहरहाल जिला अध्यक्षों में भी महिलाओं को महत्व दिया गया है और पूरी सूची में जिस तरह से सत्ता का प्रभाव दिख रहा है वह आने वाले दिनों में मरकाम के लिए क्या असर करेगा यह वक्त ही बतायेगा।