छत्तीसगढ़ में स्थापित हो चुके बड़े अखबारों की सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों के साथ अलग तरह की खिचड़ी पक रही है। वैसे भी राय बनने के बाद छत्तीसगढ़ की मीडिया में नया परिवर्तन आया है कभी रुपया दो रुपया फीट पर जमीन पाने भोपाल के चक्कर लगाने पड़ते थे और दूसरे उद्योग चलाने से पहले सोचना पड़ता था।
राय बनने के बाद परिवर्तन बड़ी तेजी से आया है। सकारात्मक खबरों के चक्कर में उन खबरों पर भी बंदिशें लगनी शुरु हो गई जिससे राय या देश को सीधे नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोई अखबार वाला शॉपिंग मॉल की तैयारी में है तो कोई आयरन उद्योग में कूद रहा है। किसी के नए धंधे करने से किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती। इसलिए अखबार वाले भी अखबार के साथ दूसरा धंधा कर सकते हैं लेकिन धंधा के लिए गंदा समझौता उचित नहीं है।
यही वजह है कि अखबारों की विश्वसनियता पर सवाल उठने लगे हैं। चौक-चौराहों पर इसकी चर्चा होने लगी है और रिपोर्टरों को यह सब भुगतना भी पड़ रहा है। इन दिनों ग्राम सुराज को लेकर भी अखबारों की भूमिका भाढ की तरह हो गई थी। सुराज दल को जिस पैमाने पर गांव वालों के कोप भाजन बनना पड़ा है वह खबरों में कहीं नहीं दिखी। सरकारी विज्ञापन के दबाव में स्थानीय अखबार जिस तरह से सरकारी प्रचार का माध्यम बनता जा रहा है वह स्वस्थ पत्रकारिता के लिए चिंता का विषय है। भ्रष्ट मंत्रियों के विज्ञापन भी उतनी ही प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने लगे है ऐसे में आम लोगों की सोच भी अखबारों के प्रति बदल जाए तो नुकसान इस प्रदेश का ही होना है।
और अंत में....संवाद के खिलाफ खबर जुटाने में लगे एक पत्रकार की किस्मत अच्छी है कि उसकी नौकरी अभी तक उस अखबार के दफ्तर में कायम है वरना संवाद के खाटी अधिकारी ने तो फोन कर उसे नौकरी से निकालने का फरमान सुना ही डाला था।
http://midiaparmidiaa.blogspot.in/
बुधवार, 28 अप्रैल 2010
पूर्व मंत्री के कान्हा किसली का दौरा पर्यटन के जिम्में
साल में परिवार सहित दो दौरा
भाजपाई राजनीति को तार-तार कर कांग्रेस में मंत्री पद पाने वाले ब्राम्हण नेता भले ही भाजपाईयों के दुश्मन हो लेकिन पर्यटन मंत्री के दोस्ती का लाभ उन्हें गाहे-बगाहे अब भी मिल रहा है और साल में परिवार सहित कान्हा किसली यात्रा का खर्च पर्यटन विभाग उठाता है।
छत्तीसगढ क़ी भाजपाई राजनीति में तूफान मचा कर जोगी शासनकाल में मंत्री बन बैठे इस नेता को लेकर कांग्रेस ही नहीं भाजपा के लोग भी भद्दी गाली देते हैं। कभी राजधानी की राजनीति में एक क्षत्र राय करने वाले पूर्व मंत्री को इन दिनों राजनैतिक दुर्दिन का सामना करना पड़ा रहा है लेकिन उनके अब भी पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से मधुर संबंध है।
भले ही भाजपाई इस पूर्व मंत्री को पसंद नहीं करते लेकिन जीत हार की गणित समझने वाले बृजमोहन अग्रवाल को इससे कोई मतलब नहीं है इसलिए उनके इस पूर्व मंत्री से न केवल संबंध बने हुए हैं बल्कि उनके विभाग पर्यटन भी उनका पूरा ध्यान रखता है। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री और उनका परिवार साल में दो बार कान्हा किसली की यात्रा करता है और कहा जाता है कि इस यात्रा का पूरा खर्च पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है।
इस मामले में जब पर्यटन विभाग के अधिकारियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने खामोशी ओढ़ ली लेकिन मीडिया से जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि ऐसा तो यहां चलते रहता है यात्रा कोई करे बिल किसी के नाम पर एडजेस्ट कर दिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक पर्यटन में भारी गड़बड़ी चल रही है निर्माण कार्य से लेकर प्रचार प्रसार में मनमाने गड़बड़ी से लोग हैरान है जबकि यहां के अधिकारियों पर कार्रवाई की बजाय रिकवरी निकालकर मामला रफा-दफा किया जाता है। बहरहाल मंत्री और पूर्व मंत्री की जोड़ी को लेकर पार्टी में भी चर्चा है लेकिन कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है।
भाजपाई राजनीति को तार-तार कर कांग्रेस में मंत्री पद पाने वाले ब्राम्हण नेता भले ही भाजपाईयों के दुश्मन हो लेकिन पर्यटन मंत्री के दोस्ती का लाभ उन्हें गाहे-बगाहे अब भी मिल रहा है और साल में परिवार सहित कान्हा किसली यात्रा का खर्च पर्यटन विभाग उठाता है।
छत्तीसगढ क़ी भाजपाई राजनीति में तूफान मचा कर जोगी शासनकाल में मंत्री बन बैठे इस नेता को लेकर कांग्रेस ही नहीं भाजपा के लोग भी भद्दी गाली देते हैं। कभी राजधानी की राजनीति में एक क्षत्र राय करने वाले पूर्व मंत्री को इन दिनों राजनैतिक दुर्दिन का सामना करना पड़ा रहा है लेकिन उनके अब भी पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से मधुर संबंध है।
भले ही भाजपाई इस पूर्व मंत्री को पसंद नहीं करते लेकिन जीत हार की गणित समझने वाले बृजमोहन अग्रवाल को इससे कोई मतलब नहीं है इसलिए उनके इस पूर्व मंत्री से न केवल संबंध बने हुए हैं बल्कि उनके विभाग पर्यटन भी उनका पूरा ध्यान रखता है। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री और उनका परिवार साल में दो बार कान्हा किसली की यात्रा करता है और कहा जाता है कि इस यात्रा का पूरा खर्च पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है।
इस मामले में जब पर्यटन विभाग के अधिकारियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने खामोशी ओढ़ ली लेकिन मीडिया से जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि ऐसा तो यहां चलते रहता है यात्रा कोई करे बिल किसी के नाम पर एडजेस्ट कर दिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक पर्यटन में भारी गड़बड़ी चल रही है निर्माण कार्य से लेकर प्रचार प्रसार में मनमाने गड़बड़ी से लोग हैरान है जबकि यहां के अधिकारियों पर कार्रवाई की बजाय रिकवरी निकालकर मामला रफा-दफा किया जाता है। बहरहाल मंत्री और पूर्व मंत्री की जोड़ी को लेकर पार्टी में भी चर्चा है लेकिन कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)