शुक्रवार, 25 जून 2010

चम्पू का कारनामा


बीज निगम में इकलौता प्रमोशन वह भी पूनम के भाई का
इसे कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू का चौधराहट कहें या सत्ता की ताकत यह तो वही जाने लेकिन जब वे बीज विकास निगम के अध्यक्ष थे तब उन्होंने पूर्व मंत्री पूनम चंद्राकर के भाई डी.के. चंद्राकर को पदोन्नति दी। बीज निगम बनने के बाद यह अब तक का इकलौता पदोन्नति आदेश है जबकि हाईकोर्ट से जीत कर आने वाले तक को पदोन्नति नहीं दिया गया।
छत्तीसगढ़ में ऐसा कोई विभाग नहीं हैं जहां भाजपाई लूट के किस्से चर्चित नहीं है। कृषि मंत्री की चौधराहट के किस्से भी कम नहीं है। बताया जाता है कि बीज विकास निगम के अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार उनके कार्यकाल में तो और अधिक होने लगा था। वसूली अधिकारियों की करतूतों पर परदा डालने की परम्परा ने बीज विकास निगम का बेड़ा गर्क कर दिया है। बताया जाता है कि बीज विकास निगम का सेटअप नहीं बना है जिसके चलते अधिकारियों कर्मचारियों में जबरदस्त रोष है। इस मांग को लेकर उच्च स्तर पर कई बार चर्चा हो चुकी है लेकिन सरकार ने भी कभी ध्यान नहीं दिया।
सूत्रों के मुताबिक सरकार की उदासीनता के चलते कई अधिकारी हाईकोर्ट से भी केस जीत चुके हैं लेकिन सेटअप नहीं होने का बहाना कर पदोन्नति नहीं दी गई। जिसके चलते अधिकारी-कर्मचारियों में जबरदस्त रोष व्याप्त है। बताया जाता है कि जब से छत्तीसगढ़ बीज विकास निगम का गठन किया गया है तब से यहां सेटअप का बहाना बना कर किसी को पदोन्नति नहीं दी गई लेकिन जैसे ही चंद्रशेखर साहू बीज विकास निगम का अध्यक्ष बने उन्होंने डी.के. चंद्राकर को डीजीएम के पद पर पदोन्नति देने का आदेश दे दिया।
सूत्रों ने बताया कि डी.के. चंद्राकर को पदोन्नति सिर्फ इसलिए दी गई क्योंकि वे भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री पूरन चंद्राकर के भाई हैं और पूनम का संबंध चंद्रशेखर साहू से बेहद मधुर है। बताया जाता है कि जब चंद्रशेखर साहू ने महासमुंद लोकसभा का चुनाव लड़ा था तब पूनम चंद्राकर ने उनकी खूब मदद की थी। पूनम चंद्राकर महासमुंद भाजपा जिला के अध्यक्ष भी रहे हैं लेकिन ननकीराम कंवर के द्वारा डॉ. रमन सिंह के खिलाफ चलाए अभियान में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें विधानसभा की टिकिट से वंचित होना पड़ा था। जिस व्यक्ति की मुख्यमंत्री से अदावत हो उसके भाई को पदोन्नति देने के मामले में चंद्रशेखर साहू की भूमिका को दुस्साहस माना जा रहा है। बहरहाल श्याम बैस के अध्यक्ष बनने के बाद पुराने अध्यक्षों के कारनामें बाहर आने लगे हैं और इसे राजनैतिक रंग भी दिए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।