शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

सीएम साहब! बधाई हो 10 साल का...

1 नवम्बर को छत्तीसगढ़ के स्थापना का दस साल पूरा हो जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बधाई हो। छत्तीसगढ़ के स्थापना का दस साल पूरा हो गया। अखबार वाले भी खुश है। उन्हें भी बधाई हो। फिर राज्योत्सव के नाम पर लाखों रुपए के विज्ञापन मिल जाएंगे। सरकारी खजानों से राज्योत्सव की धूम इस बार जोरदार रहेगी। रहनी भी चाहिए। सलमान खान जैसे सुपर स्टार को बुलाया जा रहा है। सब कुछ ठीक ठाक है। राज्य इन दस सालों में बहुत तरक्की की है। फिर क्यों नहीं राज्योत्सव मनाना चाहिए। यही बहाने हम दूसरे प्रदेश की संस्कृति को जान समझ लेंगे। आखिर आम छत्तीसगढिय़ा फिर कब देख पाएगा सलमान खान को।
डा. रमन सिंह सबसे ज्यादा बधाई के पात्र हैं सलमान खान को दिखाने के लिए। संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को छत्तीसगढिय़ा बेवजह कोसते रहते हैं। अरे सुआ नाचा गम्मत तो रोज देखते रहते हैं। बाहर के कलाकारों को देखने समझने का तो यही मौका है। फिर छत्तीसगढ़ कोई गरीब प्रदेश तो है नहीं कि बाहर के कलाकारों को मनमाने ढंग से रुपए न दे सके। बाहर के कलाकारों को भी तो लगना चाहिए कि हमारे प्रदेश के लोग कितने उदार है स्वयं फ्री फंड में काम करते हैं लेकिन मेहमानों को उनकी औकात से अधिक पैसा दे सकते हैं।
अखबार वाले बेवजह यहां के कुछ लोक कलाकारों को प्रश्रय देते हैं। छोटी सोच को तो अखबार में जगह ही नहीं मिलनी चाहिए और न ही सरकार के खिलाफ ही कुछ छापना चाहिए। पत्रिका ने आकर सब गड़बड़ कर दिया वरना सब गुड-गॉड चल रहा था। दो की लड़ाई में जबरदस्ती छापना पड़ रहा है। लेकिन सीएम डॉ. रमन साहब भी कम नहीं है वे भी जानते है कि ये सब जो घोटालों का पर्दाफाश हो रहा है वह कार्रवाई करने के लिए नहीं बल्कि अपनी कमीज को ज्यादा सफेद बताने की लड़ाई है। 10 साल बिना कार्रवाई के निपट गया। आगे का साल भी निपट जाएगा। बताते रहो मंत्रियों को दुष्ट और अधिकारियों को भ्रष्ट क्या फर्क पड़ता है? कार्रवाई ही जब नहीं होनी ही है। सीएम साहब! ठीक सोचते हैं हर विभाग के भ्रष्ट कारनामों को केवल अखबार के छपने के आधार पर कार्रवाई की जाती रही तो चल गया विभाग।
अब पीएचई का ही मामला ले पत्रिका बेवजह पीछे पड़ गया है। कमल विहार कितनी अच्छी योजना है और अच्छे काम में थोड़ी बहुत गलती होती ही है उसको तिल का ताड़ बना रहे हैं। गली-गली में बाबूलाल गली छाप पर नवभारत क्या साबित करना चाहता है। बेवजह शराब के खिलाफ अखबार लिख रहा है। अब शराब पीकर नशे में कोई हत्या कर दे तो इसमें डॉ. साहब की कहां गलती है वे तो ठेका दे दिए हैं अब बेचने वाले जाने और पीने वाले? जबरदस्ती कहा जा रहा है कि शराब की वजह से हर माह सौ-दो सौ लोग मार रहे हैं। आंकड़े बता कर आम लोगों को भ्रमित करने वालों को तो पकड़-पकड़ कर पिटना चाहिए। गृहमंत्री ननकीराम कंवर की नाराजगी डीजीपी विश्वरंजन से हैं और वे गुस्सा एसपी को निकम्मा और कलेक्टर को दलाल कहकर उतार रहे हैं इतने में भी बात नहीं बनी तो थानेदारों पर आरोप लगाने लगे कि वे शराब माफियाओं के इशारे पर चल रहे हैं।
नगर भैय्या बृजमोहन अग्रवाल के तो पीछे ही पड़ गए हैं लोग। जब कांग्रेस के समय सडक़ उखड़ती थी तब कोई नहीं बोलता था और न ही शिक्षा व्यवस्था पर ही सवाल उठाता था। कोई ये नहीं कहता कि एक आदमी आधा दर्जन से ज्यादा विभाग मुस्तैदी से संभाल रहा है। उल्टे उसके विभाग के विवादास्पद अधिकारियों को उनसे संबंध जोडऩा कितना उचित है। जब विभाग में विवादास्पद और भ्रष्ट लोगों का जमावड़ा हो तो कोई इन्हें हटाकर कैसे काम कर सकता है आखिर विभाग चलाना कोई मजाक तो नहीं है।
अब किसानों के नाम पर बेवजह लोग राजनीति कर रहे हैं। अरे भई चुनाव था इसलिए कह दिया 270 रुपए बोनस देंगे। चुनाव में तो ऐसा बोला जाता है। फिर अब किसान किसान कहां रह गए हैं। लोग धंधा-नौकरी कर रहे हैं। गांव-गांव तक सडक़ें इसलिए तो बनाई है कि किसान भी शहर का दर्शन कर सके। अब चप्पू साहू खुद किसान है इसके बाद भी लोगों को उन पर भरोसा नहीं है वे जानते हैं कि किसानों को बोनस से कुछ हासिल नहीं होने वाला। वे जानते हैं कि खेती से सिर्फ घाटा होना है इसलिए खेती की जमीन उद्योगों को दी जा रही है। वे जानते हैं कि यूरिया से खेत बर्बाद होता है इसलिए तो वे दुकानों की अनियमित सप्लाई पर ध्यान नहीं देते। बेवजह लोग किसान मोर्चा बनाकर राजनीति कर रहे हैं। लोगों को तो बहाना मिल गया है कि बृजमोहन अग्रवाल हरियाणवी हैं इसलिए छत्तीसगढ़ की उपेक्षा कर रहे हैं। कोई ये नहीं देख रहा है कि रात-रात भर जाग कर आदमी मेहनत कर रहा है। मंत्री है भई कोई मजाक नहीं है कि सुबह से लोगों से मिलने निकल जाए।
डॉ. साहब तो गांधी जी के सच्चे अनुयायी है इसलिए वे किसी की बात ही नहीं सुनते। गांधी दर्शन से लबरेज डॉ. साहब ने गांधी जी के तीन बंदरों के सिद्धांत को आत्म सात कर लिया है बुरा न देखो, बुरा न सुनों, बुरा न बोलो? कभी डाक्टर साहब के मुंह से किसी के लिए अपशब्द सुना है फिर वे क्यों किसी अधिकारी के खिलाफ सुनेंगे और मंत्री तो उनकी अपनी पार्टी के हैं? जो लोग नाराज है या भ्रष्टाचार से दुखी है वे बेवजह दुखी है घर का मामला है मना लिया जाएगा। और रहा सवाल देखने का तो डॉ. साहब ने तो सत्ता पाते ही आंखे बंद कर ली थी क्योंकि वे जानते है आंख खोलते ही सत्ता की बुराई दिखेगी और पिछली सरकार के काले कारनामों पर कार्रवाई करनी पड़ जाएगी। इसलिए उन्होंने तब से आंखे बंद कर ली है और फिर कांग्रेसी कोई पराये थोड़ी न है? पता नहीं कब सत्ता बदल जाए तो? इसलिए बदले की राजनीति तो होनी ही नहीं चाहिए? आखिर कांग्रेसी भी तो सत्ता की राजनीति ही कर रहे हैं। डॉ. साहब भी जानते हैं कि कांग्रेसी गांधी जी के सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी है। वह भी न बुरा देखती है न सुनती है न बोलती है? इसलिए चिंता आम लोगों की करना चाहिए और इसकी चिंता पूरी सिद्दत से की जा रही है एक-दो रुपया किलो चावल दे दो। पेट भरा रहेगा तो सब खुश और जो खुश नहीं है उनके लिए गांव-गांव में दारू तो है ही। दस साल में सब गुड-गॉड है अमन चैन शांति है इसलिए एक बार फिर डॉ. साहब और उसकी पूरी टीम को बधाई!