क्या आप जानते हैं- अंधों का गाँव कहाँ है…
मेक्सिको का टिल्टेपक गांव अंधों के गांव के रुप में जाना जाता है. यहां इंसान से लेकर जानवर तक सभी अंधे हैं. वहीं ये दुनिया का एकमात्र गांव हैं, जहां सिर्फ और सिर्फ अंधे लोग ही रहते हैं. आपको ये एक कहानी सी लग रही होगी, लेकिन जब भी कोई इस गांव के बारे में सुनता है तो हैरान रह जाता है
या आप जानते हैं ऐसा भी एक गांव है जहां पर सभी लोग अंधे हैं इस गांव के पशु पक्षी जीव जंतु सभी अंधे हैं
जब हम दुनिया की अनोखी जगहों की बात करते हैं, तो कुछ स्थान रहस्य और सच्चाई के बीच की रेखा पर खड़े होते हैं। ऐसा ही एकगांव है मेक्सिको के ओक्साका राज्य में—टिल्टेपेक (Tiltepec)। एक ऐसा गांव, जहां ज्यादातर लोग देख नहीं सकते। जी हां, यह गांवदुनियाभर में "अंधों का गांव" (Village of the Blind) के नाम से जाना जाता है।
टिल्टेपेक देखने में एक सामान्य, शांत और पहाड़ी गांव लगता है। लेकिन इस गांव में जन्म लेने वाले अधिकतर लोग कुछ वर्षों के भीतरअपनी दृष्टि खो देते हैं। न केवल इंसान, बल्कि कई जानवर भी धीरे-धीरे अंधे हो जाते हैं। 1857 में सबसे पहले मेक्सिको के विख्यातसमाजशास्त्री डॉक्टर ग्यार्दो को इस विषय में जानकारी मिली उन्होंने इस रहस्य को उजागर करने के उद्देश्य से टिल्टेपेक में रहने कानिश्चय किया लेकिन वह खुलासा करने में असमर्थ रहे आवास के प्रथम सप्ताह में ही डॉ.गियार्दो में दृष्टि दोष का पहला लक्षण प्रकटहुआ और वे अपना बोरिया बिस्तर समेट कर वहां से भागे
स्पेन वासियो को अंधे के इस विचित्र गांव के विषय में 16वीं शताब्दी से ही जानकारी मिल गई थी
1920 के दशक में , जब एक डॉक्टर—डॉ. लारुम्बे—ने इस गांव का दौरा किया और नोट किया कि यहां के अधिकांश लोग नेत्रहीन हैं डॉक्टरों का मानना है कि यह स्थिति एक विशेष परजीवी (parasite) से हो सकती है, जिसे black fly नामक कीट फैलाता है। यहकीट गंदे पानी के पास पनपता है और इसके काटने से शरीर में Onchocerca volvulus नामक कीड़ा प्रवेश करता है, जो धीरे-धीरेआंखों की रोशनी छीन लेता है।
गांववालों का मानना है कि गांव के पास एक पेड़ है, जिसे “लाभाजुएला” कहते हैं। उनका विश्वास है कि इस पेड़ को देखना या उसकेपास जाना आंखों की रोशनी छीन लेता है। इसलिए वे इस पेड़ के आसपास नहीं जाते।
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि गांव में पीढ़ी दर पीढ़ी आपस में विवाह होने से एक जेनेटिक डिफेक्ट फैल गया है, जो आंखों की बीमारी मेंबदल गया।
टिल्टेपेक के लोगों ने अंधेपन को अपनी पहचान बना लिया है। यहां के बच्चे पक्षियों की आवाज़ से समय का अंदाजा लगाना सीखते हैं।माएं बिना रोशनी के खाना पकाती हैं, बुज़ुर्ग कहानियों से बच्चों की कल्पना को रोशनी देते हैं।
सरकार ने कई बार उन्हें दूसरी जगह बसाने की कोशिश की, लेकिन गांववालों ने अपनी मिट्टी, अपने रीति-रिवाज और अपने विश्वास कोनहीं छोड़ा।
– अंधे होने के बावजूद यहां के लोग आत्मनिर्भर हैं।
जहां एक ओर आधुनिक विज्ञान कारण खोज रहा है, वहीं गांव की आस्था भी उतनी ही मजबूत है।
– बिना बिजली, बिना आधुनिकता के भी जीवन जीने की कला यहां देखने को मिलती ह
टिल्टेपेक सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि मानव जिजीविषा का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि हर अंधकार के भीतर भी एक उजाला होताहै—बस हमें उसे देखने के लिए अपनी "भीतर की आंख" खोलनी होती है।