मंगलवार, 6 जुलाई 2010

छापा पड़ा तो अखबार ने दुश्मनी भंजा ली...

तब विज्ञापन नहीं दिए अब भुगतो
शहर के एक प्रतिष्ठित दैनिक ने आयकर विभाग द्वारा की गई छापे की कार्रवाई की आड़ में जमकर दुश्मनी भुनाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। भारत को नया बनाने के चक्कर में लगे इस अखबार पर प्लांटेशन की आड़ में आम लोगों का करोड़ों रुपए हजम कर लेने का भी आरोप है।
छत्तीसगढ़ में व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा ने अखबारों का स्तर किस हद तक गिरा दिया है और मैनेजमेंट किस हद तक हावी है इसका उदाहरण हाल ही में बिल्डरों के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा मारे गए छापों की खबरों से देखा जा सकता है। अखबार बेचने सनसनीखेज खबरें बनाने का आरोप तो मीडिया पर लगता ही रहा है लेकिन दुश्मनी भुनाने भ्रामक खबरें छापने की नई परम्परा भी शुरू हो गई है।
बताया जाता है कि आयकर विभाग ने भाजपा नेताओं के आरती बिल्डकान, कांग्रेस के अविनाश बिल्डर्स, अटलानी और रहेजा ग्रुप पर छापे की कार्रवाई की गई लेकिन इस छापे में भाजपा की सत्ता होने की वजह से राजीव अग्रवाल और छगन मूंदड़ा सर्वाधिक चर्चा में आए। बताया जाता है कि आम लोगों में अपनी विश्वसनियता की आड़ में एक अखबार ने आरती बिल्डकॉन के खिलाफ इसलिए अभियान छेड़ दिया क्योंकि इसने कभी इस अखबार पर विज्ञापन का रिस्पांस नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए पैकेज में विज्ञापन देने से मना कर दिया और इसके प्रतिद्वंदी अखबार को विज्ञापन दिया।
खबरों को भ्रामक बनाते हुए आरती बिल्डकॉन के खिलाफ जमकर खबर प्रकाशित की गई और खबरें इस तरह बनाई गई कि लाकर जो मिले वो इन्ही ग्रुप के मिले। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक आरती बिल्डकॉन से केवल 1 लाकर मिला वह भी छगन मूंदड़ा के मां के नाम पर बैंक आफ बड़ौंदा का है छगन मूंदड़ा से 5 लाख केस बरामद हुआ जबकि यहां सोना नहीं मिला राजीव अग्रवाल से न कोई लाकर बरामद हुआ और न ही नगद रकम ही जब्त की गई। 700 ग्राम सोना जरूर जब्त हुआ वह भी बिस्किट की शक्ल में होने की वजह से। बताया जाता है कि बिल्डरों ने भारी रकम आयकर विभाग में सरेंडर की है और इस मामले में अभी भी कार्रवाई चल रही है।
हमारे सूत्रों के मुताबिक आरती बिल्डकॉन के खिलाफ किसी विमल के द्वारा लगातार की गई शिकायत पर कार्रवाई हुई और इस कार्रवाई में विमल के पार्टनर भी चपेट में आ गए। इधर कांग्रेस और भाजपा में भी यह मामला गर्म होता जा रहा है और दोनों ही दलों में इन बिल्डरों के विरोधी इन्हें पार्टी से निकालने में सक्रिय हो गए हैं।
बहरहाल छापे की कार्रवाई और इसके बाद छपी खबरों ने विज्ञापन की लालच में फंसे अखबार की प्रतिष्ठा पर आंच पहुंचाई है। कहा जाता है कि इस अखबार ने पार्षद चुनाव में भी पैकेज को लेकर महापौर किरणमयी नायक, सभापति संजय श्रीवास्तव और भाजपा प्रत्याशी विनोद अग्रवाल को भी परेशान कर चुके हैं।
मुसिबत के लिए रखे पैसे
ने मुसीबत बढ़ाई

बिल्डरों के यहां पड़े छापे में उन बिल्डरों की मुसीबत बढ़ा दी है जहां मोटी रकम बरामद हुई है। बताया जाता है कि पति से छिपा कर पैसा रखने की महिलाओं की प्रवृत्ति की वजह से बिल्डरों के घरों में मोटी रकम बरामद हुई। ऐसे ही एक बिल्डर की पत्नी ने कहा कि वे इसलिए थोड़ा-थोड़ा पैसा छिपाकर इकट्ठा रखती थी ताकि मुसीबत या अचानक जरूरत के समय काम आ सके लेकिन आयकर वालों की नजरों से ये पैसे नहीं बच सके।