गुरुवार, 15 जुलाई 2021

मोदी का मास्टरस्ट्रोक उत्तरप्रदेश चुनाव

 

उत्तरप्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर अपने मास्टरस्ट्रोक के जरिये विरोधियों को चौंका दिया है, बसपा जहां अपने अस्तित्व बचाने में लगी है तो कांग्रेस पस्त हो चुकी है, सपा जरूर संघर्ष कर रही है यही नहीं आरएसएस और योगी आदित्यनाथ भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस मास्टर स्ट्रोक से मजबूर हो गए हैं।

अपने मास्टर स्ट्रोक के लिए चर्चित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर हाल में उत्तरप्रदेश जीतना चाहते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि यदि भाजपा उत्तरप्रदेश में हार गई तो 2024 बेहद कठिन और मुश्किल हो जायेगा। ऐसे में उत्तप्रदेश की राजनीति को नजदीक से समझने वाले यह भी जानते है कि केवल कमंडल की राजनीति से दोबारा सत्ता हासिल नहीं किया जा सकता।

हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस उत्तरप्रदेश की सत्ता को बरकरार रखने जनसंख्या नीति और समान नागरिक संहिता का राग छोड़ चुके हैं लेकिन यह भाजपा का पुराना राग है और इसके सहारे उत्तरप्रदेश की वैतरणी पार करना आसान नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगे आकर मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है, प्रधानमंत्री के इस खेल ने अस्तित्व बचाने जूझ रही है बसपा के सामने नया संकट शुरु हो चुका है और उसकी हालत लोकसभा चुनाव परिणाम की तरह हो गई है। जबकि नेतृत्व संकट से जूझ रही कांग्रेस के सामने अपना पिछला प्रदर्शन बेहतर करने की चुनौती है, हालांकि प्रियंका गांधी ने जिस तरह से अपनी सक्रियता बढ़ाई है उससे कांग्रेस में नई जान फूंक दी है कहा जाए तो गलत नहीं होगा।

भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती समाजवादी पार्टी है और भाजपा जानती है कि समाजवादी पार्टी के सामने कमंडल का जादू इस बार नहीं चलने वाला है और न ही जनसंख्या नीति की फूलझरी ही काम आने वाली है। सबसे बड़ी दिक्कत यादव वोटो की है जिसे तोडऩा आसान नहीं है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार कमंडल के साथ मंडल का मास्टर स्ट्रोक खेला है। इसके तहत सबसे पहले विरेन्द्र यादव को मंत्रिमंडल में शामिल कर यादवों के बीच प्रचरित किया गया तो पिछड़ा वर्ग से 27 मंत्री बनाकर अन्य पिछड़ा वर्ग को प्रभावित करने की रणनीति बनाई गई, इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश में सत्ता और संगठन में यादव के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग की भागीदारी बढ़ाई गई तो आरएसएस में भी पिछड़ा और दलित वर्ग के लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाने लगी। ब्राम्हण या अगड़ी जाति के लिए अपनी पहचान बनाने वाले संघ को भी उत्तरप्रदेश जीतने मोदी की बात माननी पड़ी है।

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