सोमवार, 2 अगस्त 2010

प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं, आफत में अस्तित्व

छत्तीसगढ़ में अखबारी आंकड़े राय बनने के बाद जिस तेजी से बड़ा है उससे अखबारों में संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है। पत्रिका सहित कुछ और अखबारों के आगमन की आहट से पुराने जमें अखबारों के सामने अस्तित्व बचाने की कवायद शुरु हो गई है। सर्वाधिक दुविधापूर्ण स्थिति नवभारत, भास्कर की है ये दोनों अपने को सर्वश्रेष्ठ बनाने जूझते रहे हैं। ऐसे में नए अखबार के आगाज ही इनके होश उड़ाने वाले होते है। अब नवभारत की बात ही दूसरी है। उसकी विश्वसनियता का एक जमाने में जबरदस्त जलवा रहा है लेकिन कहते हैं जब से सेटीमीटर कालम में खबरें छपने लगी उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे है। शायद यही वजह है कि भोपाल में नवभारत की दुर्गति हुई है और कहते है कि यहां भी रंगा-बिल्ला की जोड़ी ने वही हरकतें शुरु कर दी है।
'हकीकत' कौन लिखता है
प्रेस जगत में अब एक नया सवाल उठने लगा है कि जिसे हिन्दी बोलने तक नहीं आती वह हकीकत कैसे लिख सकता है। चर्चा है जगदलपुर से लेख मंगाकर अपने नाम में छपाया जा रहा है।
पार्षद पति भी पांच-पांच
सौ बांटने लगे
...
लगता है सलीम अशरफी ने पांच-पांच सौ रुपए बांटकर नया रास्ता शुरु कर दिया है तभी आश्रम के पास धरने का आयोजन करने वाले पार्षद पति धर्मेन्द्र तिवारी ने भी पत्रकारों और फोटो ग्राफरों को पांच-पांच सौ रुपए दे डाले। दुविधा यही है कि जिन्हें नहीं मिला वे अब भी उनसे संपर्क की कोशिश में है।
'परमार ने पाया'
भास्कर के लिए जी जान देने वाले रामकुमार परमार को भास्कर ने ही अपना नहीं समझा और दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका। इसमें बेचारा परमार कोशिश करते रहा कि अपने नमक हलाली का सबूत दे लेकिन अब जाकर जनसत्ता ने यह मौका दिया है। वेतन कितना पता नहीं।
हरिभूमि की बैंडपार्टी
स्कूल छोड़ने के बाद किसी की ईच्छा नहीं होती ड्रेस पहनने की लेकिन हरिभूमि में नौकरी करनी है तो हर शनिवार को हरिभूमि का ड्रेस पहन प्रचार करना ही होगा। अब तो इसे बैंड पार्टी कहा जाने लगा है। बेचारे क्या करें। नौकरी करनी है तो कलम भले न चलावें ड्रेस तो पहननी ही होगी।
पत्रिका आकर्षण...
पत्रिका में जाने मीडिया कर्मियों में होड़ मची है। कहा जाता है कि सर्वाधिक लोग नई दुनिया से गए हैं। नई दुनिया से पत्रिका जाने वालों में अनुपम सक्सेना, राहुल जैन, संजीत कुमार (सिटी चीफ), पराग मिश्रा तथा यहां के दो फोटोग्राफर विनय घाटगे और त्रिलोचन मानिकपुरी शामिल है। इसी तरह नवभारत के अखिलेश तिवारी हरिभूमि से राव और भास्कर से राजेश जॉनपाल, गोविन्द ठाकरे, मोहम्मद अजगल, सुदीप त्रिपाठी व निश्चय खरे ने पत्रिका की ओर कूच कर दिया है। इनमें से कुछ तो अपने संपादकों से बेहद प्रताड़ित थे। खासकर नई दुनिया वाले तो संपादक की प्रताड़ना से त्रस्त थे।
किसी ने आईएएस का
एप्रोच लिया तो...
पत्रकारों का आईएएस से मधुर संबंधों की बात नई नहीं है। अब राजकुमार सोनी को ही ले लिजिए। जनसत्ता से हरिभूमि आए इस मिलाईछाप पत्रकार के लिए सी.के. खेतान लगे हैं कि वे पत्रिका पहुंच जाए। अब खेतान साहब कैसे हैं किसी से छिपा है क्या। इसी तरह नई दुनिया के संपादक रवि भोई भी पत्रिका के बिलासपुर क्षेत्र को संभालने उत्सुक है। चर्चा है कि श्री भोई ने इसके लिए भोपाली मित्र विनोद पुरोहित के मार्फत एप्रोच किया है। इसी तरह नवभारत के हीरो नईदुनिया में जीरों नहीं बनना चाहते इसलिए चन्द्रप्रकाश जैन ने भी पत्रिका को आवेदन दे दिया है।
और अंत में....
संवाद में हुए घपलेबाजी पर लीपापोती होते देख जनसंपर्क में एक अफसर ने मुख्यमंत्री के नाम बिना नाम वाले पाती भिजवा दी। यह पाती का क्या होगा यह तो पता नहीं लेकिन जनसंपर्क के प्रभारी बैजेन्द्र कुमार के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल हुआ है उसकी यहां जबरदस्त चर्चा है।

Jeevan Dor Tumhi Sang Bandhi-Sati Savitri-Lata Mangeshkar