बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

फाइलों में कैद हो गई शहर के सपने



राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई के चलते रायपुर के विकास के सपने फाइलों में कैद हो कर रह गई है। कांग्रेस और भाजपा में श्रेय लेने की होड़ के चलते महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन खटाई में पड़ गया है तो आधी अधुरी योजना के चलते आम आदमी का बुरा हाल है घोषणाओं को अमली जामा पहनाने की बजाय भ्रष्टाचार चरम पर है। एक रिपोर्ट...
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के विकास को लेकर चली जंग थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। शहर के सपने को पूरा करने का दावा दोनों ही प्रमुख दल करते है पर हकीकत कुछ और ही है। नगर निगम ने शहर विकास की कई घोषणाएं की लेकिन इन घोषणाओं की फाइलें सरकार के पास जाकर अटक गई है तो निगम अमला सफाई पानी बिजली और अवैध कब्जों तक को हटाने में विफल रही है।
निगम में अव्यवस्था और सुस्त रफ्तार को लेकर भाजपा जहां महापौर किरणमयी नायक पर आरोप लगा रही है तो कांग्रेसियोंं का आरोप है कि सरकार जानबुझकर योजनाओं को लटका रही है।
शहर विकास को लेकर पिछले बजट में पांच दर्जन से अधिक योजनाओं को लागू करने की बात कही गई थी लेकिन इन योजनाओं को साल भर में अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका जबकि पुराना बस स्टैण्ड में मल्टी पार्किंग का काम शुरू हुआ है तो महादेव घाट सौन्दर्यीकरण योजना भी पूरी नहीं हो पाई है। गोकुल नगर की अव्यवस्था भी सामने आ चुकी है। जबकि सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है।
सफाई व्यवस्था और पानी निकासी को लेकर तो दोनों ही दल एक दूसरे के खिलाफ बाहें चढ़ाएं हुए है। रायपुर नगर निगम में शामिल किए गए 21 गांवो का तो भगवान ही मालिक है। उखड़ती सड़कें और धुल मच्छर ने तो आम आदमी का जीना दुभर कर दिया है। शारदा चौक से तात्यापारा और भैसथान बजरंग नगर चौड़ीकरण का मामला भी राजनीति में उलझकर रह गया है।
सूत्रों की माने तो सरकार का पूरा स्थान कमल विहार और नई राजधानी के विकास पर है तो पुरानी राजधानी की हालत दिनों दिन खराब होते जा रही है। एक दूसरे पर दोषारोपण की राजनीति के चलते निगम कर्मियों की स्वेच्छाचारिता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। हालत यह है कि इसके चलते टैक्स वसूली का कार्य तो प्रभावित हुआ ही है अवैध निर्माण और अवैध कब्जे के मामले भी बढ़े हैं।
हालत यह है कि शहर विकास को लेकर दोनों ही दलों की चिन्ताएं केवल घोषणाओं तक सिमट कर रह गई है और आम आदमी का जीवन कठिन होता जा रहा है। शहर के विकास के सपनों की फाईलों पर जमती धूल को हटाने की चिंता कौन करे यह सवाल यज्ञ प्रश्न बनता जा रहा है।
शहर विकास के सपने...
सोलर सिटी, पॉलीथीन मुक्त, धूल-मच्छर युक्त, मछली बाजार का निर्माण, कलाकारों के लिए स्थाई मंच, सुभाष स्टेडियम का जिर्णोद्धार, भूमिगत नाली निर्माण, गोबर से पावर निर्माण, चौराहों पर सीसीटीवी, गोलबाजार का कायाकल्प, नया फायर स्टेशन, निर्माण की गुणवत्ता जांचने मोबाईल वैन, जल आवर्धन योजना, बजरंग नगर भैसथान रोड चौड़ीकरण, शारदाचौक-तात्यापारा रोड चौड़ीकरण अवैध निर्माण और अवैध कब्जों पर कार्रवाई।