सोमवार, 4 जनवरी 2021

मरते किसान का दम !


 

लगता है आन्दोलनरत किसानों के साहस की परीक्षा ईश्वर भी लेने लगा है तभी तो सर्द ठंड के बीच बारिश का हमला हुआ है। बार्डर पर तीन और किसान मर गये और यह मौत का सिलसिला शतक तक पहुंच जाये तो उन लोगों को कोई फर्क नहीं पडऩे वाला है जो सत्ता की मस्ती में डूबे हुए हैं, जो नफरत की राजनीति में सराबोर जहर उगल रहे हैं जिनके लिए सियासत सिर्फ पेशा हो और हर पेशा सिर्फ अपना मुनाफा देखती है और यही मुनाफा ही उनकी इमानदारी है।

कहना मुश्किल है कि सरकार तीनों कानून को वापस ले लेगी क्योंकि कृषि की अर्थव्यवस्था पर पिछले कई सालों से सत्ता की नजर लगी हुई है। जब सारे उद्योग धंधे गर्त में जाते जा रहे हैं, बड़े-बड़े उद्योगपति दिवालिया हो रहे हैं, बैंक दिवालिया हो रहा है, रिजर्व बैंक का रिजर्व फंड भी नहीं बच रहा है, सत्ता को अपनी रईसी बरकरार रखने सार्वजनिक उपक्रमों को बेचना पड़ रहा है, रेल-हवाई जहाज से लेकर वेलफेयर के सारे साधनों को निजी क्षेत्रों को सौंपे जा रहे हैं तो फिर सरकार इस देश की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था कृषि को कैसे छोड़ सकती है।

देश के हर क्षेत्रों की बिगड़ती स्थिति के बाद भी इस देश की अर्थव्यवस्था को केवल कृषि क्षेत्र ही संभाल कर रखी है और यह बात सत्ता से ज्यादा उद्योगपतियों को मालूम है इसलिए कान्टेक्ट फार्मिंग की अवधारणा से ही किसानों की जमीन हड़पी जा सकती है ऐसे में सरकार क्यों भला तीनों कानून को वापस लेगी।

लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुर्गण यही है कि सत्ता में जो भी दल बैठता है उसकी रूचि अपनी पार्टी को मजबूत करना प्रथम ध्येयय होता है इसलिए यदि किसान चंदा नहीं देते तो जमीन उन्हें सौंपी जायेगी जो चंदा देते हैं।

जिन लोगों को किसानों को आयकर की छूट को लेकर गलतफहमी है वे अपनी गलत फहमी दूर कर लें क्योंकि आयकर में छूट की सीमा 5 लाख रुपये तक की है और कितने किसान हैं जो पांच लाख से ऊपर सालाना कमाई करते हैं इसलिए वे जान ले कि किसानी में आयकर की छूट का फायदा भी वही उद्योगपति और व्यापारी उठाते हैं और यह छूट का कानून भी उन्हीं के लिए बना है।

हमने इसी जगह पर पहले ही लिखा है कि ये तीनों कानून किसानों से ज्यादा उद्योगपतियों, पूंजीपतियों के लिए बना है क्योंकि भंडारण करने की स्थिति में किसान होते तो वे अपनी उपज बेचने समर्थन मूल्य के मोहताज नहीं होते। भंडारण केवल व्यापारी करेगा। इसलिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन केवल जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों के लिए बनाया गया है और जिन लोगों को लगता है कि किसान गलत रुप से आंदोलन कर रहे हैं तो वे समझ ले हर संकट में इस देश को सिर्फ और सिर्फ किसानों ने बचाया है।