गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

क्या करोगे नहीं लिखेंगे रिपोर्ट...


वर्दी वाला गुण्डा, पुलिस को कोई यूं ही नहीं कहता ! छत्तीसगढ़ में तो कम से कम हर वर्दी वाला अपनी मर्जी का मालिक है । उसे लगेगा कि रिपोर्ट लिखी जाय तो लिखा जायेगा नहीं तो नहीं । कोई क्या कर लेगा । मुंह में तो मानों गाली की घुट्टी पिलाई गई हो । वे यह भी नहीं देखते कि आजू-बाजू से महिलाएं गुजर रही है । और वर्दी का रौब तो सिर्फ शरीफों के लिए है वरना ऐसा कौन सा थाना नहीं है जहां अपराधियों की घुसपैठ न हो ।
अब पंकज अग्रवाल का मामला ही देख लें । उसके आफिस में उसे धमकाया जाता है । वह जब इसकी शिकायत लेकर थाना पहुंचता है तो उसे थाने से चलता कर दिया जाता है । पंकज पैसे वाला है इसलिए वह शहर के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और मुख्यमंत्री रमन सिंह तक पहुंच जाता है । तब कहीं जाकर पुलिस रिपोर्ट भी लिखती है और आरोपियों को पकड़ भी लेती है । छत्तीसगढ़ में  यह सिर्फ अपवाद नहीं है । रोज ऐसे कितने लोग है जिन्हें थाने से लौटा दिया जाता है अब सबके पास न तो राजनैतिक पहुंच है न पैसा ऐसे में उनकी कौन सुनेगा । लोग गुस्से में है लेकिन वे कर भी क्या सकते हैं । पुलिस भी जानती है कि उसके मुंह के आगे सब बेबस है इसलिए वह खुले आम मन मर्जी चला रही है ।
एक तरफ मंत्री से लेकर वरिष्ठ अधिकारी अपनी बातों में नागरिकों के सम्मान, पुलिस-नागरिक संबंध सुधारने और अपराधियों में भय की दुहाई देते रहते हैं लेकिन थानों में इसका उलट होता है । थानों में उलट इसलिए होता है क्योंकि थाने वाले जानते हैं कि उनका काम भाषण देना भर है । उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है तभी तो पंकज की रिपोर्ट नहीं लिखने वाले अब भी थाने में बैठे हैं उनका कभी नहीं बिगड़ेगा । आखिर सब पंकज जैसे तो है नहीं जिनके लिए मंत्री फोन कर दे और कार्रवाई हो जाए ।
अब पंडरी मोवा में ही संध्या द्विवेदी वाले थाने की करतूत क्या कम है । थाने की शिकायतों का अंबार है । लेकिन न तो पुलिस वालों की हिम्मत है और न ही मंत्री ही उन्हें हटा पा रहे हैं ।
ऐसे में जनता का गुस्सा कभी न कभी-फुट पड़ेगा तब क्या होगा ! इसकी भी परवाह पुलिस वालों को नहीं है उन्हें मालूम है कि उनकी लाठी के आगे किसी की नहीं चलती । तभी तो दिल्ली में हुए बलात्कार को लेकर रायपुर में सड़क पर निकलने वाले युवाओं व महिलाओं को खुले आम धमकाया गया यह सच है कि लॉ एंड आर्डर बनाये रखने की जिम्मेदारी पुलिस पर है लेकिन गाली-गलौच देने की जिम्मेदारी भी क्या पुलिस की है ।
छत्तीसगढ़ में सम्रांट लोगों या पीढि़तों से थाने में दुव्र्यवहार के मामले लगातार बढ़ रहे है । यह सरकार के लिए भी चिंता की बात होनी चाहिए क्योंकि पुलिस का गुस्सा कहीं न कहीं उतरेगा और यह गुस्सा सरकार के खिलाफ भी निकल सकता है ।
चलते-चलते

उरला थाने की कमाई का सबसे बड़ा जरिया कबाड़ के नाम पर बिकने वाले चोरी के लोहे के अलावा अवैध शराब के अड्डे हैं । सर्वे के अनुसार इस थाना क्षेत्र में आधादर्जन सट्टा अड्डा हे तो एक दर्जन से उपर अवैध शराब कोचिये हैं । कार्रवाई नहीं होती तो वजह वरिष्ठ अधिकारी स्वयं समझे तो अ'छा है ।