रविवार, 29 सितंबर 2013

राजधानी फतह के लिए पार्षदों पर दांव आजमा सकती है कांग्रेस...


रायपुर। पिछले विधानसभा में कांग्रेस को मिली एक मात्र सीट पार्षद कोटे की रही और इसे देखते हुए कांग्रेस इस बार अन्य तीन सीटों पर फतह के लिए पार्षदों पर दांव खेल सकती है। दावेदारों में सतनाम सिंह पनाग और प्रमोद दुबे पर कांग्रेस दांव लगा सकती है।
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती राजधानी की चारों सीट पर फतह हासिल करने की है। ग्रामीण से सत्यनारायण शर्मा और उन्तर से कुलदीप जुनेजा का नाम तय माना जा रहा है जबकि दमदार माने जाने वाले मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के दक्षिण से दर्जन भर दावेदार है जिनमें से संतोष दुबे का दावा सबसे मजबूज माना जा रहा है जबकि बृजमोहन के गढ़ माने जाने वाले टिकरापारा से पार्षद चुनाव जीत कर चर्चा में आये सतनाम सिंह पनाग ने प्रदेशाध्यक्ष चरणदास मंहत के सामने अपना मजबूत पक्ष रखा है।
ज्ञात हो कि पिछली बार पार्षद रहे कुलदीप जुनेजा की जीत से पार्षदों में उत्साह है और सतनाम सिंह पनाग का दावा है कि वह अपनी युवा टीम के सहारे जिस तरह से वार्ड चुनाव में बुजुर्गो से आर्शीर्वाद लेकर चुनाव जीतने में सफल रहे वैसे ही वे दक्षिण विधानसभा में भी फतह हासिल कर सकेते है।
सूत्रों की माने तो सतनाम सिंह पनाग अपनी छवि के कारण वार्ड ही नहीं दक्षिण के दूसरे वार्डों में भी लोक प्रिय है। निगम के तमाम पार्षदों में कम उम्र के इस पार्षद ने अपनी वार्ड सहित दूसरी समस्याओं को बखुबी उठाया है और कई मामले में तो उन्होंने बृजमोहन अग्रवाल को भी कटघरे में खड़ा किया है।
जातिगत समीकरण में भी वह भाजपा के वोट बैंक पर संध लगाने दावा भी वह कर चुका है। सभी को साथ लेकर चलने की वजह से कांग्रेस के सभी नेताओं के वे पसंदीदा है।
दूसरी तरफ पश्चिम से पार्षद प्रमोद दुबे की दावेदारी भी दमदार मानी जा रही है। मिलन सार छवि और अच्छे वक्ता होने की वजह से कांग्रेस पार्षद दल में भी प्रमोद लोकप्रिय है
प्रमोद दुबे ने महापौर किरणमयी नायक की अनुपस्थिति में कार्यवाहक महापौर की भूमिका भी निभा चुका है।
प्रमोद दुबे के बारे में कहा जाता है कि विपरित परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल करने का माद्दा रखते हैं यही वजह है कि छात्र राजनीति से कांग्रेस की राजनीति में आने के बाद वे लगातार लोगों के हित में लड़ते रहे हैं। नगर निगम में दो बार पार्षद बनने वाले प्रमोद के दावे से एक बार नई रणनीति बनी है। पश्चिम से राजेश मूणत के खिलाफ जोर आजमाईश कर रहे प्रमोद दुबे का भी यही कहना है कि चुंकि पार्षद रहते शहर की समस्याओं को दूर करने व आम लोगों के हित के लिए कार्य करने की वजह से उनका लोगों से नजदीकी जुड़ाव हो जाता है इसलिए कांग्रेस को इस बार राजधानी फतह करने पार्षदों पर दांव लगाना चाहिए।
दोनों ही पार्षदों का मानना है कि युवाओं को आकर्षित करने और राजधानी फतह करने का यह अच्छा मौका है। पिछले चुनाव में विधायक कुलदीप जुनेजा ने पार्षद रहते जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया है कि यदि पार्षद सजग रहे तो विधानसभा का रास्ता कठिन नहीं है।
ज्ञात हो कि रायपुर के सांसद रमेश बैस ने भी अपनी राजनैतिक सफर ब्राम्हणपारा वार्ड के सफर पार्षद बनकर ही शुरू किया था। ऐसे में बृजमोहन अग्रवाल के गढ़ माने जाने वाले टिकरापारा से पार्षद बने सतनाम सिंह जनाग को दक्षिण और रामकुंड क्षेत्र से पार्षद प्रमोद दुबे को पश्चिम से टिकिट मिलने पर भाजपा के दोनेां ही मंत्रियों की परेशानी बढ़ सकती है।
बहरहाल बैस से लेकर कुलदीप जुनेजा की पार्षद से सहन तक के सफर पर कांग्रेस की नजर है और यदि पार्षदों पर दाव लगाया गया तो राजधानी फतह आसान हो सकती है।