रविवार, 14 जुलाई 2024

अब जेल जाने से कौन बचायेगा...

 बाबा रामदेव फिर फँस गये 

अब जेल जाने से कौन बचायेगा...

 क्या सुप्रीम कोर्ट से बड़े हो गये बाबा...


मोदी सत्ता के  आते ही अपने व्यापार को कई गुणा बड़ाने वाले व्यापारियों में से एक व्यापारी बाबा रामदेव का अब जेल जाना तय माना जा रहा है। हालांकि रामदेव के सिर पर किसका हाथ है यह किती से छिपा नहीं है और वे इसी ताकतवर हाथ के चलते जेल जाने से बचते रहे है।

ज्ञात हो कि पन्तजलि समूह की करतूत को लेकर चल रहे एक मामले में बाबा रामदेव ने किस तरह से हेठी दिखाई थी वह किसी से छिपा नहीं है। भ्रामक प्रचार के इस मामले में बाबा रामदेव ने किस तरह से सुप्रीम कोर्ट को बेवकूफ बनाने की कोशिश की यह बताने की जरूरत नहीं है कि बाबा रामदेव और  बालकृष्ण ने पहले माफी माँगने का नाटक किया, फिर सुप्रीम कोर्ट नाराज हुआ तो विज्ञापन छोटा सा छपवाया, फिर सुप्रीम कोर्ट नाराज हुआ तो बड़ा विज्ञापन छपवावर माफी मांगी।

इसने बाद सरकार ने बाबा रामदेव के पंतजलि समूह की 14  दवाईयों को प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन जिस ततह की खबरे आ रही है इससे साफ़ हो गया है कि इन दवाओं की न केवल धड़ल्ले से निर्माण हो रहा है बल्कि पंतजलि के स्टोर में धड़ल्ले से बिक रहा है।

लेकिन इस माम‌ले की सुनवाई के के दौरान एक बार फिर बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से झूठ  बोला कि न तो इन 14 प्रतिबंधित दवाओ का प्रचार प्रसार किया जा रहा है और न ही इसकी बिकी ही हो रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बाबा रामदेव को शपब पत्र देने कहा है।


लेकिन दूसरी तरफ़ इस मामले को लेकर हिन्दूस्तान टाईम्स ने स्ट्रीग़ आपरेशन करके बाबा रामदेव के झूठ का पर्दाफ़ाश कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 जुलाई) को पतंजलि आयुर्वेद को यह सबूत देने का निर्देश दिया था कि उसने अप्रैल में उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग विभाग द्वारा प्रतिबंधित उसके 14 प्रॉडक्ट्स की बिक्री और विज्ञापन बंद कर दिए हैं। इस दौरान कंपनी ने दावा किया कि उसने सभी स्टोर मालिकों, विज्ञापन आउटलेटों को उन उत्‍पादों की ब‍िक्री रोकने संबंधी सर्कुलर दे द‍िया था और मीड‍िया के जर‍िए भी इसे प्रचार‍ित कर द‍िया था। लेक‍िन, एनडीटीवी और हिंदुस्तान टाइम्स के स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया गया है कि बैन किए गए प्रॉडक्‍ट्स अभी भी स्टोर्स में खुलेआम बिक रहे हैं।

खुलेआम बिक रहे बैन प्रॉडक्ट्स

एनडीटीवी का दावा है क‍ि उसके स्टिंग ऑपरेशन में पता चला है कि जिन 14 प्रॉडक्‍ट्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें से अधिकांश दिल्ली-एनसीआर और कई अन्य राज्यों में पतंजल‍ि के फ्रेंचाइजी स्टोर्स पर ग्राहकों के लिए उपलब्ध हैं।


वहीं,हिंदुस्तान टाइम्स में भी दावा है क‍ि चार शहरों- दिल्ली, लखनऊ, पटना और देहरादून में पतंजलि स्टोर्स में जाने पर उसे वे अधिकांश उत्पाद ब‍िकते म‍िले, ज‍िन्‍हें बैन करने का आदेश है।

इस दौरान स्वासारि वटी, दृष्टि आई ड्रॉप्स, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट सहित कई उत्पाद दुकानों में पाए गए। जब पूछताछ की गई तो दुकानदार ने कहा कि उसे ये प्रॉडक्‍ट्स बेचना बंद करने के लिए नहीं कहा गया है।

14 पतंजलि प्रोडक्ट्स पर लगा था बैन

दरअसल, अप्रैल में उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने 14 पतंजलि आयुर्वेद, दिव्य फार्मेसी उत्पादों पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया है और 15 अप्रैल को उसी संबंध में आदेश जारी किया है। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 159(1) के तहत यह कार्रवाई की गई है।

शीर्ष अदालत का मंगलवार का आदेश उत्तराखंड सरकार के हलफनामे के बावजूद पारित किया गया, जिसमें अदालत को सूचित किया गया था कि 15 अप्रैल को लगाया गया प्रतिबंध राज्य के एक अन्य विभाग द्वारा प्रक्रियात्मक आधार पर रद्द कर दिया गया था। जिसके बाद 8 जुलाई को पतंजलि को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। हालांकि, पतंजलि के वकील ने कहा कि कंपनी को अभी तक प्रतिबंध हटाने के संबंध में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है और कंपनी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से बंधी हुई है।


बाबा रामदेव-बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी- देश सेवा का बहाना मत बनाओ, आप चाहें कितने ऊंचे हों, कानून की महिमा सबसे ऊपर, आपने सारी सीमाएं लांघ दींपतंजलि को दाखिल करना होगा 

पतंजलि आयुर्वेद ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने उन 14 उत्पादों की बिक्री बंद कर दी है जिनके लाइसेंस अप्रैल में उत्तराखंड में एक राज्य प्राधिकरण द्वारा निलंबित कर दिए गए थे।

योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा स्थापित कंपनी ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को बताया कि उसने 5,606 फ्रेंचाइजी स्टोरों से वो 14 प्रॉडक्‍ट्स वापस लेने को कहा है। साथ ही पतंजलि आयुर्वेद ने यह भी कहा कि उसने सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स से इन उत्पादों के विज्ञापन वापस लेने के लिए कहा है।

अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को एक हलफनामा दाखिल कर यह बताने का आदेश दिया कि बैन किए गए 14 उत्‍पादों की ब‍िक्री रोक दी गई है। पतंजलि के वकीलों ने हलफनामा दाखिल करने के निर्देश को स्वीकार कर लिया है। यह हलफनामा दो सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाना है। मामले में अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।

गौरतलब है कि अदालत एलोपैथी के खिलाफ बोलने वाले वाले और कुछ बीमारियों के इलाज के दावे करने वाले पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ आईएमए द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।

मोदी सरकार का ‘मेडिकल राष्ट्रवाद’, पतंजलि को समर्थन देकर ऐसे साधी गई सियासतइन पतंजलि प्रॉडक्‍ट्स को किया गया है बैन

1. स्वसारि गोल्ड (Swasari Gold)

2. स्वसारि वटी (Swasari Vati)

3. ब्रोंकोम (Bronchom)

4. स्वसारि प्रवाही (Swasari Pravahi)

5. स्वासारी अवलेह (Swasari Avaleh)

6. मुक्तावटी एक्स्ट्रा पावर (MuktaVati Extra Power)

7. लिपिडोम (Lipidom)

8. बीपी ग्रिट (Bp Grit)

9. मधुग्रिट (Madhugrit)

10. मधुनाशिनीवटी एक्स्ट्रा पावर (MadhunashiniVati Extra Power)

11. लिवामृत एडवांस (Livamrit Advance)

12. लीवोग्रिट (Livogrit)

13. आईग्रिट गोल्ड (Eyegrit Gold)

14. पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप (Patanjali Drishti Eye Drop)


पतंजलि फूड्स को राहत

वहीं, दूसरी ओर पतंजलि फूड्स को राहत देते हुए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते कंपनी के कच्चे पाम तेल के आयात पर लगाए गए 62 लाख रुपये के बढ़े हुए सीमा शुल्क के आदेश को रद्द कर दिया। जस्टिस केआर श्रीराम और जस्टिस जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने पाया कि तेल पर जो कस्टम ड्यूटी जो 13 मई, 2021 को रात 8.20 बजे से 9 बजे के बीच लगाई गयी थी उसे उसी दिन लगभग 9.24 बजे जारी एक टैरिफ अधिसूचना के आधार पर और बढ़ा दिया गया था। कोर्ट ने माना कि बढ़ी हुई ड्यूटी लगाना कानून के खिलाफ है। हौरतलब है कि पतंजलि आयुर्वेद समूह समूह का हिस्सा, पतंजलि फूड्स मुख्य रूप से खाद्य तेल व्यवसाय में शामिल है।

रेत माफियाओं का बढ़‌ता कहर

 रेत माफियाओ का बढ़‌ता कहर


छत्तीसगढ़ में रेत माफियाओं का कहर अब सर चढ़‌कर बोलने लगा है। हालांकि अभी मामला सिर्फ झड्प और धमकी चमकी तक ही सीमित है लेकिन यही स्थिति रही तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

प्रदेश में बारिश के मौसम में रेत उत्खनन का कार्य पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन कई जिलों से जो खबरें आ रही है वह हैरान कर देने वाली इसलिए भी है क्योंकि खनिज विभाग मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास है और प्रतिबंध के बाद भी यदि रेत का कार्य धड़ल्ले से चल रहा है तो इसकी दो ही वजह है, या तो रेत माफियाओं को उत्खनन की छूट दे दी गई है या फिर मुख्यमंत्री से यह विभाग संभल नहीं रहा है।

हालांकि खनिज विभाग ने इस दौरान कुछ कार्रवाई की है लेकिन कहा जा रहा कि इस दौरान जितनी भी कार्रवाई की गई है वह लोगों के दबाव में की गई है और कारवाई के  नाम पर खानापूर्ति की गई है।

बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में रेत माफियाकों की सक्रियता राज्य बनने के बाद से ही शुरू हो चुका था , इन माफियाओं को बक़ायदा राजौतिक संरक्षण भी मिलता रहा है, यही नहीं इस खेल में कहें विधायकों के रिश्तेदारो की सक्रिय भूमिका भी पाई गई है। जोगी- राज में तो तिवारी -जैन की जोड़ी ने जिस धड़ल्ले से काम किया था, उसे लोग आज भी नहीं नहीं भूल पाये हैं।

इसके बाद भी रमन राज हो या भूपेश राज रेत माफियाकों ने जमकर उत्पात मचाया । 

ऐसे में अब जब प्रतिबंधित समय में बड़े पैमाने पर खुले आम रेत का उत्खनन हो रहा है तब क्या इन्हें साय सरकार का सरक्षण है। और इस संरक्षण की वजह से ही रेत माफियाओं के पक्ष में विरोध करने वालों को डराने-धमकाने में राजस्व विभाग के अधिकारी भी खुलकर आ गये हैं।

ऐसा ही एक मामले का आडियो वायरल हो रहा है जिसमें धमतरी क्षेत्र के नायब तहसीलदार ज्योति सिंह के द्वारा जिला पंचायत सदस्य खूबलात ध्रुव के बीच बहस हैरान करने वाला है, और इससे भी ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि अभी तक ज्योति सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होना।

इधर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष नीलू चंद्राकर के एक रेत से भरे हाइवे की चपेट  में आने से बच जाने की घटना से बवाल मच गया है हालांकि इस मामले को शांत करने की कोशिश भी हुई लेकिन जिस तरह से एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है वह साय सरकार के क्रिया कलापों पर सवाल उठाते हैं।