गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

तहीं इज्जत नहीं करबे त दूसर ल का परे हे...


छत्तीसगढ़ राज बनगे अब छत्तीसगढ़ी भासा बर आंदोलन होवत हावय, विधानसभा ले लेके सड़क तक लड़ई चलत हे। स्कूल-कालेज म पढ़ाय के उदीम घलो होवत हावय फेर मामला ह हर घांव अटक जाथे।
कोनो भी राज के विकास बर उहां के भाखा-बोली के खास महत्व हे ए बात ल छत्तीसगढिय़ा मन ह कब समझही। जब तक अपन भाखा के इज्जत नहीं होही देश दुनिया म राज के इज्जत कइसे होही। गांव-गांव म रहवईया मन म हीन भावना आ जथे के वोला हिन्दी अऊ अंग्रेजी बने ढंग के नई अवय। अऊ जब कखरों म हीन भावना आ जथे त न वो ह बने ढंग के गोठियाय सकय न अपन परेशानी ल बताय सकय। तभे त अफसर मन तीर बोले म हिचकथे।
एखर सेती हमर मानना हे के जब तक छत्तीसगढ़ी ह सरकारी काम काज के भासा नहीं बनहीं छत्तीसगढिय़ा मन के विकास होना मुश्किल हे।
अतका छोटे से बात ल इहंा के नेता मन काबर नहीं समझय। वो मन काबर छत्तीसगढ़ी ले भागत हे। तउन समझ म नहीं आवय। वोट पाय बर छत्तीसगढ़ी बोलही अऊ जीत जही तहां ले मनमाने हिन्दी अंग्रेजी झाड़थे।
मोला हेमलाल के पीरा ह आज ले सुरता हे। बपरा ह नवा नवा सरपंच बने रीहिस। गांव के विकास के ओला अड़बड़ चिंता रीहिस। गांव के समस्या ल ले के मंत्री तीर गीस। मंत्री ह छत्तीसगढिय़ा हे फेर हेमलाल तीर अइसे हिन्दी झाड़त रीहिस के ओखर जी खिसियागे। सीधा सीधा कही दिस देख गा वोट मांगे बर आथस त छत्तीसगढ़ी म गोठियास आरस मंत्री बन गेस त तोर पॉवर हे अतेक बाढ़ गे। मोरेच तीर हिन्दी झाड़त हस अइसने तोर हाल रही त तोर नेतागिरी ह कब सिराही तहीं गम नहीं पावे।
उहां ले आके हेमलाल ह गांव वाला मन तीर अपन पीरा ल कतका नहीं गोठियाय रीहिस। अऊ आज हेमलाल के बात ह सिरतोकेच होगे। मंत्री ह चुनाव हार गे। ओखर अता पता नहीं हे।
रमन सरकार के हैर्टिक के शपथ ग्रहण म हिन्दी म हावथ लेवत देख आज मोला हेमलाल के गोठ-बात ह सुरता आगे। एक झन बृजमोहन अग्रवाल ल छोड़ कोनो छत्तीसगढ़ी म शपथ नहीं लीन। जेन बृजमोहन अग्रवाल ल सब झन परदेशिया कथे तेन ह छत्तीसगढ़ी म शपथ लीन अऊ जेन मन ह छत्तीसगढ़ी के नाम देश दुनिया म करना चाही तउन मन ह हिन्दी झाड़त रीहिन।
मैं ह हिन्दी भासा के विरोधी तो हंव न मोला हिन्दी बोलईया मन ले कोनो दिक्कत हे। हमर देश के भासा हे फेर मे हा अतका जानथौ के जेन ह अपन भासा के इज्जत नहीं करय वो भासा ह त समाप्त होही जथे ओखर संस्कृति ह घलो नस्ट हो जथे। अऊ वो ह इतिहास म पेढ़ के लइक रही जथे। जेन ह अपन भासा के इज्जत नहीं करय ओखर ईज्जत चलो कोनो नहीं करय।
अऊ इही हाल छत्तीसगढिय़ा नेता मन के रही त छत्तीसगढ़ के विकास कइसे होही। हमर जीयो अऊ जीयन दो के संस्कृति के का होही तेखर सेती समय रहत चेतावत हौ बाद म पछताय के सिवाय कुछु नहीं बाचहीं।