शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

न निलंबन, न एफ़आईआर-कड़ी कार्रवाई का प्रचार

 बच्ची का आंसू पोछने सत्त्रा व खेल...

न निलंबन, न एफ़आईआर-कड़ी कार्रवाई का प्रचार 


आलीवारा की छात्रा को जिन्दगी भर जेल की हवा खिलाने की धमकी देने वाले जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल को लोक शिक्षण संचालनालय में सहायक संचालक के पद पर बिठा दिया गया।

इस आदेश को सरकार और उससे जुड़े लोग मुख्यमंत्री के कड़े तेवर के रूप में प्रचारित-प्रसारित कर रहे हैं लेकिन यही सरकार जब न्यायालय में ट्रांसफर को सजा से इंकार करती है तब सवाल यही है कि क्या अभय जायसवाल को सरकार ने कोई सजा दी ?

सिर्फ कुर्सी बदला गया, सजा तो उसे मिली ही नहीं । लेकिन सत्ता का अपना चरित्र है और दलाल मिडिया' का अपना चरित्र।

दो दिन पहले अलिवारा स्कूल के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी दूर करने की मांग को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी से मिलने पहुंचे थे जहाँ शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल ने बच्चों को जिन्दगी भर जेल की हवा खिलाने की धमकी देते हैं। सहमी बच्चियां इस धमकी से डरीसहमी बच्चियाँ  शिक्षा अधिकारी के कक्ष से रोते-बिलखते बाहर निकलती है तो उस पर पत्रकारों की नजर पड़‌ जाती है और पत्रकारो ने जब रोने की वजह पूछी तो बच्चियों ने सब कुछ साफ-साफ बता दिया कि किस तरह से अभय जायसवाल ने उन्हें जेल की हवा खिलाने की धमकी दे रहे हैं।

इस धमकी का वीडियो जब वायरल हुआ तो प्रशासन के हाथ-पांव फूल गये, लेकिन अभय जायसवाल के खिलाक कार्रवाई करने की बजाय उनका तबादला कर यह प्रचारित किया गया कि बच्ची के आंसू देख मुख्यमंत्री ने कड़े तेवर दिखाते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को हटा दिया।

जबकि कड़ा तेवर तो तब माना जाता जब अभय जायसवाल को निलंबित किया जाता और एफ़ आई आर की जाती।

लेकिन सूत्रों  का कहना है कि लेन देन कर शिक्षा अधिकारी बनने-बनाने का खेल जब चलता हो तो फिर हटाने की प्रक्रिया को ही कड़ी कार्रवाई के रूप में प्रचारित किया जाता है। और इस मामले में भी यही हुआ। सच तो यह है कि जन आक्रोश से बचने का यह तरीक़ा है।