शुक्रवार, 30 अगस्त 2024

दयाल दास की दुविधा…

 दयाल दास की दुविधा


बलौदा बाजार हिंसा में समाज की नाराजगी की परवाह नहीं कर विष्णु देव साय सरकार के लिए सीना ठोंक कर ढाल बनने वाले प्रदेश सरकार के मंत्री दयालदास बघेल इन दिनों भारी दुविधा में है, और कहा जा  रहा है कि इस दुविधा का असर भी अब दिखाई देने लगा है।

द‌याल दास की दुविधा क्या है यह हम बताये उससे पहले बता देते हैं कि रमन सरकार में दो दो बार मंत्री रह चुके द‌याल दास बघेल ने जब तीसरी पारी की शुरुआत की तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि समाज के गुरु को चुनावी पटखनी देने के बाद उन्हें विष्णुदेव सरकार पर आये मुसिबत के लिए समाज से भी नाराजगी मोल लेनी होगी।

हालांकि आरक्षित सीटों से लड़ने वाले भाजपाई यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि चुनावी जीत में अपने समाज से ज्यादा दूसरे समाज के वोट से ही वे चुनाव जीतते हैं इसलिए बलौदाबार हिंसा को लेकर समाज के बेगुनाहो की पुलिसिया प्रताड़ना पर भी चुप्पी रही।वैसे भी इस तरह की नाराजगी की परवाह भाजपा से जुड़े नेता नहीं करते।

लेकिन दुविधा यह नहीं है कि समाज के लोग नाराज होंगे तो क्या होगा, दुविधा तो यह है कि  क्षेत्र के लोगों को अब मिलने के लिए नया रायपुर तक आना होगा। 

ऐसे में सतनाम सदन कैसे और कब छोड़ा जाए या नहीं छोड़ा जाए। दरअसल नई राजधानी में मंत्रियों के लिए बंगला तैयार हो चुका है और द‌यालदास बघेल के नाम एक बंगला आबंटित भी किया जा चुका है। बंगले के रखरखाव पर खर्च भी हो रहा है ऐसे में उन पर सतनाम सदन छोड्‌ने का दबाव भी बढ़‌ने लगा है।

एक तरफ नये बंगले में जाने का मोह तो दुसरी तरफ जनता से कटने का डर ? अब इस दुविधा से मुक्ति का मार्ग कोई कैसे सुझा सकता है। क्योंकि वे यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि पार्टी का रवैया क्या होगा।