सोमवार, 12 अप्रैल 2021

सातवां बेड़ा...

 

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में विदेशी  हस्तक्षेप को लेकर बाइडन ने साफ कह दिया था कि इसकी प्रतिक्रिया मिलेगी ! तब किसने सोचा था कि अमेरिका का निशाना सिर्फ रूस नहीं भारत भी होगा।

भारत के मामले में बिना चुनौती के इस तरह से सातवें बेड़े के भारतीय ईईंजेड में प्रवेश क्या अबकी बार ट्रम्प सरकार की प्रतिक्रिया है। अपने जहाज को भारत की सीमा में प्रवेश कराकर जिस तरह से प्रेस नोट जारी किया गया है वह पूरी दुनिया को जानकारी देना ही नहीं भारत की फजीहत करना भी है।

भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया ये बता रही है कि ऐसा हुआ है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में लिखा है कि यूएन कन्वेशन के तहत कोई भी देश, किसी दूसरे देश की ईईजेड में देश की अनुमति के बिना हथियार और साजो समान से लदे फ्लीट के साथ प्रवेश नहीं कर सकता। यदि जहाज में व्यापारिक वस्तएं है तो अनुमति की जरूरत नहीं।

हालांकि अमेरिका इसे अधिकार और आजादी का इस्तेमाल करने का दावा कर रही है और इसे फ्रीडम ऑफ नेविगेशन ऑपरेशन बता रही है और यह भी कहा है कि भारत के समुन्दर को लेकर किये जा रहे दावे को वह नहीं मानते और आगे भी ऐसा करते रहेंगे।

यह एक तरह से भारतीय संप्रभुता को खुलकर चुनौती है लेकिन इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी हैरान कर देने वाला है। सांतवा बेड़ा नाम सुनकर 1971 जेहन में आने लगता है। तब पाकिस्तान पर हमला करने पर अमेरिका के द्वारा धमकी दी जा रही थी वो सातवां बेड़ा भेजेंगे। और अमेरिका ने हिन्द महासागर में सातवां बेड़ा उतार भी दिया लेकिन तब इस देश की लौह महिला ने अमेरिका को आंख दिखाकर न केवल सांतवा बेड़ा को लौटने मजबूर कर दिया था बल्कि पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिये थे।

अमेरिका द्वारा किये गये इस सार्वजनिक फजिहत से पहले पाठकों को यह जान लेना चाहिए कि इंदिरा गांधी उसी जवाहर लाल नेहरु की बेटी और राहुल गांधी की दादी है जिन पर परिवारवाद का आरोप जड़ा जाता है और 70 साल में कुछ नहीं किया का दावा किया जाता है। हैरानी तो यह है कि 70 साल में कुछ नहीं करने का दावा वे लोग भी समर्थन करते हैं जो सायकल से कार में पहुंच गए?

खैर राजनीति में झूठ नफरत और अफवाह ही जिनकी सोच हो उनके बारे में ज्यादा क्या कहा जाए? जिस तरह से झूठ और नफरत की दीवार खड़ी हुई है उसी तरह से ये गिर भी जायेगी? लेकिन तब देर न हो जाए।

ऐसे में यदि चीन के बाद दूर बैठे अमेरिका भी यदि भारतीय संप्रभुता को चुनौती देने लगे तो इसका करार जवाब दिया जाना चाहिए क्योंकि अमेरिका हर चुप्पी को कमजोरी समझता है तब अमेरिका यह भी जान ले कि कमजोर देश नहीं सत्ता  हो सकता है!