गुरुवार, 10 जून 2010

जमकर पैसा खिलाओं,अवैध निर्माण कराओं

एमजीरोड में अवैध निर्माण से परिवार परेशान
क्या राजधानी में नियम कानून के मायने बदल गए हैं या पैसा या पहुंच वालों के सामने निगम प्रशासन पंगु बन गया है। यह सब नामदेव परिवार की व्यथा के रुप में सामने आई है। यह परिवार अवैध निर्माण और अपने साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ चिखता रहा लेकिन निगम के अधिकारियों के कान संजय जादवानी के रुपयों ने ऐसा भर दिया था कि न अवैध निर्माण रुका और न ही निगम के किसी अफसर पर कार्रवाई ही हुई।
जब राजधानी का यह आलम है तो प्रदेश का हाल क्या होगा सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इसकी शिकायत नगरीय निकाय मंत्री राजेश मूणत से भी की गई लेकिन वहां भी कुछ नहीं हुआ सब जगह जांच का नाम लिया गया और मामले को दबा दिया गया। इस तरह के अवैध निर्माण तो निगम के अफसरों के संरक्षण में नया नहीं है और इसका पता तब लगता है जब निर्माण पूरा हो जाता है लेकिन इस मामले में तो शिकायत के बाद भी अवैध निर्माण होता रहा।
निगम में जब सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाया गया तो पता चला कि आवासीय क्षेत्र में यह व्यवसायिक प्रतिष्ठान बन गया और जोन कमिश्नर ने स्वीकार किया कि यह निर्माण त्रटिपूर्ण है। इसके बाद भी यह निर्माण हटाया नहीं जा रहा है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि इस अवैध निर्माण के चलते नामदेव परिवार का जीना दूभर हो गया है। जबकि सूचना अधिकारी जोन क्रमांक 7 ने भी स्वीकार किया है कि निगम ने संजय जादवानी को केवल प्रथम तल के निर्माण की अनुमति दी है द्वितीय तल का निर्माण पूरी तरह अवैध है।
हालत यह है कि इस अवैध निर्माण से पीढित नामदेव परिवार ने मुख्यमंत्री तक को शिकायत की है लेकिन संजय की पहुंच के आगे सब बेकार हो रहा है और पीड़ित पक्ष अब न्यायालय की शरण में जाने मजबूर है। बहरहाल इस संबंध में मंत्री और कमिश्नर तक पैसा पहुंचाने की चर्चा है और यही स्थिति रही तो नए महापौर किरणमयी नायक पर भी उंगली उठ सकती है।