शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

जिस केस का वकील उसी का आर्बिटेटर बना

घोटालेबाजों का जमानामहाधिवक्ता है सुराना-४
देवराज सुराना व उनके परिवार की कंपनियों द्वारा मंदिर और आदिवासियों की जमीन हड़पने की कहानी के बीच हाईकोर्ट को अंधेरे में रखकर आर्बिटेटर (मध्यस्थ) बनने की कहानी भी अजूबा है और यह सब इतनी चालाकी से किया गया कि कोर्ट तक को अंधेरे में रखा गया या कोर्ट को धोखा दिया कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
इस सबके बाद भी महाधिवक्ता बने रहने का अधिकार किसी को कैसे दिया जा सकता है यह सवाल जन मानस में तैर रहा है। महाधिवक्ता देवराज सुराना जनसंघ के जमाने से वकीली के साथ राजनीति से जुड़े रहे और वे चुनाव तक लड़ चुके हैं शायद पार्टी में उनकी सेवा ने ही भाजपा सरकार को उन्हें महाधिवक्ता बनाने की प्रेरणा दी हो। वैसे भी अपराधियों से गठजोड़ राजनीति की नई कहानी नहीं है। इस बार पर हम यहां ऐसे मामले का खुलासा कर रहे हैं जो उच्च न्यायालय को धोखा देने की कहानी को बयान करती है। दरअसल पूरे मामले की कहानी सदानी मार्केट और गुढ़ियारी के थोक व्यापारियों के बीच चल रहे विवाद की है। बताया जाता है कि गुढ़ियारी मार्केट को सदानी मार्केट में
शिफ्ट करने का मामला जब कोर्ट पहुंचा तो देवराज सुराना को सदानी मार्केट की तरफ से वकील नियुक्त किया गया और बाद में जब मामला उलझता गया और हाईकोर्ट ने जब इस मामले को सुलझाने आर्बिरेटर नियुक्त करने का फैसला लिया तो गुढ़ियारी के व्यापारी यह देखकर दंग रह गए कि देवराज सुराना को ही आर्बिटेटर बनाया गया। जबकि नियमानुसार केस में नियुक्त वकील को आर्बिटेटर नहीं बनाया जा सकता।
इस मामले में पता चला कि देवराज सुराना ने हाईकोर्ट को धोखा दिया और यह बात छिपाई कि वे इस केस में वकील रहे हैं। इधर यह भी पता चला है कि गुढ़ियारी थोक व्यापारी इस मामले को कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं। इधर देवराज सुराना के आर्बिरेटर बनने से गुढ़ियारी के व्यापारियों को न्याय की उम्मीद नहीं है और वे कहते हैं कि आर्बिरेटर यानी भगवान होता है और जो किसी का वकील हो वह कैसे सही फैसला देगा। बहरहाल इस मामले को लेकर गुढ़ियारी के व्यापारियों में बेहद आक्रोश है और वे इस मामले में शीघ्र ही निर्णय ले सकते हैं।
मंत्री का है साथ तो