शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

पुलक से पल्लवित होगा मूणत का खेल



सीतापुर तबादले में जाने के चार माह में ही वापसी
 एक तरफ जब पुरी भाजपा केन्द्र की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार पर हल्ला मचा रही है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्री भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं । वैसे तो मुख्यमंत्री सहित सारे मंत्रियों पर भ्रष्ट अफसरों को बचाने का आरोप है लेकिन प्रदेश सरकार के मंत्री राजेश मूणत ने जिस तरह से चार महिने में ही पुलक भट्टाचार्य को वापस अपने विभाग में बुला लिया उससे सरकार की किरकिरी ही हो रही है ।
बेलगाम अफसर या प्रशासनिक आतंक की कहानी थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं । यही वजह है कि मंत्रियों की करतूत से जहां आम आदमी का बुरा हाल है वही भ्रष्ट अफसरों के मजे हैं । खासकर राजधानी में जमीन से जुड़े मामलों में मंत्रियों की रूचि देखते ही बन रही है । चौतरफा अंधेरगर्दी का आलाम यह है कि चहेते अफसरों के लिए नियम कानून तक ताक पर रखे जा रहे हे । यही वजह है कि चार महिने पहले नगर निगम रायपुर से सीतापुर भेजे गए तहसीलदार पुलक भट्टाचार्य की न केवल वापसी कर ली गई बल्कि कमल विहार जेसे महत्वपूर्ण योजना में बिठा दिया गया । कहां जाता है कि यह सारा खेल प्रदेश सरकार के मंत्री राजेश मूणत का है और उन्ही की रूचि के चलते पुल्लक भट्टाचार्य जैसे अफसर की चार महिने में ही वापसी हो गई ।
सूत्रों का कहना है कि पुलक भट्टाचार्य की वापसी के पीछे सिर्फ कमल विहार प्रोजेक्ट ही नहीं है बल्कि जमीन के दूसरे मामले भी है । दरअसल पुलक भट्टाचार्य पर यह भी आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान राजधानी व इसके आस पास की जमीनों का जबर दस्त खेल हुआ है । सरकारी जमीनों की बंदर बांट से लेकर कब्जे की कहानी में पुलक भट्टाचार्य का नाम है और पुलक की वापसी की वजह भी जमीन ही है । सूत्रों की माने तो पुलक के पास नामी-बेनामी जमीनों की भरपूर जानकारी है और मंत्रियों को खुश रखने में माहिर मूणत को चार माह पहले दबाव में जब सीतापुर तबादला किया गया था तभी से उनकी वापसी की चर्चा रही है । कहा जाता हे कि तबादले के बाद भी राजेश मूणत से उनकी नजदीकी की चर्चा होते रही है ।
बंगाली मूल के इस अफसर की करतूतों की वैसे तो कई तरह की चर्चा है और कहां जाता है कि मंत्रियों के शह पर उन पर बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप है । कहा जाता है कि पुलक भट्टाचार्य की करतूतों से पार्टी के कई कार्यकर्ता नाराज है और यही वजह है कि संगठन खेमें ने भी उनकी वापसी का विरोध किया था लेकिन राजेश मूणत के जिद के आगे किसी की नहीं चली । इधर पुलक भट्टाचार्य की वापसी को लेकर कई ऐसे बिल्डर भी खुश है जो अवैध कब्जे में माहिर है जबकि रायपुर विकास प्राधिकरण में इसका भारी विरोध है ।
बहरहाल पुलक की वापसी से राजेश मूणत का कितना भला होगा यह तो वही जाने लेकिन सरकार के इस रूख से भाजपा को जरूर नुकसान हो सकता है ।