रविवार, 22 मार्च 2020

निजी अस्पतालों में लूट की छूट


जमीन तक लिखवा ले रहे हैं डाक्टर!
विशेष प्रतिनिधि
रायपुर। छत्तीसगढ़ में ईलाज के नाम पर डाक्टरों द्वारा चल रही लूट खसोट नया नहीं है लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद जब टीएस बाबा स्वास्थ्य मंत्री बने तो लोगों को उम्मीद थी कि बहुत कुछ ठीक कर लिया जायेगा लेकिन हॉल ही में श्री नारायणा हा
स्पिटल देवेन्द्र नगर का जो मामला सामने आया है उसके बाद तो यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य मंत्री को कोई मतलब नहीं है और रसूखदार राजनैतिक एप्रोच वाले डाक्टरों की मनमानी के आगे पूरी सरकार ही नतमस्तक है। आम आदमी ईलाज के नाम पर जमीन जायदाद बेच रहे हैं और कई अस्पतालों के डाक्टरों द्वारा इलाज का खर्चा नहीं पटाने पर स्टाम्प पेपर में जमीन तक लिखवा दी जा रही है।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित स्वास्थ्य घोटाले और स्लाटर हाउस बनते निजी अस्पतालों को लेकर हमने कई रिपोर्ट प्रकाशित की है लेकिन लगता है स्वास्थ्य मंत्री टीेस बाबा को इन बातों से कोई लेना देना नहीं है। अडानी से सेंटिंग के लिए चर्चित टीेस बाबा पर अब बड़े निजी अस्पतालों से भी सांठ-गांठ के किस्से जन चर्चा का विषय बन गया है। बताया जाता है कि जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों का निजी अस्पताल प्रबंधकों से न केवल गठजोड़ है बल्कि हर माह बंधी बंधाई रकम की वसूली के भी चर्चे हैं।
ताजा मामला तिल्दा विकासखण्ड निवासी निषाद परिवार का है जिसके एक सदस्य को सड़क दुर्घटना के बाद श्री नारायणा हास्पिटल देवेन्द्र नगर में एडमिट किया गया जहां बताया गया है छत्तीसगढ़ सरकार की योजना के तहत केवल राशन कार्ड से ईलाज किया जायेगा। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने ईलाज के नाम पर दवाई के नाम पर अलग से पैसे लगने की बात कही और जब वे  ईलाज का खर्चा उठाने में असमर्थता जाहिर करते हुए डिस्चार्ज करने की बात कही तो ढाई लाख देने के बाद ही डिस्चार्ज करने की बात कहीं। दुर्घटनाग्रस्त परिवार के विजय निषाद ने प्रेस क्लब में अपनी आप-बीती बताते हुए कहा जय निषाद पिता श्री अर्जुन निषाद निवासी राम औरिगन, तिल्दा, जिला रायपर छग का निवासी हूँ। दिनांक 02.03.2020 को मेरे पापा का किसी ने कार से एक्सीडेंट करके वहां से भाग गया जिसका ईलाज के लिए मैने श्री नारायणा हॉस्पीटल देवेन्द्र नगर में एडमीट किया डॉ. ने कहा कि आपके पापा के ऑपरेशन का खर्चा राशन कार्ड के द्वारा हो जायेगा और जो दवाई का खर्चा आयेगा वह आपको करना पड़ेगा दिनांक 14.03.2020 तक दवाई में हमने 1 लाख रुपये लगभग दवाई में लगा चुके हैं हमारे पास ईलाज के लिए और पैसे नहीं है तो हम अपने पिताजी का ईलाज सरकारी हॉस्पिटल में करना चाहते है जिसके लिए हम डॉक्टरों से पांच दिन से डिस्चार्ज करने के लिए बोल रहे हैं लेकिन वे लोग बोल रहे हैं पहले 2.50 लाख रुपये जमा करो फिर डिस्चार्ज करेंगे बोल रहे हैं। हमें ईलाज करने से पहले हमें नहीं बताया गया था कि ीलाज करने में 2.5 लाख रुपये लग जायेगा और हमें बार-बार धमकी देते हैं कि आप यहां पर साईन किये हैं हमें पता नहीं था कि उसमें क्या लिखा है हम लोग सोंचे कि डॉ. लोग हमें राशन कार्ड से ईलाज करवाने के लिए हस्ताक्षर ले रहे हैं। हमें पता नहीं था कि उसमें क्या लिखा है। अभी हमें जो भी दवाई का खर्चा आ रहा है। उसका वहन करने में हमें काफी परेशानी हो रही है हम लोग मजदूरी का काम करते हैं। हमारे पास ईलाज के लिए पैसा नहीं हो पा रहा है जिससे हमारे पिताजी का ईलाज नहीं करेंगे बोल रहे है और 2.5 लाख दोगे तभी आगे का ईलाज हो पायेगा ऐसा बोल तो अभी एटीएच क्लब द्वारा 2-3 दिन से हमें दवाई का खर्चा दिया जा रहा है। एटीएच क्लब द्वारा जब हमें बाहर से दवाई लाकर दिया गया तो पता चला कि दवाई कॉफी कम रेट में प्राप्त हुआ जो कि हॉस्पिटल के दवाईयों से कॉफी कम था। हॉस्पिटल के दवाईयों का तुलना किया गया तो दवाई का रेट बाहर के दवाई के रेट से हॉस्पीटल के दवाईयों का रेट तीन गुना ज्यादा अंतर था।
 इस दौरान वहां मौजूद एटी एच के आर्यन राव ने भी अस्पताल प्रबंधन के रवैया की आलोचना की। सूत्रों की माने तो नारायणा अस्पताल को एक दमदार पूर्व मंत्री का वरदहस्त है और वे उनके रिश्तेदारी में भी आते हैं और यही वजह है कि इस अस्पताल की शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।