गुरुवार, 17 जून 2010

किसने रोका अखबारों में खबर छपने से ?

मंत्री बृजमोहन अग्रवाल या पर्यटन अधिकारी
जिला कांग्रेस कमेटी ने सोचा भी नहीं रहा होगा कि जिस पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के विभाग के दो अधिकारियों के कारनामों पर जब वे पत्रकार वार्ता लेंगे तो यह खबर छप भी नहीं पायेंगी। यह पत्रकार वार्ता की खबरें किसने रुकवाई या विज्ञापन देने वाले पर्यटन मंडल की खबर खुद अखबारों ने रोकी यह जांच का विषय हो सकता है लेकिन खबर रुकने को लेकर पत्रकार वार्ता लेने वाले हैरान है।
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इंदरचंद धाड़ीवाल महामंत्री डॉ. निरंजन हरितवाल ने गुरुवार 10 जून को प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता लेकर पर्यटन मंडलके दो अधिकारियों एमजी श्रीवास्तव और अजय श्रीवास्तव पर न केवल गंभीर आरोप लगाए बल्कि पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को भी इसके लिए दोषी ठहराया। हमारे भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक वैसे तो इस पत्रकार वार्ता की सूचना के दौरान ही कई अखबारों में निर्देश जारी हो चुके थे। इधर गुरुवार को कुछ इलेक्ट्रानिक चैनलों में भी इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ खबरें प्रसारित होने लगी थी। लेकिन इस मामले में प्रिंट मीडिया की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। जितनी मुंह उतनी बातें। कोई खबर रोकने के लिए मंत्री का दबाव बता रहे हैं तो कुछ पर्यटन अधिकारियों की दमदारी। हालांकि यह भी चर्चा है कि पर्यटन से मिलने वाले विज्ञापनों के मोह ने भी खबर को प्रसारित नहीं करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
पत्रकार वार्ता में वितरित सामग्री
प्रदेश के कद्दवार मंत्री कहे जाने वाली मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के विभाग पर्यटन मंडल को भ्रष्टाचार मंडल कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। पर्यटन मंडल में पिछले कुछ वर्षों से एमजी श्रीवास्तव द्वारा महाप्रबंधक पद पर रहते हुए तथा अजय श्रीवास्तव जनसंपर्क अधिकारी एवं वरिष्ठ पर्यटन अधिकारी जिन पर धारा 302, 201, 34 का आरोप है के द्वारा मनमाने ढंग से भ्रष्टाचार, घोटाले, तानाशाही रवैय्या अपनाया जा रहा है। उसके बाद भी श्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा इन पर कोई कार्रवाई न करना। यह अपने आप में संदेहस्पद है। उपरोक्त जानकारी शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इंदरचंद धाड़ीवाल प्रभारी महामंत्री डा. निरंजन हरितवाल ने यहां एक पत्रकार वार्ता में दी। शहर
कांग्रेस के महामंत्री डा. निरंजन हरितवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ पर्यटन मंत्री को भ्रष्टाचार मंडल बनाने वाले मध्यप्रदेश पर्यटन से आए लेखाधिकारी मंदन गोपाल श्रीवास्तव के तानाशाही मनमानी बेखौफ निडरता का उदाहरण है कि पर्यटन मंडल में सीएसआईडीसी से कार्यपालन अभियंता के पद पर प्रतिनियुक्ति पर कार्य किए हुए अभियंता जी.एल. ठाकुर को कार्यपालन यंत्री के पद पर संविलियन करने का अनुमोदन एवं आदेश मंत्री बृजमोहन अग्रवाल एवं प्रमुख सचिव द्वारा नोटशीट में आदेश सन् 2008 से 2010 तक अनेको बार निर्देश दिए गए है, किन्तु मदन गोपाल श्रीवास्तव जो उपसचिव भी है ने बखूबी फाईल को उलझाकर मंत्री महोदय के निर्देश की धाियां उड़ाकर अपने आप को प्रमुख सचिव एवं मंत्री से यादा पावरफुल समझता है। आश्चर्य तो इस बात का है कि मंत्री महोदय बार-बार नोटशीट में पेज नं. 24 में दिए गए आदेश का पालन करें। लिखते है किन्तु कभी उन्होंने मदनगोपाल श्रीवास्तव से यह नहीं जानना चाहा कि अभी तक ठाकुर का आदेश क्यों नहीं निकाला? क्या यह महाप्रबंधक एमजी श्रीवास्तव एवं बृजमोजन अग्रवाल द्वारा जी.एल. ठाकुर को बहलाने की साजिश थी जबकि जीएल ठाकुर द्वारा अपने साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ कई दिनों तक गोहार लगाते रहे। मंत्री एवं सचिव को अनेकों आवेदन 3 वर्षों में दिए। लेकिन इन्हें न्याय तो नहीं मिला, हां इस चिंता से उन्हें हृदयघात जरूर हुआ। श्री धाड़ीवाल, डा. हरितवाल ने आगे कहा कि भोपाली मदन गोपाल श्रीवास्तव के प्रताड़ना के फलस्वरुप जीएल ठाकुर इतने विवश हो गए कि वे अपने मूल विभाग सीएसआईडीसी में जाने के लिए मजबूर हो गए है। इन सब के पीछे मुख्य कारण यह है कि विभाग में समस्त निर्माण कार्य श्री ठाकुर द्वारा संभवत: नियमानुसार कराने से श्री श्रीवास्तव को भ्रष्टाचार करने का मौका नहीं मिलता। इस कारण श्री ठाकुर को इंजीनियरिंग सेक्शन के पूरे कार्य से हटाया जाकर स्वयं श्रीवास्तव जी इंजीनियर बन गए है और जहां बिल पास करने के लिए जीएल ठाकुर अधिकृत है वहां सर्विस प्रोबाइटर अभियंता से नाममात्र हस्ताक्षर करवाकर मोटलों एवं निर्माण कार्यों में खूब भ्रष्टाचार किया जा रहा है। श्री श्रीवास्तव एकाउंटेंट होते हुए भी महाप्रबंधक अभियंत्री की पर्यटन मंडल है तथा छत्तीसगढ़ शासन में उपसचिव पर्यटन है एवं होटल प्रबंध संस्थान में प्राचार्य है। ठेकेदारों के बिलों को बिना तकनीकी मापदंड एवं चेकिंग के डमी सर्विस प्रोपाइटर इंजीनियर से हस्ताक्षर कराकर कमीशन बटोरना ही इनका मुख्य कार्य है। श्री धाड़ीवाल, डॉ. हरितवाल ने कहा है कि एमजी श्रीवास्तव ने भ्रष्टाचार की चरमसीमा पार कर दी। इसका उदाहरण उनका ग्रीन सीटी विशाल नगर में आलीशान बंगला है। मध्यप्रदेश पर्यटन मंडल में भ्रष्टाचार के दस्तावेज भी इनके अतीत का भ्रष्टाचार प्रमाणित करता है।
इनकी कार्यशैली का एक उदाहरण यह है कि इनके जात भाई अजय श्रीवास्तव जो कि दुग्ध संघ में प्रतिनियुक्ति पर वरिष्ठ पर्यटन अधिकारी के उच्च पद पर आए थे, उनका संविलियन उच्च पद पर भी किया गया है। जबकि जीएल ठाकुर को मंत्री एवं प्रमुख सचिव के अनुमोदन आदेश के विपरीत निम्न पद पर आदेश निकाला गया, जो कि मदन गोपाल श्रीवास्तव का शासन के मुंह पर तमाचा साबित हो चुका है। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि अजय श्रीवास्तव वरिष्ठ पर्यटन अधिकारी जिस पर सिमगा पुलिस रिकार्ड के अनुसार धारा 302 के तहत अपराध है तथा सिमगा पुलिस थाने से जनसूचना के अधिकार के तहत निकाली गई जानकारी के अनुसार फरार घोषित किया गया है तथा शैक्षणिक योग्यता के अनुसार (टूरिम एवं होटल मैंनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा) वरिष्ठ पर्यटन अधिकारी के लिए आवश्यक योग्यता नहीं होने के बाद भी ऐसे व्यक्ति का छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल को बढ़ावा देने के लिए चयन किया जाना ही विभाग की विभागीय मंत्री जी के लिए प्रश्नचिन्ह है। 11 माह का मोटल निर्माण कार्य आज 5 वर्ष में भी पूर्ण नहीं किया गया और खंडहर की स्थिति में आ चुका है तथा नक्सली लोगों के रूकने का अड्डा बन चुका है। ठेकेदारों को लम्बी अवधि का भी भुगतान किया गया है। जिससे प्रत्येक मोटलों में 50 लाख का अतिरिक्त व्यय हुआ है। इस प्रकार मदन गोपाल श्रीवास्तव द्वारा 20 करोड़ रुपए का भुगतान एवं मोटी राशि लेकर किया गया है। इस तरह के और भी ना जाने इतने भ्रष्टाचार श्रीवास्तव बन्धुओं ने किए हैं, जिसकी जानकारी अभी आना बाकी है।
शहर अध्यक्ष इंदरचंद धाड़ीवाल और महामंत्री डॉ. निरंजन हरितवाल ने पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल एवं मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से इस पूरे मामले की जांच कराया जाकर मदन गोपाल श्रीवास्तव एवं अजय श्रीवास्तव को तत्काल कार्य से निलंबित करने की मांग की है तथा कार्यवाही न होने पर 5 दिवस पश्चात पर्यटन मंडल कार्यालय में धरना प्रदर्शन किया जाएगा तथा बृजमोहन अग्रवाल एवं मुख्यमंत्री से मिलकर कार्यवाही की भी मांग की जाएगी।
नई दुनिया में खबरें तो छपी लेकिन...
पत्रकारवार्ता की खभरें सब जगह रुक गई और थोड़ी दमदारी नई दुनिया ने दिखाई और खबरें तो छापी लेकिन किस तरह छापी है आप स्वयं देख लें....
पर्यटन मंडल के अफसरों पर भ्रष्टाचार का आरोप:- शहर कांग्रेस अध्यक्ष इंदरचंद धाड़ीवाल और प्रभारी महामंत्री डा. निरंजन हरितवाल ने पर्यटन मंडल के दो अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, घोटाला और तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेताओं ने गुरुवार को पत्रकारवार्ता में बताया कि दोनों अधिकारियों के खिलाफ धारा 302, 201 व 24 का मामला दर्ज है। वे अपने आपको पावरफुल समझते हैं और उन्होंने सीएसआईडीसी के एक अभियंता की पर्यटन मंडल में संविलियन संबंधी फाइल को उलझा दिया है। मोटल निर्माण कार्य भी अधूरा है। ठेकेदारों को लंबी अवधि का भुगतान किया गया है। जिससे प्रत्येक मोटलों में 50-50 लाख का अतिरिक्त व्यय हुआ है। कांग्रेस नेताओं ने पूरे मामले की जांच कराकर दोनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की मांग की है। पांच दिन के भीतर कार्रवाई न होने पर पर्यटन मंडल कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री रमन सिंह और पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने की करोड़ों रुपए की घोटाला

छात्र भटक रहे, सरकार खामोश
छत्तीसगढ़ के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की मनमानी पर छत्तीसगढ़ सरकार की चुप्पी से नाराज कांग्रेसियों ने बड़ा आंदोलन करने की घोषणा की है। निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों पर करीब 300 छात्रों की करोड़ों रुपए दबा लेने के मामले को लेकर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इंदरचंद धाड़ीवाल और महामंत्री डॉ. निरंजन हरितवाल ने संचालनालय को ज्ञापन भी सौंपा है।
छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा तकनीकी, शिक्षा, जनशक्ति नियोजन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मंत्रालय दिनांक 19 मई 2005 के आदेशानुसार समस्त गैर अनुदान प्राप्त व्यवसायिक शैक्षणिक संस्थानों के लिए शैक्षणिक शुल्कों का निर्धारण किया गया जिसके मुताबिक निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों का वर्ष 2005-06 से कोर्स पूरा होते तक प्रतिवर्ष संलग्न प्रपत्र के अनुसार विभिन्न कालेजों को सूची के अनुसार 20 हजार से 30 हजार तक छात्र-छात्राओं से फीस लेने की पात्रता थी। इसके बाद पुन: दिनांक 19 मार्च 2010 को वर्ष 2008-09 में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राआें के लिए सलंग्न प्रपत्र के अनुसार प्रति सेमेस्टर फीस निर्धारित की गई। सभी निजी इंजीनियरिंग कालेजों द्वारा वर्ष 2008-09 में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए निर्धारित फीस का फायदा उठाते हुए उन समस्त छात्रों से भी जिन्होंने 2005-06, 2006-07, 2007-08 में प्रवेश लिया है से भी 2008-09 की बड़ी हुई फीस 20 हजार 150 रुपए से लेकर 24 हजार 150 रुपए प्रति सेमेस्टर के हिसाब से वसूल कर लिया। जबकि उन पुराने छात्रों पर बढ़ी हुई दर लागू नहीं है। वर्ष 2008-09 इस प्रकार संलग्न सूची में उल्लेखित 24 निजी इंजीनियरिंग कालेजों द्वारा 103 करोड़ रुपए की अधिक फीस छात्र-छात्राओं के साथ धोखाधड़ी कर नियम विरुध्द वसूल कर ली है। जिन्हें ब्याज सहित वापस दिलाए जावे।
इस प्रकार 24 निजी इंजीनियरिंग कालेजों के सभी 300 छात्रों को इनसे 2 वर्षों तक की अधिक फीस वसूली गई है जो 60 हजार रुपए प्रति छात्र ब्याज सहित होती है, को 15 दिनों के अंदर वापस दिलाया जावे अन्यथा कांग्रेसजन, आपके एवं निजी इंजीनियरिंग कालेजों के विरुध्द आंदोलन प्रदर्शन एवं घेराव किया जावेगा। इसके अलावा लेट फीस के नाम पर 1 हजार रुपए तक छात्रों से वसूल किया गया है, जबकि नियमानुसार 25 रुपए प्रतिदिन से अधिक लेटफीस नहीं ली जा सकती है इस प्रकार लाखों रुपए लेटफीस के नाम से छात्रों से वसूला गया है जिसे भी जांचकर वापस दिलाया जाए।
इस प्रकार पुराने छात्रों से अभी तक 103 करोड़ 68 लाख रुपए अधिक फीस वसूली गई। इसके अतिरिक्त 2010-11 में इसी दर से अतिरिक्त फीस वसूल की जावेगी। जिस पर भी रोक लगाना आवश्यक है। अत: अनुरोध है कि उन समस्त पुराने छात्रों को जिन्होंने वर्ष 2005-06 से 2007-08 तक प्रवेश किया है उन समस्त छात्रों से जो 2009-10 तक उपरोक्तानुसार अधिक फीस वसूल की गई 24 हजार रुपए प्रतिवर्ष से 2 वर्ष की याने 48 हजार रुपए की दर से तथा उस पर दो वर्ष का ब्याज जो करीब 18 हजार रुपए 18 प्रतिशत वार्षिक दर से इस प्रकार प्रत्येक छात्रों को 60 हजार रुपए अधिक वसूल की गई फीस वापस की जावे।