रविवार, 27 जून 2010

प्लांट को स्वीकृति मिली नहीं संविदा भर्ती का विज्ञापन निकल गया

बीज निगम का गोरखधंधा या मंत्री या खेल
छत्तीसगढ़ सरकार में बैठे मंत्रियों व अधिकारियों ने किस कदर अंधेरगर्दी मचा रखी है इसका एक उदाहरण मात्र है कि छत्तीसगढ़ में बायो फर्टिलाईजर प्लांट को अभी स्वीकृति मिली नहीं है और बीज निगम ने यहां 8-10 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है।
वैसे तो छत्तीसगढ़ का कोई विभाग नहीं है जहां मनमानी, अंधेरगर्दी नहीं मची हो। लूट खसोट के इस खेल में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और पीडब्ल्यूडी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के विभाग सर्वाधिक चर्चा में है। अब इस कड़ी में कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू का विभाग भी आ गया है और कहा जा रहा है कि यदि बीज निगम के उनके अध्यक्षीय कार्यकाल की जांच कराई जाए तो कई बड़े घोटाले सामने आएंगे।
वाहन खरीदी से लेकर नियुक्ति पदोन्नति के मामले में विवाद में रहे छत्तीसगढ़ बीज विकास निगम में घोटाले व घपलों की कहानी के अलावा यहां के अफसरों की करतूतें भी बाहर आने लगी है। ताजा मामला अभनपुर में बायो फर्टिलाईजर प्लांट के प्रस्ताव का है बताया जाता है कि ढाई सौ करोड़ रूपए का सालाना बिजनेस करने वाले इस बीज विकास निगम ने अभनपुर में बायो फर्टिलाईजर प्लांट डालने का निर्णय लिया है और इसका प्रस्ताव ऊपर भेजा है किन्तु अभी तक प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है। बताया जाता है कि स्वीकृति में विलंब होने से प्लांट की आड़ में पैसा कमाने का मंसूबा रखने वाले अफसरों में अब धैर्य खोता जा रहा है और वे यहां संविदा नियुक्ति के लिए विज्ञापन तक प्रकाशित कर डाले।
सूत्रों के मुताबिक 8-10 पदों पर संविदा नियुक्ति का विज्ञापन एक साजिश के तहत निकाला गया है और इसके पीछे उच्चस्तरीय षड़यंत्र की बात भी सामने आने लगी है। जब प्लांट ही स्वीकृत नहीं हुआ है तब संविदा नियुक्ति की बात आश्चर्यजनक ही नहीं विभाग के मंसूबों को भी दर्शाता है। बताया जाता है कि इस मामले में नवनियुक्त अध्यक्ष श्याम बैस को भी अंधेरे में रखा गया है। बहरहाल बीज विकास निगम के इस कारनामें से आसानी से समझा जा सकता है कि यहां किस तरह का खेल चल रहा है।

संवाद में चुपचाप दर्जनभर लोगों की संविदा नियुक्ति

संवाद में चुपचाप दर्जनभर लोगों की संविदा नियुक्ति
छत्तीसगढ़ जनसंपर्क के अधीन संवाद में भर्राशाही का आलम यह है कि गुपचुप तरीके से दर्जनभर लोगों को संविदा नियुक्ति दे दी गई। इस मामले की शिकायत भी सचिव व विभागीय मंत्री डॉ. रमन सिंह से की गई है।
छत्तीसगढ़ संवाद में भर्राशाही और भ्रष्टाचार थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के इस विभाग में चल रहे घपलेबाजी व अनियमितता की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तो कई अधिकारियों को जेल जाना पड़ सकता है। आडिट आपत्ति के बाद भी मुख्यमंत्री की खामोशी ने कई सवाल खड़े किए हैं जिसके चलते यहां के अधिकारियों की मनमानी बढ़ गई है। हालत यह है कि पिछले दो माह में दर्जनभर लोगों को गुपचुप तरीके से संविदा नियुक्ति दे दी गई और अब तो संवाद को अय्याशी का अड्डा तक बताया जाने लगा है।हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि पिछले दो माह में नादिर कुरैशी, चमनजीत वर्मा, स्वाती शुक्ला, बबीता राय, दीप्ति वर्मा, सतीश जायसवाल, गोकुल यादव, सत्यनारायण प्रजापति व टिकेश्वर वर्मा को संविदा नियुक्ति दिए जाने की चर्चा है। यहीं नहीं भ्रष्टाचार में लिप्त कई संविदा कर्मियों को आने वाले दिनों में नियमित किए जाने की कोशिश का भी पता चला है। बहरहाल संवाद में चल रहे इस गोरखधंधे को लेकर कई तरह की चर्चा है और कहा जा रहा है कि अधिकारियों की करतूत शर्मनाक स्थिति पर पहुंच गई है।