गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

कुकुर ह गंगा जाही त पतरी ल कोन चाटही...


छत्तीसगढ़ म एक ठिन कहावत हे के कुकुर ह गंगा जाही त पतरी ल कोन चाटही। ए कहावत ल कोन केहे रीहिस, काखर बर केहे रीहिस। कोनो नई जानय फेर आजकल  ए कहावत के अड़बड़ जोर हे। आम आदमी पार्टी के नेता केजरीवाल अऊ समाज सेवक अन्ना हजारे के आन्दोलन ह कई झन के नींद ल उड़ा दे हे।
राजनीति में आय बदमाश चोर लुटेरा मन के नींद उड़ गे हे। अऊ अब कई झन अइसे गोठियावत हें जानो मानों ओखर मन ले बड़े हरीशचंद कोनो नहीं हे।
आम आदमी पार्टी ह राजनीति के नवा परिभाषा गढ़त हावय। ए राजधानी वाला मन ह आज ले सुरता करथे के एक झन बदमाश बालकृष्ण अग्रवाल ह कइसे बड़े-बड़े विज्ञापन छपवा के कहे रीहिस के वो ह अब सुधर गे हे फेर न तो ओखर करम ह सुधरीस न तो ओखर गुण ह बने होईस। बालकृष्ण अग्रवाल ह अपन ल बने बताय बर का का काम नहीं करीस। बड़े बड़े नेता मन संग उठईया बईठया बालकृष्ण अग्रवाल ल कोनो भुलाही।
वइसने दिल्ली म जब भाजपा ह देखीस के आम आदमी पार्टी के चारो मुड़ा जोर हे त कहे लागीस के हमन ह खरीद फरोख्त के राजनीति नहीं करन त कांग्रेस के राहुल गांधी ह काहत घुमत हे के आम आदमी पार्टी ले सीखबों।
आज के राजनीति के खेल म सबला मतवईया कांग्रेस के नेता ह जब सुधरे के बात करथे त कतकोन झन ल हंसी आ जथे। उही हाल भाजपा के होगे हावय तभे त आम आदमी पार्टी ह जोर मारत हे।
अवईया लोकसभा चुनाव बर जम्मो पार्टी ह तैयारी करत हावय अऊ जनता जनहित के तीर जाय बर अपन आप ल दुध के धुले बतावत हे। दुसर के पाप ल अइसे गिनावत हे जानो मानो ए मन ह कुछुच नहीं करे हे। तभे त वो दिन गांव के बइठका म जब चोरी के मामला आइस त जीवराखन ह कही दिस देख गा चोरी चोरी हे एक रूपया के हांवय चाहे सौ रूपया के सजा बरोबर होना चाही। अऊ पंच मन ल जीवराखन के बात ल मानेच ल पड़ीस।
अइसने कोनो पार्टी ह लाख काहय के अब तक जेन होगे तउन होगे आगु अइसने नहीं होही, कोनों नहीं पतीयाने वाला हे। सब के रंग ढंग ल देख डारे हावय। कहावत घलो हे चोर चोरी ले जाए हेराफेरी ले नहीं जावय।

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

सोचना पड़ेगा....


 दिल्ली में आई राजनैतिक विपदा से राजनैतिक दलों की चिंता बड़ा दी है। आम आदमी पार्टी को मिले 28 सीट ने पूरे देश में नई बहस छेड़ दी है कि क्या उन पार्टियों को सरकार बनाने ऐसे पार्टियों से समर्थन लेना चाहिए जो चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ खड़े थे।  यह बहस का मौका इसलिए भी आया क्योंकि सामने लोकसभा चुनाव है और इस वजह से हर दल तेरी कमीज से मेरी कमीज ज्यादा सफेद के दिखावे पर काम कर रही है वरना पिछले दो दशक के राजनैतिक हालत ऐसे कभी नहीं रहे। जिसे जहां जैसे मौका मिला राज्यों से लेकर केन्द्र तक सरकारें बनाई बिगाड़ी गई और आज जब लोकसभा चुनाव सिर पर है तो केन्द्र की सत्ता का मोह उन्हें खरीद फरोख की राजनीति से अचानक दूर कर दिया है। राजनैतिक दलों की चिंता यही है कि लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति रही तो क्या होगा ? क्योंकि जिस राह पर आम आदमी पार्टी ने कदम बढ़ाया है और इसका परिणाम दिल्ली विधानसभा के चुनाव में आया है वहीं समर्थन लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिलने की संभावना से इंकार करना मुश्किल हो गया है। सड़ चुकी राजनैतिक व्यवस्था में आम आदमी पार्टी की सोच ने आम आदमी को यह सोचने मजबूर कर ही दिया है कि आखिर कांग्रेस और भाजपा में कितना अंतर रह गया है। राज्यों से लेकर केन्द्र तक के कांग्रेस और भाजपा नेताओं की न तो गलबहियां छुपी है और न ही वोट बैंक की राजनैति ही छिप सका है। एक दूसरे के खिलाफ भ्रष्ट्राचार को लेकर आवाज उठाने वाले सत्ता पाते ही कार्रवाई से कैसे दूर भागते है और जनता इस खेल में स्वयं को ठगा सा महसूस करने लगी है। यही वजह है कि जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ तो उसे नजर अंदाज वाले भी दिल्ली के चुनाव परिणाम से न केवल भौचक है बल्कि लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की संभावना से चिंतित है। पिछले दो दशकों की राजनीति में हम किसी से कम नहीं की तर्ज पर काम करने वाली कांग्रेस और भाजपा में आए इस तत्कालीन परिवर्तन का दूरगामी परिणाम अभी आना शेष्ज्ञ है लेकिन यह तो तय है  िकआम आदमी पार्टी ने अच्छे-अच्छे को आईना दिखा दिया है। लालवत्ती के धौस और सरकारी बंगलों के रूतबे से दूर रहने के फैसले से राज्यों में बैठी सरकारों के मंत्री चितिंत हो गए है यदि ऐसे में विधायक व सांसद निधि को लेकर आम आदमी की सोच को अमली जामा पहनाया गया तो राजनैतिक दादागिरी तो खत्म होगी ही भ्रष्टाचार और स्वेच्छाचारिता पर भी विराम लगेगा। जब-जब मंत्रियों के बंगलों पर होने वाले खर्चों की खबरें आएंगी आम आदमी पार्टी और भी मजबूत होगा। गाली देने वालों के साथ सत्ता सुख या सत्ता सुख के लिए मुद्दों की अनदेखी भी आम आदमी को हताश नहीं करेगा। आम आदमी पार्टी क्या भाजपा-कांग्रेस का विकल्प हो सकती है। लोगों को सोचना पड़ेगा।

मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

आप ने कर दी सपने खाक...


आम आदमी पार्टी बनाते ही दिल्ली की सत्ता तक पहुंचे केजरीवाल को ल
ेकर जितनी चिंता समर्थन कर रही कांग्रेस को है उससे कही ज्यादा चिंता भाजपा को है।
आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है और वह इस देश में कांग्रेस-भाजपा के बाद तीसरी पार्टी बनकर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले तीसरा मोर्चा बनाकर चुनाव लडऩे की कवायद होते रही है लेकिन इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव का नजारा ही अलग होगा।
कांग्रेस और भाजपा जहां अपने अपने साथियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी तो आम आदमी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
दिल्ली के चुनाव परिणाम यदि लोकसभा चुनाव में भी दोहराया गया तब कांग्रेस और भाजपा का क्या होगा? आज तक कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों क्षेत्रिय दलों को नहीं रोक पायी है ऐसे में आप का इनसे सीधे लड़ाई का परिणाम क्या होगा? क्या आप को वजह से कांग्रेस और भाजपा ही नहीं दूसरी पार्टियों को भी नुकसान होगा। ये तमाम सवाल अभी भले ही मायने नहीं रखते हो पर सच तो यह है कि सडऩे की कगार तक पहुंच चुकी राजनैतिक व्यवस्था में आप ने ताजा हवा का झोंका की तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। दिल्ली विधानसभा के परिणाम से कांग्रेस के चेहरे पर भले ही भाजपा के सत्ता नहीं पाने का संतोष हो या भाजपा के चेहरे पर आप को लेकर मलाल हो पर सच तो यही है कि आप ने राजनीति में चली आ रही परम्परा को बदलने की कोशिश की है।
चुनाव जीतने के बाद अपनी मर्जी से विकास गढऩे की तुगलकी परम्परा को दिल्ली के लोगों ने तोडऩे में जो तेजी दिखाई है वहीं तेजी लोकसभा चुनाव में दिखाने की पहल के लिए आप तैयारी कर रही है। पूरे देश में यूपीए सरकार के खिलाफ भाजपा ने जो माहौल खड़ा किया है उस माहौल को जीत में हासिल करने में आप का रोढ़ा साफ दिखने लगा है और यदि दिल्ली में बैठी आप के फैसले अच्छे रहे तो फिर भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा।
ऐसे में भाजपा भले ही कांग्रेस पर वार करते दिख रही है लेकिन भीतर खाने में आप की चिंता भी कम नहीं है।

सोमवार, 23 दिसंबर 2013

जयचंद-मीरजाफर के जय होवय...


चुनाव होगे, सरकारो बनगे फेर हरईया मन के दुख ल कोनों नहीं समझत हे। बपरी रेणुका सिंह ह रो रो के कतका कलपे रीहिस के वोला भाजपाच के मन ह हरवाईन हे। मुख्यमंत्री घलो ह वोखर पीरा ले पिघल गे     रीहिस अऊ अइसन मन के खिलाफ कार्रवाई करे के बात करे रीहिस फेर आज तक रेणुका ह रोवत हे अऊ जयचंद अऊ मीरजाफर मन ह सरकार बने के खुशी मनावत हे।
इही हाल राजनांदगांव जिला ले लेके बस्तर अऊ सरगुजा म हे। हरईया ह हार गे अऊ पार्टी के घलो सरकार बन गे अब का करे बर हे। भीतरघात करईया मन के सूची अतेक लम्बा हे के  ओमन ल पार्टी ले निकाल दीही त लोकसभा चुनाव के का होही।
अइसने होथे जीतने वाला दल ह अपन भीतरघाती मन ल भुला जाथे अऊ सरकार बने के खुशी म मगन हो जथे। अऊ हरईया मन ह दु चार दिन जोर लगाथे अऊ तहां ले ए सोच के कलेचुप बइठ जथे के अगला चुनाव आही त महु ह मजा चखाहुं।
सत्ताबाजी दल के जब ए हाल हे त जेखर सत्ता नहीं आय हे तेखर त गोठेच बाल झन कर उहां त नीतईया घलो ह खुश नहीं हे। सत्ता आही त का का करबो कहीके सोचे रीहिन फेर सत्ता नहीं मिलीस त मुंह मसोस के रही गे।
इहों भीतरघाती मन ह सीना तान के चलत हे अऊ गोठियावत हे के कइसे कइसे करम करे बर पड़ीस हे। कांग्रेस म त अइसनेच होथे। प्रदेश अध्यक्ष चरणदास महंत ल हटाय ल पड़ गे नवा प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ल बना दिन।
भूपेश बघेल के प्रदेश अध्यक्ष बने ले अजीत जोगी ह उपरे ऊपर भले बने काहत हे फेर भीतरे भीतर जी ह कतका जरत हे तेन ल ो जानत हे अऊ ओखर जी ह जातर हे। तभे त कही दिस मे हा लोकसभा चुनाव नहीं लड़व।
अजीत जोगी ह लोकसभा नहीं लड़ही त कांग्रेस के का बिगड़ही तउन ल कोनो नहीं जानय फेर एक बात त तय हे के जोगी लडय़ चाहे झन लडय़ कांग्रेस ल छत्तीसगढ़ म खोयबर कुछु नहीं हे। पा जही त वाहवाही जरूर मिलही। अऊ कांग्रेस तीर नेता मन के घलो कमी नहीं हे एक एक सीट ले दस-दस झन दावेदार बाइठे हे जोगी नहीं लड़ही त कोनो अऊ लड़ही।
आज कल त खुला बात अऊ भीतरघात के जमाना हे तभे त भीतरघाती जयचंद मीर जाफर मन के जगह जगह पूछ होवत हे।

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

कब चेतहु...


अभी जादा दिन नहीं बीते हे आंख फोड़वा कांड ल। फेर लागथे न तो सरकार चेते हे अऊ न डाक्टर मन चेतने वाला हे तभे त शिविर लगा लगा के मनमाने आपरेशन करत हे अऊ आम लोगन ल झंझट म डारत हे।
सिमगा म नसबंदी शिविर म फेर अइसने लपर-झपर के मामला सामने आय हे। तीस बिस्तर वाला अस्पताल म शिविर लगा के 52 झन माई लोगन के आपरेशन कर दिन। अऊ ए दरी घलों के बेवास्था नहीं करीन, आधा झन ल भुईयां म सोय ल पड़ीस, जाड़ के दिन म मे सब ह अतीयाचार वो हम त अऊ काय हे।
वो त पार्षद ल पता चलीस अऊ हल्ला गुल्ला मचीस त आनन भानन म दरी वरी मंगवाय गीस। सीएमओ ह त ए लंदर फंदर काम बर स्वास्थ्य केन्द्र ल दोसी बताये पल्ला झाड़ लीस। फेर अइसने कब तक चलही तेखर जवाब कखरो तीर नहीं हे।
सरकार ह हर स्वास्थ्य केन्द्र ल शिविर लगा के नसबंदी अऊ आंख के आपरेशन करे ल केहे हे फेर डॉक्टर मन ह हड़बड़ी म एकेच दिन म मनमाने आपरेशन कर देथे। यहु नहीं देखय के हड़बड़ी म गड़बड़ी होवत हे अऊ ओखर मन के करनी ल आम आदमी ल मरे ल पड़त हे।
पउर बालोद म अइसने आंखी के आपरेशन बर शिविर लगाय रीहिस, कतेक झन के आंखी फुट गे। हल्ला मचीस त दु चार डॉक्टर मन ल सस्पेंड कर दिन अउ डॉक्टर मन हल्ला गुल्ला मचाईन त मामला के लीपा-पोती कर दिन।
छत्तीसगढ़ म स्वास्थ्य सेवा के बुरा हाल हे। सरकारी अस्पताल के त भगवानेच ह मालिक हे डॉक्टर हे त दवई नहीं हे अऊ ले दे के शिविर करवात हे तउनों ह गड़बड़ सड़बड़ चलत हे। उपर ले नवा नवा नियम अलग चलत हे। डॉक्टर मन ह अपन घर ले दुकान चलावत हे अऊ दवई कंपनी ले पइसा खाके मांहगी दवई लिखत हे।
अतका लुट मचे हे के झन पूछ कहात हे। उपर ले मजबूरी ए हे के गांव गांव म झोला छाप डॉक्टर मन छछल गे हे। का दवई देवत हे का ईलाज करत हे तेखर ठिकाना नहीं हे। अइसने में छत्तीसगढ़ के का कइसन विकास होही कोनों नई जानय।
सरकार ह जब ले 35 हजार रूपया के ईलाज के बात करे हे तब ले डॉक्टर मन के लुट ह अऊ बाढ़ गे हे। कहु कछु बीमारी बता के सीधा बच्चादानी ल निकाल लेवत हे। अइसन डॉक्टर मन के चिंहारी घलो होगे फेर एखर मन के कुछु नहीं बिगड़ीस। सरकार ह काखर अइसन मन उपर कड़ा कार्रवाई नहीं करय कोनों नहीं जानय।
जतका मुंह ततका बात। फेर एक बात महुं ल कहना है के जब तक लापरवाही बरतने वाला मन उपर कड़ा कार्रवाई नहीं होही। ए लंदर-फंदर चलत रही अऊ आम लोगन मन मरत रही।

गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

तहीं इज्जत नहीं करबे त दूसर ल का परे हे...


छत्तीसगढ़ राज बनगे अब छत्तीसगढ़ी भासा बर आंदोलन होवत हावय, विधानसभा ले लेके सड़क तक लड़ई चलत हे। स्कूल-कालेज म पढ़ाय के उदीम घलो होवत हावय फेर मामला ह हर घांव अटक जाथे।
कोनो भी राज के विकास बर उहां के भाखा-बोली के खास महत्व हे ए बात ल छत्तीसगढिय़ा मन ह कब समझही। जब तक अपन भाखा के इज्जत नहीं होही देश दुनिया म राज के इज्जत कइसे होही। गांव-गांव म रहवईया मन म हीन भावना आ जथे के वोला हिन्दी अऊ अंग्रेजी बने ढंग के नई अवय। अऊ जब कखरों म हीन भावना आ जथे त न वो ह बने ढंग के गोठियाय सकय न अपन परेशानी ल बताय सकय। तभे त अफसर मन तीर बोले म हिचकथे।
एखर सेती हमर मानना हे के जब तक छत्तीसगढ़ी ह सरकारी काम काज के भासा नहीं बनहीं छत्तीसगढिय़ा मन के विकास होना मुश्किल हे।
अतका छोटे से बात ल इहंा के नेता मन काबर नहीं समझय। वो मन काबर छत्तीसगढ़ी ले भागत हे। तउन समझ म नहीं आवय। वोट पाय बर छत्तीसगढ़ी बोलही अऊ जीत जही तहां ले मनमाने हिन्दी अंग्रेजी झाड़थे।
मोला हेमलाल के पीरा ह आज ले सुरता हे। बपरा ह नवा नवा सरपंच बने रीहिस। गांव के विकास के ओला अड़बड़ चिंता रीहिस। गांव के समस्या ल ले के मंत्री तीर गीस। मंत्री ह छत्तीसगढिय़ा हे फेर हेमलाल तीर अइसे हिन्दी झाड़त रीहिस के ओखर जी खिसियागे। सीधा सीधा कही दिस देख गा वोट मांगे बर आथस त छत्तीसगढ़ी म गोठियास आरस मंत्री बन गेस त तोर पॉवर हे अतेक बाढ़ गे। मोरेच तीर हिन्दी झाड़त हस अइसने तोर हाल रही त तोर नेतागिरी ह कब सिराही तहीं गम नहीं पावे।
उहां ले आके हेमलाल ह गांव वाला मन तीर अपन पीरा ल कतका नहीं गोठियाय रीहिस। अऊ आज हेमलाल के बात ह सिरतोकेच होगे। मंत्री ह चुनाव हार गे। ओखर अता पता नहीं हे।
रमन सरकार के हैर्टिक के शपथ ग्रहण म हिन्दी म हावथ लेवत देख आज मोला हेमलाल के गोठ-बात ह सुरता आगे। एक झन बृजमोहन अग्रवाल ल छोड़ कोनो छत्तीसगढ़ी म शपथ नहीं लीन। जेन बृजमोहन अग्रवाल ल सब झन परदेशिया कथे तेन ह छत्तीसगढ़ी म शपथ लीन अऊ जेन मन ह छत्तीसगढ़ी के नाम देश दुनिया म करना चाही तउन मन ह हिन्दी झाड़त रीहिन।
मैं ह हिन्दी भासा के विरोधी तो हंव न मोला हिन्दी बोलईया मन ले कोनो दिक्कत हे। हमर देश के भासा हे फेर मे हा अतका जानथौ के जेन ह अपन भासा के इज्जत नहीं करय वो भासा ह त समाप्त होही जथे ओखर संस्कृति ह घलो नस्ट हो जथे। अऊ वो ह इतिहास म पेढ़ के लइक रही जथे। जेन ह अपन भासा के इज्जत नहीं करय ओखर ईज्जत चलो कोनो नहीं करय।
अऊ इही हाल छत्तीसगढिय़ा नेता मन के रही त छत्तीसगढ़ के विकास कइसे होही। हमर जीयो अऊ जीयन दो के संस्कृति के का होही तेखर सेती समय रहत चेतावत हौ बाद म पछताय के सिवाय कुछु नहीं बाचहीं।

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

महु ह पीएम बनहुं...


वो दिन निहाली ह बिहिनिया बिहिनिया घाम तापत बइठे रीहिस, ततके म ओखर नाती ह आगे, अऊ डोकरा उपर झपाके कहात हावय, ए बबा महु ह पीएम बनहु, महु ल पीएम बना दे, का का करे ल पड़ही बता देतेस त वइसने वइसने कर दुहुं।
 ओखर गोठ-बात ल सुन के वो तीर जतका झन रीहिस ततका जम्मो झन हांस डारिन, फेर सरजू ह कीहिस अबे ते हा बने बढ़ लिख ले बड़े बन जा तब पीएम बनबे, अभी त तोर उमर ह नहीं होय हावय, पीएम बने बर पढ़ई लिखई के संग चुनाव घलो जीते ल पड़थे।
  फेर निहाली के नाती कहां मानने वाला हे वो ह कहे लागीस। हमर देस के पीएम मनमोहन सिंह ह त कभु चुनाव नहीं लड़े हे फेर कइसे बनगे। वोला कोन समझातीस।
 बात ल टारे बर जीवराखन ह कही दिस, जा भाग एमेर ले बड़े-बड़े तीर नहीं लागय।  फेर वोहा कहां मानने वाला हे जतका रेडिया  टीवी म सुने हे ततके ल बपरा ह जानथे। कहे लागीस वाह महु ल पीएम बनना हे। भाजपा वाला मन ह नरेन्द्र मोदी ल पीएम बना दे हावय अऊ कांग्रेस  ह घलो राहुल गांधी ल पीएम बनाबो काहत हे। ए बबा मोला ते हा पीएम बना दे न गा। तोर का बिगड़ही तेहा हौ कहा तहा ले सब  ल मै ह मना लुहु। मोरो टीवी म  फोटो आही। मे ह टीवी म देख देख के जान डारे हौ पीएम कइसे बनथे। फेर वोला कोनो समझा नहीं सकीस, साफ कही दिस वोखर संग पढ़ईया जम्मो लइका मन ह तैयार हे। वो ह किलास म का स्कूल म अउवल आथे अब त गांव वाला मन ह घलो कथे के निहाली के नाती अड़बड़ होशियार हे। निहाली के नाती के जिद ह बाढ़तेच जात रीहिस पढ़ई लिखई ल छोड़ ओखर पूरा ध्यान ह पीएम म लग गे।
खवई पीडई, खेलई, कुदई सब ल भुला दे हावय एकेच ढन रट लगाय हावय सब झन ह टीवी वाला ल कहाव के निहाली के नाती समारू ह पीएम हे। ओखरे फोटो छपही। गांव वाला मन असकटा गे त भुलवारे बर वोला कही दिस ले आज ले तै पीएम होगेस। अतका ल सुन के समारू ह खुश होगे हावय अऊ स्कूल मर म तावत रथे मैं पीएम बनगेव मैं पीएम बनगेव। अब वोलो कोन  समझावय के पीएम का होथे। भाजपा ह एखर पहिली लालकृष्ण आडवानी ल पीएम इन वेटिंग घोषित करें रीहिस, आज तक बपरा ह वेटिंग म लगे हे।

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

आप की चुनौति...


रायपुर। कांग्रेस और भाजपा की अडिय़ल रूख से पैदा हुई आम आदमी पार्टी ने जो अप्रत्याशित सफलता पाई है उससे एक बात तो तय है कि भारतीय जन मानस का दोनों ही बड़ी पार्टी से विश्वास टूटा है वहा आज भी राजनीति में उच्च आदर्श के सिद्धांत की न केवल  उम्मीद करती है बल्कि अपनी उम्मीद को साकर करने के किसी भी मौके को छोडऩा नहीं चाहती।
जन लोकपाल बिल को लेकर दिल्ली से शुरू हुई लड़ाई को जब गां-कस्बों में समर्थन मिले लगा तब भी इसे नौटंकी बताने वालों की कमी नहीं रही। कांग्रेस ने तो अन्ना के जनलोकपाल को सिरे से नकारा ही भाजपा की भूमिका भी संदिग्ध हो गई। संसद में पहुंचकर जन लोकपाल बनाने की चुनौती को स्वीकार करने वाले केजरीवाल को कम आंकना दोनों ही दलों के लिए परेशानी बढ़ाने वाला साबित हुआ और दिल्ली की जनता ने बता दिया कि वह सरकार से क्या उम्मीद रखती है।
आम आदमी पार्टी ने ििजस बेबाकी से सरकार बनाने के प्रस्ताव को नकारा है सही मायने में यह उच्च राजनैतिक सिद्धांत है जिसे इस देश की लगभग तमाम पार्टियों ने सत्ता की चाह में भुजला दिया है।
भाजपा और कांग्रेस ने गठबंधन की राजनीति में जो खेल खेला है उसे लोग नहीं भूल पाये है। राम मंदिर बनने से लेकर घारा  370 हटाने को लेकर वोट बटोरने के बाद सत्ता के लिए इन मुद्दों को त्यागना भाजपा के लिए आज भी  दाग बना हुुआ है।
 सत्ता के लिए सिद्धांतों से समझौते की परम्परा के बीच आम आदमी पाटीर्र के रूख को भले ही एक वर्ग अडिय़ल रवैया कह रहा हो पर सच तो यह है कि सिर्फ  सत्ता सुख के लिए  सिद्धांतों से समझौता न केवल अनुचित है बल्कि उन लोगों के साथ धोखा और बेईमानी है जिन लोगों ने मुद्दों की वजह से अनपा वोट और समर्थन दिया है।
इतिहास में ऐसे कितने ही उदाहरण है जब लोगों ने सिद्धांतों के आगे अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया पर वे किसी दबाव या प्रलोवन में टूटे नहीं है और वे इतिहास पुरूष बन गए है। इस  देश को आज गांधी के बाद ऐसे ही उच्च आदर्शवाले नेताओं की जरूरत है।
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में चल रहे सत्ता के खेल में स्वयं को दूर रख  एक नया आदर्श सावित किया है और हम उनसे ही ताय आदर्शो की उम्मीद करते है ताकि अब तक हो रही जनता से धोखाधड़ी बंद हो।
केजरीवाल और  उसकी पूरी पार्टी देश भर में लोकसभा का चुनाव लड़ रही है और यह कांग्रेस और भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबिह होगी। भले ही आज आम आदमी पार्टी पूरे देश बजूद को इंकार किया  जा रहा है और हमसे भी कई लोग इत्तेफाक नहीं रखते हो पर हम बता देना चाहते हैं कि आज भी इस देश में ऐसे लोगों की संख्या बहुत है जो अपने नेता में आदर्श ढूढंता है और इनकी संख्या किसी भी सरकार बनाने-बिगडऩे के लिए काफी है।