रविवार, 20 जून 2021

हिन्दू-मुस्लिम के अलावा कोई मुद्दा नहीं...

 

जिस काला धन को विदेश से वापस लाने का दावा कर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी अब खामोश है और काला धन दो गुना हो गया, जिस महंगाई को कम करने का दावा था वह भी लगभग दो गुना हो गया, दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का दावा ने तो कितनो की ही नौकरी छीन ली। न आतंकवादियों का कमर टूटा न भ्रष्टाचार का खेल ही खत्म हो रहा है उसके बाद भी भाजपा यदि चुनावों में जीत का दावा कर रही है, आयेगा तो मोदी ही का दावा कर रही है तो इसका मतलब साफ है कि धर्म अब जहर बन चुका है और राष्ट्रवाद कोढ़।

देश में सबका साथ सबका विकास का नारा जब जुमला बन जाए और जनता से किये वादों पर सत्ता की चुप्पी हो तो फिर चुनाव जीतने का सशक्त माध्यम झूठ-नफरत और अफवाह के अलावा कुछ हो भी नहीं हो सकता। पिछले 90-95 साल से या यूं कहें कि आजादी के बाद से धर्म को लेकर नफरत का जो बीज बोया गया वह परवान चढ़ चुका है और जब तक आदमी स्वयं धोखा नहीं खायेगा तब तक यह परवान उतरने वाला भी नहीं है।

यही वजह है कि इस देश में चल रहा किसान आंदोलन अपने रिकार्ड दिन गितने आगे बढ़ रहा है और सत्ता इस आंदोलन से इसलिए भी विचलित नहीं है क्योंकि वह जानती है धर्म का जहर फैल चुका है। हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति सत्ता तक पहुंचने के लिए ज्यादा सुविधाजनक रास्ता है तब वह किसान की नाराजगी से क्यों विचलित हो। विचलित तो वह पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और इसे लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन से भी नहीं है क्योंकि अब भी ऐसे जहर बुझे लोग हैं जो साफ कहते हैं कि हिन्दु धर्म को बचाने वे दो सौ रुपए लीटर या उससे अधिक में भी खरीदी कर सकते हैं। यानी महंगाई भी इस हिन्दू-मुस्लिम के आगे बौनी है। आप चिखते रहे महंगाई डायन खाय जात हे और डायन धर्म की राजनीति के सहारे सत्ता तक पहुंचा देगी।

ऐसे में राहुल गांधी को छोड़ शेष कांग्रेसी अब भी सिर्फ प्रदर्शन के नाटक पर निर्भर है तो इसका मतलब साफ है कि सत्ता की मनमानी को रोकने का कोई कारगर न तो उपाय है और न ही नफरत की राजनीति का कोई तोड़ ही है। इस खेल में इन दिनों पूंजी महत्वपूर्ण हो चला है और यदि पूंजी भी सत्ता के साथ है तब बर्बादी का नया अध्याय लिखा जायेगा। यही वजह है कि सत्ता अब विदेशी बैंक में बढ़ रहे पूंजी के प्रति लापरवाह है, उन्हें उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं करनी है और न ही नाम ही सार्वजनिक करने हैं क्योंकि चुनाव में बांटे जाने वाले काले धन विदेशों से ही आयेंगे। 

तब सवाल यही है कि आम आदमी क्या करे, क्योंकि सत्ता ने तो विरोध के स्वर को पहले ही पप्पू घोषित कर रखा है और जनता भी उन्हें पप्पू मान चुकी है इसलिए जैसे तैसे परिवार चलायें, मस्त रहें सत्ता तो उन्हीं की रहेगी।