शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

विवादास्पद आई पी एस विश्वरंजन

0 गृहमंत्री फूटी आंख नहीं भाते?
0 जातिवाद व क्षेत्रियता का आरोप?
0 नक्सली मामले में संदेहास्पद भूमिका?
0 साहित्यिक गतिविधियों पर अवैध वसूली?
छत्तीसगढ़ के डीजीपी यानी विश्वरंजन की विवादास्पद छवि के चलते न केवल सरकार की छवि खराब होने लगी है बल्कि पुलिस में गुटबाजी उभर कर सामने आई है। लगातार विवादों में रहना विश्वरंजन का शगल बन चुका है और अब तो उन्हें कारण बताओं नोटिस पर नोटिस जारी होने लगे हैं।
छत्तीसगढ क़े डीजीपी विश्वरंजन को गृहमंत्री ननकीराम कंवर फूटी आंख नहीं सुहाते खबर सिर्फ इतनी नहीं है। खबर इसके आगे की यह है कि डीजीपी विश्वरंजन पर अब गंभीर आरोप लगने लगे हैं और प्रदेश सरकार ने उन्हें दो मामलों में कारण बताओं नोटिस भी थमा दिया है। दरअसल डीजीपी विश्वरंजन की नियुक्ति के तरीके को लेकर शुरु हुआ विवाद ही प्रदेश सरकार खासकर मुख्यमंत्री रमन सिंह के लिए गले की हड्डी बन चुका है। कभी बस्तर और रायगढ़ में पदस्थ रहे डीजीपी विश्वरंजन को केन्द्र सरकार से विशेष अनुरोध कर यहां लाया गया। यदि विश्वरंजन के आने के बाद अपराध के आंकड़े पर नजर डाले तो हर क्षेत्र में अपराधों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी नजर आएगी। खासकर नक्सली और शहरी क्षेत्रों में लूट की वारदातों ने तो सरकार की नींद उठा दी है।
सर्वाधिक विवाद तो उनके प्रमोद वर्मा स्मृति साहित्यिक गतिविधियों की रही है। कार्यक्रम के लिए दबावपूर्वक वसूली की शिकायतों से तो थानेदार तक परेशान है और राजनांदगांव जिले में विनोद शंकर चौबे की शहादत के दौरान उनकी भूमिका और गतिविधियों को लेकर जबरदस्त विवाद रहा है। प्रदेश सरकार ने इस मामले में बढ़ती शिकायतों पर कितनी गंभीरता दिखाई है यह तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन इस मामले में नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया गया है।
सिर्फ यही एक मामला नहीं है इसके अलावा गृहमंत्री ननकीराम कंवर से उनका विवाद भी सुर्खियों में रहा है। गृहमंत्री ने डीजीपी को लेकर सार्वजनिक टिप्पणी भी कर चुके हैं। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र कवर्धा में एसपी को निकम्मा व कलेक्टर को दलाल कहने वाले गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने विधानसभा तक में पुलिस की गतिविधियों का भर्त्सना कर चुके हैं। इतना ही नहीं डीजीपी विश्वरंजन पर नक्सली मामले में भूमिका पर भी आरोप लगते रहे हैं। कहा जाता है कि बस्तर पदस्थापना के दौरान उनके कार्य को लेकर आलोचना भी हुई थी जबकि मुखबिरी व गोपनीय सैनिकों को दी जाने वाली रकमों को लेकर डीजीपी पर कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
इधर पीएचक्यू में चल रहे गुटबाजी का असर भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर हुआ है। कहा जाता है बिहारी-यूपी की क्षेत्रियता वाली गुटबाजी के चलते पुलिस मुख्यालय में कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस मामले में गृहमंत्री ननकीराम कंवर से शिकायत के बाद गृहमंत्री द्वारा जांच करवाने का फरमान जारी कर दिया गया है और श्री नवानी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि डीजीपी विश्वरंजन की गतिविधियों को सरकार को मुंह चिढ़ाने वाला बताया जा रहा है लेकिन कार्रवाई सिर्फ नोटिस व जांच तक ही सिमट गया है। इस संबंध में डीजीपी से जब संपर्क की कोशिश की गई तो वे उपलब्ध नहीं हुए। बहरहाल डीजीपी को नोटिस व उनके खिलाफ जांच के फरमान को लेकर सरकार की चौतरफा किरकिरी हो रही है। जो आने वाले दिनों में विवाद और भी बढ़ने की संभावना है।