सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

बढ़ता असंतोष खिसकता जनाधार



रायपुर को अपना गढ़ मानने वाली भाजपा का जनाधार जिस तेजी से घटने लगा हे उसे नजर अंदाज किया गया तो आने वाले दिनों में राजधानी में परचम लहराना सपना बन कर रह जायेगा । दो-दो मंत्रियों के रहते भी राजधानी में भाजपा को लगातार क्यों मान मिल रही है ? ेयह हैट्रिक में जुटी भाजपा के लिए कितना विचारणीय है यह तो वही जाने लेकिन निष्ठावान भाजपाई बेचैन हैं ।
इन दिनों रमन सरकार हैट्रिक की तैयारी में लगी है । ऐसे में उसके सामने सबसे बड़ी समस्ेया अपने गढ़ की रक्षा करना है । भाजपा का सर्वाधिक गढ़ रायपुर को मान जाता है । और यहां से दो-मंत्री भी बनाये गए है और दोनों ही मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और राजेश मूणत को दमदार माना जाता है ।
भाजपा के इस अभेद माने जाने वाले गढ़ में सेंध तो पिछले चुनाव में ही लग गया था जब यहां की चार में से एक सीट पर कांग्रेस विधायक कुलदीप जुनेजा ने अपनी जीत का परचम लहराया था । लेकिन भाजपा ने इसे गंभीरमा से नहीं लिया और मामूली अंतर की जीत की भरपाई को लेकर मुगालते में रही ।
हालांकि दमदार मंत्री और मजबूत संगठन के बल पर भाजपा अब भी राजधानी में कांग्रेस के मुकाबलेे मजबूत दिख रही है लेकिन महापौर चुनाव में मिली करारी हार के बाद भी यदि भाजपाई या रमन सरकार मुगालते में है तो फिर इसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ सकता है ।
राजधानी के चारों सीट के महापौर चुनाव में न केवल किरणमयी नायक की जीत हुई बल्कि भाजपा पार्षद तीस की संख्या पर सिमट गई है । इसके बाद भी मंत्रियों की मनमानी, संगठन की निरकुंशता और भाई भतीजा वाद के चलते भाजपा में जबरदस्त असंतोष दिखने लगा है । असंतोष लोगों के परचा कांड को नजर अंदाज करना सभापति चुनाव में भी भारी पड़ा है । और राज्य की सत्ता में होने के बाद भी भाजपाई पार्षदरों ने बगावत का जो खले खेला वह अनुशासन का दंभ भरने वाली पार्टी के लिए नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा ।
भले ही संगठन खेमा का सरकार में बैठे मंत्री अविश्वास प्रस्ताव के क्रॉस वोटिंग को सभापति के खिलाफ मान ले लेकिन सच तो यह है कि कोयले की कालिख और चेहरा देखकर लालबत्ती बांटने की सरकारी कारगुजारियों से निष्टावान भाजपाई न केवल नाराज हैं बल्कि मौका मिलने पर वे पार्टी के खिलाफ भी जा सकते हैं ।
बताया जाता है कि दमदार मंत्रियों की आपसी लड़ाई का असर भी संगठन में पड़ा है और यही वजह है कि संगठन में बिखराव स्पष्ट दिखने लगा है ।
बहरहाल भाजपा के इस गढ़ में बढ़ते असंतोष को नहीं रोका गया और अपने को पार्टी का सर्वेसर्वा मानने वालों पर लगाम नहीं कसा गया तो आने वाले दिनों में भाजपा को इसका जबरदस्त खामियाजा भुगतना पड़ा सकता है ।

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

लाफार्ज ने मचाई लूट रमन ने दी पूरी छूट



 भाजपा ने 2003 के चुनाव में जोगी शासन काल के 35 घोटाले को लेकर  खूब हल्ला मचाया था, भाजपा ने जोगी शासनकाल के जिन 35 घोटालो का सत्ता में आते ही नेस्तनाबूत करने की बात कही थी लाफार्ज के घोटाले को आठवां स्थान दिया था। 7-8 साल के शासन काल में रमन सिंह ने इन्हें क्यों उजागर नहीं किया इसके पीछे सीधा सा गणित मिल बांट कर लूटो के अलावा कुछ नहीं है। हालत यह है कि 2003 के किए वादे से सरकार पीछे हट रही है और अपने आप को ईमानदार बता रही है। लाफार्ज के घोटाले को उजागर करने की बात तो दूर वह उसे संरक्षण दे रही है। ऐसे में देशी का ढोंग भी इसलिए उजागर होता है क्योंकि लाफार्ज विदेशी कंपनी है जिसका मुख्यालय फ्रांस के पेरिस में है।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार और उसके मुखिया डॉ रमन सिंह ने जनता से किए वादे को पूरा नहीं कर सीधे-सीधे आम लोगों से धोखाधड़ी की है। लाफार्ज एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है जिसका छत्तीसगढ़ में सोनाडीह और आरसमेटा में सीमेंट संयंत्र है उसने यह संयंत्र टाटा और रेमंट सीमेंट से खरीदा है। इस खरीदी के रजिस्ट्री में ही उसने लगभग 160 करोड़ का घपला किया और इस मामले को लेकर जब भाजपा विपक्ष में थी तो खूब हंगामा मचाया लाफार्ज के इस घोटाले को लेकर जोगी सरकार पर संगीन आरोप भी लगाए गए यहां तक कि भाजपा ने विधानसभा ठप्प करने तक का निर्णय लिया लेकिन सत्ता में आते ही क्या वजह थी कि उसने लाफार्ज के खिलाफ कार्रवाई नहीं की और तो और उसके द्वारा सीमेंट के मूल्य वृद्धि पर भी कोई कार्रवाई नहीं की यहां तक कि लाफार्ज के अवैध उत्खनन और रायल्टी चोरी को भी रमन सरकार ने संरक्षण दिया।
देशी की राजनीति में माहिर भाजपा से यह उम्मीद थी कि वह छत्तीसगढ़ में लूट मचाने वाली इस लाफार्ज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी लेकिन वह तो लूूट खसोट में दो कदम आगे हो गई और कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति में ही संलग्न रही।
लाफार्ज के द्वारा छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक नुकसान इसी रमन सरकार के कार्र्यकाल में लगाया गया। कहां तो 2003 के घोषणा पत्र में लाफार्ज के घोटाले को उजागर कर दोषियों को सजा दिलाने का वादा था लेकिन यहां तो उल्टा ही हुआ लाफार्ज ने सेलटेक्स में चोरी के लिए नया रास्ता खोजकर छत्तीसगढ़ से करोड़ो रूपए का चूना लगाया।
बताया जाता है कि लाफार्र्ज द्वारा अरबों का क्लिंकर हर माह दूसरे राज्य में भेजकर अरबों रूपए का नुकसान पहुंचया जा रहा है लेकिन लाफार्ज घोटाले पर कार्रवाई करने का दावा करने वाली रमन सरकार सत्ता में आते ही उल्टे छत्तीसगढ़ को नुकसान के एवज में लाफार्ज के घोटाले पर चुप्पी साध ली।
यदि भाजपा सरकार को लाफार्ज के घोटाले पर कार्रवाई नहीं करनी थी तब उसने विपक्ष में रहते हुए विधानसभा का समय क्यों खराब किया। घोषणा पत्र में लाफार्ज के घोटाले को उजाकर कर दोषियों पर कार्रवाई की बात क्यों की और क्या कार्रवाई के लिए 7-8 साल का समय कम है। ये ऐसे सवाल जिसका जवाब डॉ.रमन सिंह को देना ही होगा।

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

बेईमानों को गले लगाओं ईमानदारों को दूर भगाओं

शशिमोहन के बाद सौमित्र प्रताडि़त
घपलेबाजों के दबाव में हुुआ चौबे का तबादला
छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के सुराज की कलई खुलने लगी है । चौतरफा भ्रष्टाचार और प्रशासनिक आतंक का यह आलम है कि ईमानदार माने जाने वाले अधिकारियें को प्रताडि़त किया जा रहा है तो बेईमान व भ्रष्ट अधिकारियों को रिटार्यटमेंट के बाद भी संविदा देकर गले लगाया जा रहा है । हालत यह है कि आर्थिक अपराध ब्यूरों की कार्रवाई के बाद भी अफसर अपने पदों पर बैठे हुए है और ईमानदार माने जाने वाले लोग उपेक्षा का शिकार हो रहे है ।
एक तरफ तो रमन सरकार हैट्रिक की तैयारी में लगी है और वह कोयले की कालिख पूते चेहरों के साथ हैट्रिक का सफर कैसे तय करेगी । यह भी अब सामने आने लगा है । एक तरफ तो तहसीलदार पुलक भट्टाचार्य जैसे अधिकारी को तबादले के चार माह के भीतर ही वापस राजधानी ले आती है तो दूसरी तरफ सौमित्र चौबे जैसे अधिकारी का तबादला सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि वह बड़े-बड़े घपलेबाजों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं ।
ज्ञात हो कि सौमित्र चौबे ने हाल ही में राजधानी में मंत्रियों के नजदीक माने जाने वाले कई बड़े घपलेबाजों के खिलाफ कार्रवाई की थी । इसमें से फर्जी गैस सिलेन्डर मामले में हुई कार्रवाई से एक मंत्री की खूब किरकिरी हो रही है । बताया जाता है फरार तापडिय़ा का एक मंत्री और एक निगम के अध्यक्ष से नजदीकी संबंध रहे हैं और इस तापडिय़ा द्वारा इनके चुनाव से लेकर दूसरे कार्यक्रमों के लिए चंदे के रूप में मोटी रकम भी दिया जाता था । बताया जाता है कि तभी से सौमित्र चौबे को हटाने की कोशिश हुई थी लेकिन हल्ला मचने के डर से कार्रवाई नहीं हुई ।
इसके बाद सौमित्र चौबे ने निको द्वारा पेट्रोल पम्प से घपले बाजी कर डीजल भरवाने के मामले का खुलासा किया तो औघोगिक क्षेत्र में हड़कम्प मच गया ।
बताया जाता है कि कई उद्योग डीजल के खेल में लिप्त हैं और दूसरी सूचना चौबे तक पहुंचने लगी थी । चौबे के इस कार्रवाई से उद्योगों में हड़कम्प मच गया और चौबे को हटाने दबाव बढऩे लगा था लेकिन सरकार भी कोई हंगामा नहीं चाहती थी इसलिए चौबे का तबादला जानबुझकर तबादला सूची में शामिलल कर किया गया ताकि हंगामा न मचे ।
ऐसा नहीं है कि घपले बाजों के दबाव में सरकार या उसके मंत्रियों की यह पहली करतूत है इससे पहले भी दर्जन भर ऐसे मामले सामने आये है जब रमन सरकार ने सुराज के नाम पर घपलेबाजों के दबाव में ईमानदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है । जिसमें आई एएस पी सुन्दरराज के अलावा रायपुर सीएसपी शशिमोहन सिंह शामिल हैं ।
शशिमोहन सिंह का मामला तो राजधानी में आज तक चर्चा में है । शशिमोहन सिंह को सिर्फ इसलिए प्रताडि़त खोर बद्री के खिलाफ कार्रवाई की थी । ये बद्री भाजपा में न केवल दमदार माना जाता है बल्कि इसके इशारे पर मंत्री भी नाचते हैं ।
बताया जाता है कि सरकार के सूराज के इस नये परिभाषा की राजधानी दी नहीं पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय है । और कोई आश्चर्य नहीं कि इस बार के चुनाव में भ्रष्टाचार कोयले की कालिख, मंत्रियों की करतूतों के अलावा ईमानदार अफसरों की प्रताडऩा भी मुद्दा बने । बाहरहाल शशिमोहन सिंह के बाद सौमित्र चौबे को प्रताडि़त करने का मामला राजधानी में चर्चा का विषय है जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है । 

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

पुलक से पल्लवित होगा मूणत का खेल



सीतापुर तबादले में जाने के चार माह में ही वापसी
 एक तरफ जब पुरी भाजपा केन्द्र की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार पर हल्ला मचा रही है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्री भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं । वैसे तो मुख्यमंत्री सहित सारे मंत्रियों पर भ्रष्ट अफसरों को बचाने का आरोप है लेकिन प्रदेश सरकार के मंत्री राजेश मूणत ने जिस तरह से चार महिने में ही पुलक भट्टाचार्य को वापस अपने विभाग में बुला लिया उससे सरकार की किरकिरी ही हो रही है ।
बेलगाम अफसर या प्रशासनिक आतंक की कहानी थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं । यही वजह है कि मंत्रियों की करतूत से जहां आम आदमी का बुरा हाल है वही भ्रष्ट अफसरों के मजे हैं । खासकर राजधानी में जमीन से जुड़े मामलों में मंत्रियों की रूचि देखते ही बन रही है । चौतरफा अंधेरगर्दी का आलाम यह है कि चहेते अफसरों के लिए नियम कानून तक ताक पर रखे जा रहे हे । यही वजह है कि चार महिने पहले नगर निगम रायपुर से सीतापुर भेजे गए तहसीलदार पुलक भट्टाचार्य की न केवल वापसी कर ली गई बल्कि कमल विहार जेसे महत्वपूर्ण योजना में बिठा दिया गया । कहां जाता है कि यह सारा खेल प्रदेश सरकार के मंत्री राजेश मूणत का है और उन्ही की रूचि के चलते पुल्लक भट्टाचार्य जैसे अफसर की चार महिने में ही वापसी हो गई ।
सूत्रों का कहना है कि पुलक भट्टाचार्य की वापसी के पीछे सिर्फ कमल विहार प्रोजेक्ट ही नहीं है बल्कि जमीन के दूसरे मामले भी है । दरअसल पुलक भट्टाचार्य पर यह भी आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान राजधानी व इसके आस पास की जमीनों का जबर दस्त खेल हुआ है । सरकारी जमीनों की बंदर बांट से लेकर कब्जे की कहानी में पुलक भट्टाचार्य का नाम है और पुलक की वापसी की वजह भी जमीन ही है । सूत्रों की माने तो पुलक के पास नामी-बेनामी जमीनों की भरपूर जानकारी है और मंत्रियों को खुश रखने में माहिर मूणत को चार माह पहले दबाव में जब सीतापुर तबादला किया गया था तभी से उनकी वापसी की चर्चा रही है । कहा जाता हे कि तबादले के बाद भी राजेश मूणत से उनकी नजदीकी की चर्चा होते रही है ।
बंगाली मूल के इस अफसर की करतूतों की वैसे तो कई तरह की चर्चा है और कहां जाता है कि मंत्रियों के शह पर उन पर बेहिसाब संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप है । कहा जाता है कि पुलक भट्टाचार्य की करतूतों से पार्टी के कई कार्यकर्ता नाराज है और यही वजह है कि संगठन खेमें ने भी उनकी वापसी का विरोध किया था लेकिन राजेश मूणत के जिद के आगे किसी की नहीं चली । इधर पुलक भट्टाचार्य की वापसी को लेकर कई ऐसे बिल्डर भी खुश है जो अवैध कब्जे में माहिर है जबकि रायपुर विकास प्राधिकरण में इसका भारी विरोध है ।
बहरहाल पुलक की वापसी से राजेश मूणत का कितना भला होगा यह तो वही जाने लेकिन सरकार के इस रूख से भाजपा को जरूर नुकसान हो सकता है ।

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

सत्ता से समृद्धि...


कभी राजनीति समाज सेवा का सबसे सशक्त माध्यम हुआ करता था । सादा जीवन उच्च विचार के मूलमंत्र से अभिभूत राजनीति में आने वाले की सेवा भाव देखते ही बनती थी । कांग्रेस हो या भाजपा, समाजवादी हो या कम्यूनिष्ट सबके लिए समाज सेवा प्रथम लक्ष्य रहा । ऐसे कितने ही उदाहरण रहे जब इस देश में नेताओं ने राजनैतिक सुचिता के लिए सत्ता की कुरसी को लात मारने से भी परहेज नहीं किया । खुद छत्तीसगढ़ में बैठी रमन सरकार की पार्टी में ही अटल-आडवानी से लेकर कई नाम लोगों को जुबानी याद हैं जिन्होंने राजनैतिक सुचिता के लिए अपना सब कुछ होम कर दिया । लेकिन क्या अब इसी पार्टी में ऐसा हो रहा है । भाजपा ही क्यों किसी भी पार्टी में ऐसा नहीं हो रहा है । अपराधियों को संरक्षण से लेकर खुद भ्रष्टाचार में डुबे लोग सत्ता का केन्द्र बने हुए है और ऐसे लोग बड़ी बेशर्मी से राजनैतिक सुचिता, ईमानदारी की बात करते नहीं थकते । http://naiaaaadee.blogspot.in/

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

हैट्रिक में जुटी रमन सरकार की बढ़ी मुश्किल


पिछली बार 18 कटी थी, इस बार 36 के हालात
सत्ता की हैट्रिक बनाने में जुटी रमन सरकर के सामने सबसे बड़ी दिक्कत उनके अपने विधायक ही बन रहे है॥ कहा जा रहा है कि रमन सरकार के अधिकांश मंत्रियों और विधायकों के प्रति लोगों में बेहद गुस्सा है। पिछले चुनाव में ऐसे ही हालात के चलते 18 विधायकों की टिकिट काटनी पड़ी थी जबकि इस बार कोयले की कालिख ने हालात और खराब कर दिए है और करीब 36 ऐसे विधायकों की सूची तैयार हो चुकी है जिनके टिकिट काटे जा सकते हैं।
इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरकार ने जोर शोर से तैयारी शुरु कर दी है और विपक्षी कांग्रेस का माकूल जवाब देने साम दाम दंड भेद की नीति अपनाई जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह इस बार विपक्ष के सीधे निशाने पर हैं तो इसकी वजह कोयले की कालिख के अलावा रोगदा बांध के3 अलावा शिक्षा कर्मियों , किसान और बेरोजगारी भत्ता को लेकर किया गया वादा खिलाफ़ी है।
हांलाकि डॉ रमन सिंअह ने विपक्षी हमले का जवाब ब्रह्मास्त्र से देने की बात कही है और यह ब्रह्मास्त्र क्या होगा इसका खुलासा नहीं हुआ है। डॉ रमन सिंह के इस हैट्रिक अभियान को चाक चौबंद करने भाजपा संगठन के अलावा आर एस एस और उसके अनुसागिंक संगठनों ने भी तैयारी शुरु कर दी है जबकि मुख्यमंत्री के खास अधिकारी भी इस अभियान में शामिल होने लगे हैं।
हालांकि कोयले की कालिख के अलावा भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर हमले कर रही कांग्रेसी नीति का क्या असर होगा यह तो बाद में ही पता चलेगा। लेकिन कांग्रेस की आक्रामक शैली से रमन सरकार के माथे पर बल पडऩे लगा है।
कांग्रेसियों द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे से रमन सरकार कटघरे में नजर आ रही है और यही वजह है कि मुख्यमत्री डॉ रमन सिंह न केवल संघ के लोगों से लगातार बैठकें कर रहे हैं बल्कि ब्रह्मास्त्र होने की बात कर रहे हैं।
हालांकि विपक्षी कांग्रेस रमन सिंह के ब्रह्मास्त्र की बात को नजर अंदाज करने की कोशिश में है। लेकिन कांग्रेस यह जानती है कि सत्ता का ब्रह्मास्त्र क्या हो सकता है। भले ही वह मुख्यमंत्री रमन सिंह के ब्रह्मास्त्र को भगवान लक्ष्मण द्वारा छोड़े गए मेघनाथ के ब्रह्मास्त्र से तुलना कर रहे हैं लेकिन गुटबाजी में बटी कांग्रेस के पास लक्ष्मण के लिए संजीवनी लाने वाले हनुमान कौन होगें। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इसकी तरफ़ मुख्यमंत्री के ब्रह्मास्त्र बादक़ भी भाजपा की चिंता अपने ही विधायकों के प्रति जनता में उत्पन्न आक्रोश को लेकर भी है। कहा जाता है कि सरकार के कामकाज को लेकर करीब आधा दर्जन सर्वेक्षण हुए हैं और सभी सर्वेक्षणों में मंत्रियों व विधायकों के प्रति आक्रोश की बात अधिक है। इस सर्वे में टिकिट काटे जाने वाले विधायकों की संख्या अलग-अलग है लेकिन सूत्रों क अभी दावा है कि किसी भी सर्वे रिपोर्ट में यह संख्या दो दर्जन से कम नहीं है। बताया जाता है कि 50 विधायकों वाली सरकार में यदि दो-तीन दर्जन विधायकों की टिकिट काटने की नौबत आई तो बगावत से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में भाजपा के लिए यह मुश्किल भरा काम हो सकता है। हालांकि संगठन सूत्रों का कहना है कि पिछली बार भी 18 विधायकों टिकिटें काटी गई थी तब कुछ नहीं हुआ था लेकिन इस बार मुख्यमंत्री की पहले जैसे छवि पर भी संगठन खेमा खामोश है। बहरहाल भाजपा की हैट्रिक में सबसे बड़े रोड़ा बन रहे उनके अपने विधायकों पर ब्रह्मास्त्र का क्या असर होगा यह चर्चा में है।

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

छत्तीसगढ़ के डेढ़ दर्जन आईएएस निकम्में व भ्रष्ट...


छत्तीसगढ़ के डेढ़ दर्जन आईएएस अफ़सर या तो निकम्मे हैं या भ्रष्ट हैं और इन्हें रमन सरकार ने केवल संरक्षण दे रखा है बल्कि महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दे रखी है। कहा जाता है कि इन भ्रष्ट व निकम्मे अफ़सरों के खिलाफ़ कार्यवाई की बजाए रमन सरकार पूरी भाजपा का ही भ_ा बिठाने में लगी है। इन अफ़सरों की करतूत से न केवल छत्तीसगढ़ के विकास पर असर पड़ा है। बल्कि सरकारी खजाने का एक बड़ा हिस्सा भी इनकी जेब में चला गया है। यही नहीं अफ़सरों की करतूत की वजह से सरकार की साख पर भी धब्बा लग रहा है।
छत्तीसगढ़ की रमन सरकार के संरक्षण में निकम्मे एवं भ्रष्ट अफ़सरों के फ़लने फ़ूलने का सच किसी और ने नहीं वरन मुख्य सचिव सुनील कुमार की अध्यक्षता में गठित रिव्यू कमेटी ने उजागर किया है।
रिव्यू कमेटी ने 31 जनवरी को अपनी बैठक के बाद 25 साल की सेवा कर चुके आईएएस अफ़सरों के कार्यों की जांच कर रिपोर्ट तैयार की है। हालांकि केन्द्रीय कार्मिक विभाग के अफ़सरों के नहीं आने की वजह से सूची पर मुहर नहीं लग पाई। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सुनील कुमार की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 19 नाम तय किए हैं जो नौकरी में रखने लायक नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि रिव्यू कमेंटी की रिपोर्ट के बाद न केवल आइएएस अफ़सरों बल्कि सरकार में भी हड़कम्प मचा हुआ है। एक तरफ़ सरकार के कई मंत्री ऐसे अफ़सरों को हटाकर सरकार की छवि सुधारने की बातें कर रहे हैं तो वहीं यह भी कहा जा रहा है कि सीएम इन्हे हटा कर कोई बखेड़ा खड़ा करना नहीं चाहते। हालांकि चर्चा इस बात की भी है कि भ्रष्ट अफ़सरों ने मुख्यमंत्री पर कार्यवाई नहीं करने का दबाव बना दिया है। ऐसे में रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट को रद्दी की टोकरी में डाला जा सकता है।
हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों ने बताया है कि आइएएस अफ़सरों की कमी झेल रही सरकार के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कई अफ़सरों का सीधे सरकार में बैठे लोगों से संबंध है और ऐसे में कार्यवाई के खिलाफ़ अफ़सरों ने मुंह खोल दिया तो सरकार को इस चुनावी साल में लेने के देने पड़ सकते हैं।
बहरहाल निकम्मे एवं भ्रष्ट अफ़सरों के खिलाफ़ कार्यवाई कर चुनावी साल में छवि सुधारने की कवायद में लगी रमन सरकार का रुख क्या होगा यह बाद में पता चलेगा।
19 अफ़सरों की सूची तैयार
हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों ने राज्य के भ्रष्ट व निकम्मे 19 आईएएस अफ़सरों के नाम बताते हुए कहा कि सूची को लेकर विवाद इसलिए भी है क्योंकि सुनील कुमार की अध्यक्षता वाली इस टीम में मालिक मकबूजा कांड के आरोपी नारायण सिंह की सवालों के घेरे में है। जबकि सूची में दो सीनियर अफ़सरों के अलावा, प्रिंसिपल सेक्रेटरी के नाम भी शामिल है। इनमें से एक के खिलाफ़ डीई तक चल रही है। जबकि मालिक मकबूजा से लेकर बारदाना और चिकित्सा उपरकरण की खरीदी के अलावा कई घोटालेबाज चर्चित अफ़सरों के नाम सूची में शामिल हैं। रिव्यू कमेटी के सदस्य के मुताबिक इन अफ़सरों की करतूतों की वजह से बाकी अफ़सर बदनामी झेल रहे हैं। इसलिए कार्यवाई जल्द होनी चाहिए।

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

सरकार का सच ! सुराज का झूठ...


गाँव से लेकर शहर तक सुराज और विकास का ढिंढोरा पिटने में लगी रमन सरकार भले ही सत्ता की चकाचौंध में आम आदमी की पीड़ा नहीं देख पा रही हो, अपनी चमचमाती गाडिय़ों के फर्ऱाटे से उड़ रही धूल की दिक्कतों से वे अनजान हों या लालबत्ती की धौंस से यातायात में फ़ंसने वाली भीड़ की परेशानी गाडिय़ों के काले शीशे से वे पार न देख रहे हों पर हकीकत में सिफऱ् दो रुपए किलो चावल दे देने से जीवन नहीं चलता।
जीवन चलता है रोटी कपड़ा मकान के अलावा बेहतर शिक्षा, बेहतर चिकित्सा सुविधा और भयमुक्त वातावरण से। लेकिन 9 साल में रमन सरकार ने विकास की जो लकीर खींचने की कोशिश की है। उसका आम आदमी की तकलीफ़ों से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि खेती की बरबादी और नदियों के पानी को प्रदूषित करते उद्योग से आने वाली पीढियों के लिए खतरा साफ़ नजर आ रहा है।

सुराज का सपना तो रमन सरकार ने अपने पहले ही संकल्प से मुकर कर तोडऩा शुरु कर दिया था और दूसरी पारी के लिए संकल्प से दूर भागने की कोशिश ने रही सही कसर पूरी कर दी। नौ साल में सरकार ने कितना विकास किया है और कैसा सुराज है यह उनके जनदर्शन ही नहीं जिला कलेक्टरों को मिल रहे आवेदनों की संख्या से साफ़ दिखने लगा है। आवेदनों की बढती संख्या से साफ़ है कि लोग भ्रष्ट तंत्र, निरंकुश नौकरशाह और मूलभूत सुविधाओं के अभाव से त्रस्त हैं और इसकी अनदेखी का परिणाम भयावह हो सकता है। राÓय बनने के बाद किसी ने नहीं सोचा था कि सरकार की प्राथमिकता इस कदर बदल जाएगी कि लोग बेहतर चिकित्सा सुविधा, बेहतर शिक्षा से वंचित हो जाएगें। निजी स्कूलों और निजी स्कूलों और निजी चिकित्सालयों को लूट की खुली छूट होगी और निजी संस्थानों को बढाने सरकारी संस्थानों को बरबाद कर दिया जाएगा। राÓय निर्माण के दौरान कर मुक्त राÓय और सरप्लस बिजली के चलते हर खेत में पानी की बात बेमानी हो जाएगी और सफ़सरों व नेताओं का राजधानी प्रेम के चलते ग्रामीण अंचल उपेक्षित हो जाएगा। यह सच है कि सरकार के पास जादू की छड़ी नहीं होती कि रातों रात समस्याएं दूर हो जाए लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हर ब्लाक में सर्वसुविधा युक्त अस्पताल और बेहतर कालेज न खोला जा सके। ताकि लोगों को इसके लिए भी राजधानी का मोहताज रहना पड़े।  सरकार भले ही निजी क्षेत्रों को बढावा देने कौडिय़ों के मोल जमीन दे रही है। लेकिन यह भी सरकार की सोच की वजह से राजधानी तक ही सिमट कर रह गया है। मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोगों का आक्रोश चरम पर है और रमन सरकर सुराज के झूठ पर खड़ी नजर आ रही है। तभी तो भ्रष्टाचार और अव्यवस्था ने लोगों की सहनशीलता को तार-तार करना शुरु कर दिया है। अपनी मांगों के लिए लोग कानून हाथ में लेने लगे हैं। हालांकि हम किसी भी मांग के लिए कानून हाथ में लेने की किसी भी मांग का समर्थन नहीं करते लेकिन अपने हक के लिए लोगों को न केवल बाहर आना चाहिए बल्कि अव्यवस्था के खिलाफ़ आवाज बुलंद करना चाहिए। राजधानी के पेंशनबाड़ा स्थित प्री मैट्रिक छात्रावास के ब'चों ने जिस तरह बेबाकी और हिम्मत से काम किया है वह बाकी लोगों के लिए सीख बन सकती है। छात्रावास में रहने वाले इन ब'चों ने अव्यवस्था के लिए सबसे शिकायत की थी और जब उनकी नहीं सुनी गई तो इन ब'चों ने छात्रावास में ताला जड़ सहायक आयुक्त को अव्यवस्था देखने के लिए मजबूर कर दिया। यहाँ तक कि सहायक आयुक्त आर के सिदार को कलेक्टोरेट से छात्रावास तक कार छोड़कर पैदल जाना पड़ा। छात्रावास के ब'चों के इस कदम से प्रशासनिक तंत्र में हड़कम्प है और सरकार के माथे पर बल पडऩा भी स्वाभाविक है लेकिन इस एक घटना से सरकार का सच तो सामने आया ही है सूराज के झूठ से भी परदा उठा है। राजधानी में यह हाल है कि तो प्रदेश के दूसरे हिस्सों का क्या हाल होगा। यह सुराज एवं विकास के दावे करने वालों को सोचना होगा।?सुराज का सपना तो रमन सरकार ने अपने पहले ही संकल्प से मुकर कर तोडऩा शुरु कर दिया था और दूसरी पारी के लिए संकल्प से दूर भागने की कोशिश ने रही सही कसर पूरी कर दी। नौ साल में सरकार ने कितना विकास किया है और कैसा सुराज है यह उनके जनदर्शन ही नहीं जिला कलेक्टरों को मिल रहे आवेदनों की संख्या से साफ़ दिखने लगा है। आवेदनों की बढती संख्या से साफ़ है कि लोग भ्रष्ट तंत्र, निरंकुश नौकरशाह और मूलभूत सुविधाओं के अभाव से त्रस्त हैं और इसकी अनदेखी का परिणाम भयावह हो सकता है। राÓय बनने के बाद किसी ने नहीं सोचा था कि सरकार की प्राथमिकता इस कदर बदल जाएगी कि लोग बेहतर चिकित्सा सुविधा, बेहतर शिक्षा से वंचित हो जाएगें। निजी स्कूलों और निजी स्कूलों और निजी चिकित्सालयों को लूट की खुली छूट होगी और निजी संस्थानों को बढाने सरकारी संस्थानों को बरबाद कर दिया जाएगा। राÓय निर्माण के दौरान कर मुक्त राÓय और सरप्लस बिजली के चलते हर खेत में पानी की बात बेमानी हो जाएगी और सफ़सरों व नेताओं का राजधानी प्रेम के चलते ग्रामीण अंचल उपेक्षित हो जाएगा।
यह सच है कि सरकार के पास जादू की छड़ी नहीं होती कि रातों रात समस्याएं दूर हो जाए लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हर ब्लाक में सर्वसुविधा युक्त अस्पताल और बेहतर कालेज न खोला जा सके। ताकि लोगों को इसके लिए भी राजधानी का मोहताज रहना पड़े।
सरकार भले ही निजी क्षेत्रों को बढावा देने कौडिय़ों के मोल जमीन दे रही है। लेकिन यह भी सरकार की सोच की वजह से राजधानी तक ही सिमट कर रह गया है। मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोगों का आक्रोश चरम पर है और रमन सरकर सुराज के झूठ पर खड़ी नजर आ रही है।
तभी तो भ्रष्टाचार और अव्यवस्था ने लोगों की सहनशीलता को तार-तार करना शुरु कर दिया है। अपनी मांगों के लिए लोग कानून हाथ में लेने लगे हैं। हालांकि हम किसी भी मांग के लिए कानून हाथ में लेने की किसी भी मांग का समर्थन नहीं करते लेकिन अपने हक के लिए लोगों को न केवल बाहर आना चाहिए बल्कि अव्यवस्था के खिलाफ़ आवाज बुलंद करना चाहिए।
राजधानी के पेंशनबाड़ा स्थित प्री मैट्रिक छात्रावास के ब'चों ने जिस तरह बेबाकी और हिम्मत से काम किया है वह बाकी लोगों के लिए सीख बन सकती है। छात्रावास में रहने वाले इन ब'चों ने अव्यवस्था के लिए सबसे शिकायत की थी और जब उनकी नहीं सुनी गई तो इन ब'चों ने छात्रावास में ताला जड़ सहायक आयुक्त को अव्यवस्था देखने के लिए मजबूर कर दिया। यहाँ तक कि सहायक आयुक्त आर के सिदार को कलेक्टोरेट से छात्रावास तक कार छोड़कर पैदल जाना पड़ा।
छात्रावास के ब'चों के इस कदम से प्रशासनिक तंत्र में हड़कम्प है और सरकार के माथे पर बल पडऩा भी स्वाभाविक है लेकिन इस एक घटना से सरकार का सच तो सामने आया ही है सूराज के झूठ से भी परदा उठा है।
राजधानी में यह हाल है कि तो प्रदेश के दूसरे हिस्सों का क्या हाल होगा। यह सुराज एवं विकास के दावे करने वालों को सोचना होगा।?

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

पुलिस भी करती है गांजा तस्करी....


छत्तीसगढ़ की पुलिस क्या नहीं करती, इस सवाल का जवाब देने में भले ही पुलिस के उ'चाधिकारियों को समय लग सकता है लेकिन किसी भी आम आदमी के लिए इसका जवाब देना आसान है। अवैध दारु-गांजा बेचने वालों या सटोरियों से वसूली तो कई राÓयों में होती होगी। लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस में पदस्थ सिपाही से लेकर ए एस आई भी गांजा तस्करी करते हैं। यह बात कोई विश्वास भले ही न करे लेकिन यह सच है। इस खेल में लगे पुलिस कर्मियों के खिलाफ़ भले ही छत्तीसगढ़ पुलिस कार्यवाई करने से हिचक रही हो लेकिन मध्यप्रदेश की पुलिस ने छत्तीसगढ़ पुलिस के एक ए एस आई अखिल पाण्डेय को गिरफ़्तार किया है। गौरेला के एस डी ओपी कार्यलय में संलग्न अखिल पाण्डेय के खिलाफ़ कार्यवाई मध्यप्रदेश की शहडोल जिले की पुलिस ने की है। गिरफ़्तारी के दौरान अखिल पाण्डेय ने भागने की कोशिश भी की थी।
ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ पुलिस में पदस्थ कर्मियों की यह पहली करतूत है। इससे पहले भी कई तरह की करतूतों की वजह से छग पुलिस शर्मशार हुई है और छग पुलिस की करतूतों की वजह से गृहमंत्री ननकी राम कंवर को विधान सभा में यह कहना पड़ा था कि थानेदार आम आदमियों से Óयादा शराब ठेकेदारों की सुनते हैं और दस-दस हजार रुपए में थाने बिके हुए हैं। अपराधियों से सांठ-गांठ के लिए चर्चित कई पुलिस वाले तो सेवानिवृत्ति के बाद भी संविदा में नियुक्ति पाने में सफ़ल हो गए हैं। इसमें एक दलाल किस्म के अधिकारी की संविदा पर तो सरकार तक कटघरे में है।
पेशी के दौरान अपराधियों के साथ मौज मस्ती करना तो आम बात हो गई है जबकि अपराधियों को भागने तक का मौका देने में छत्तीसगढ़ पुलिस कम बदनाम नहीं है। मन्नु नत्थानी हो या राजेश शर्मा, तापडिय़ा हो या कोई और अपराधी पुलिस वालों के इशारे पर ही फऱार है। बिलासपुर एस पी राहुल शर्मा कि मौत के मामले को सीबीआई को सौंपना पड़ा है। कहा जाता है कि लोहा और कोयला चोरों के खिलाफ़ कड़ी कार्यवाई करने वजह से उन पर बेहद दबाव बना था जबकि राजधानी में बद्री जैसे मिलावट खोरों पर हाथ डालने की वजह से शशिमोहन जैसे सीएसपी की हालत क्या हुई यह किसी से छिपा नहीं है।
अपराधियों को संरक्षण के अलावा अपराध कि विवेचना और गलत-सलत रपट लिखने के मामले में भी छत्तीसगढ़ पुलिस का जवाब नहीं है। तभी तो डीजीपी को हाईकोर्ट जाकर लिखित में आश्वासन देना पड़ा।
आखिर छत्तीसगढ़ की पुलिस की बढ़ती लापरवाही और अपराधियों से सांठ-गांठ का असर क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन शहडोल पुलिस की कार्यवाई से यह स्पष्ट हो गया कि पुलिस सिफऱ् गांजा तस्करों से वसूली का ही काम नहीं करती बल्कि तस्करी में भी शामिल है। आखिर उड़ीसा से बड़े पैमाने पर खपाए जा रहे गांजे की खपत किसी से छिपी नहीं है।
चलते-चलते
छत्तीसगढ़ पुलिस के उ'चाधिकारियों की अनदेखी की वजह से करीब डेढ़ सौ थानेदार यानी वरिष्ठ इंस्पेक्टर बगैर पदोन्नति के रिटायर्ड हो जाएगें। इस पर पहली प्रतिक्रिया अ'छा हुआ कहें तो सजा के हकदार थे और दूसरी प्रतिक्रिया "बाम्बरा जैसे लोग रहेगें तो ऐसा ही होगा।

सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

पेलिहा ले पंगनहा हारय


परन दिन खल्लारी के मड़ई म बिसरु ल भेंट डारेवं। पूछेवं कईसे बिसरु का हाल-चाल हे। धान-वान बने हो ए हे?
अतका ल सुनिस तहां ल बिसरु बईहा होगे। का महाराज आजकल आस जास नहीं। जा के गाँव ल देख धान-पान  ल चाटबो। ग़ांव ह बिगड़त हे। आजकल के नवा-नवा टूरा  मन ह कखरों नई सुनत हे। भ_ी वाला ह गांवएच म दुकान ल खोल दे हे अउ पीए बर थोड़ बहुत मंद-महुआ बनात रहेन तउना म छेका करथे। अऊ नान  नान टूरा मन ह घलो मन्दु होगे हे। चोरी-हारी बाढ़ गे हे। कुछु ल छोड़े नई सकस। ए दे मड़ई आय हावव तेमा मोर धियान घर डहार लगे हे। झिम झाम देखिस तहां ले कुछु ल उठा के लेग जथे। सित बाबा के घंटी घलो  नई बाजिस। मंदिर देवाला म चोरी हारी होवत हे। घोर कलजुग आगे हे। मय ह केहेवं - छोड़ न बिसरु चार दिन जीना हे, काबर टेंसन ले थस। कईसे फि़कर नई करहूं महाराज। गाँव ल बनाए बर का उदीम नई करे हन। डांड़-बोड़ी ले बर अपन-तुपन नई देखेन। अउ आज जेन ल देख तउने ह दूसर के जीनिस ल हड़पे म लगे हे। अनियाव ला कलेचुप देख कथें। कईसे देखबे? तय कुछु काह गा अनियाव होवत नई देखव। मरते मर जहूं महाराज , फ़ेर गलत के बिरोध ल नई  छोड़वं। तय त पतरकार हस्। बने भसेड़ के छपबे तभे सु्धरही।
बिसरु के बात सुन के मय ह दंग रहिगेंव। ए उमर म घलो वो ह नियाव बर सब ले लड़े-भिड़े बर तइयार रथे। अऊ एक झन उही गाँव के राम लाल हे। वोला अपन सुवारथ के आगु कुछु नई दिखय। ते म त भ_ी वाला मन के दू चार सौ रुपया के सेती गाँव म भ_ी वाला मन ल दारु बेचे बर जगह देहे हे। पेलिहा अतका के लउड़ी बेडग़ा धर के भिड़ जथे। तभे त बिसरु ह कहाय वोला सरपंच झन चुनव, वो ह गांव ल बेच दिही। फ़ेर बिसरु जईसे मन के बात ल कोन सुनथे। आज कल त परबुधिया मन के कोनो कमी नईए। दूचार रुपया बर लुहुर-टुपुर करत रथे। छत्तीसगढिय़ा मन के इही परबुधिया होय के सेती त कतकोइन झन मजा उड़ावत हे। अऊ छत्तीसगढिय़ा मन ह दू रुपया किलो के चांऊर मा भुलाए हे। चुनई आथे चेपटी पाथे। तहां ले जम्मो पीरा ल भुला जथे। दूचार बिसरु असन लड़ईया मन के कोनो पुछन्ता नईए। अऊ जादा होईस त कही देथे, एखर त कामेच इही हे। अब सरकार ह काय काय ल देखही। अऊ बिकास करे म दू चार बांध तरिया, गऊठान त पटाबेच करही। उद्योग ह हवा म नई लगय। खेत खार ल बेच दे के हल्ला करईया मन के का हे वो मन त कोइला के कालिखेच देखत रथे। ए नई दिखते हे के सरकार ह कइसे गरीब मन ल चांऊर देवत हे। पढ़ईया टूरी मन ल सइकिल देवत हे। बिसरु असन मन ल त खाली मंत्री विधायक के गाड़ी अऊ खेत खार के खरीदीच ह दिखथे।

शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

सोए तो मुसीबत और जगे तब भी...


छत्तीसगढ़ पुलिस इन दिनों अजीब दौर से गुजर रही है। यदि वह सो जाए तो चोर अपना कमाल दिखाने से नहीं चुकते। तभी तो महासमुंद में गणतंत्र दिवस समारोह स्थल की सुरक्षा में लगे जवान समारोह स्थल पर ही सो गए तो चोर मैग्जिन और इंसाल रायफ़ल ही चुराकर ले गए। अब पुलिस अधिकारियों ने गुस्से में ड्यूटी पर तैनात चारों सिपाहियों दीपक विदानी, नरेन्द्र यादव, सूर्यकांत ठाकुर और संजीत सिंह को निलंबित कर दिया। यह अलग बात है कि इन चारों कुछ दिन बाद फिऱ से ड्यूटी पर ले लिया जाएगा। नक्सली आमद की सूचना वाले इस जिले की पुलिस की इस गंभीर चूक पर  इन सिपाहियों पर और कड़ी कार्यवाही होगी या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन पुलिस की ऐसी ही लापरवाही के चलते चोरों के हौसले बुलंद हैं।
लेकिन पुलिस की दिक्कत यह है कि वह सब कुछ रात में ही कर लेना चाहती है तभी तो मौदहापारा में आधी रात को ऐसे आदमी का वारंट तामिल करने पहुची और पिटे गए। जो दिन में आसानी से उपलब्ध रहत था। आसानी से उपलब्ध तो बैजनाथ पारा में बलवाकांड के आरोपी भी हैं। लेकिन उन पर भी हाथ डालने की हिम्मत पुलिस अधिकारियों में नहीं है। कांग्रेस की नेतागिरी करने वाला यह बलवाई पुलिस अधिकारियों के साथ उठता बैठता है।
तभी तो वायदा कारोबारी मन्नु नत्थानी हो या स्मार्ट कार्द घोटाले का आरोपी डॉक्टर बांठिया ही क्यों न हो। पुलिस उन्हे नहीं पकड़ती।
ये ठीक है कि राजधानी में पुलिस पर राजनैतिक दबाव है और यहाँ तो  मिलावट खोरों को पकडऩे की हिम्मत दिखाने वालों को मंत्रियों द्वारा फ़ोन कर बचाया जाता है। लेकिन जिन वारंटियों के नाम थाने की सूचि से गायब हो गए हैं उनका क्या? क्या उन थानेदारों पर कार्यवाई करने की हिम्मत किसी पुलिस अधिकारी में है। थानेदारों की करतूत किसी से छिपी नहीं है। तभी तो यहां पुलिस पिटी जा रही है। लूट पर चोरी की रिपोर्ट लिखने वाले मोवा थानेदार कोई गुस्सा करे तो पुलिस अधिकारियों को क्या फ़र्क पड़ता है। मगरलोड में तो महिला के आत्महत्या करने के मामले मे सबूत के बाद भी दहेज प्रताडऩा की रपट नहीं लिखने की वजह से हाईकोर्ट को डीजीपी तक को तलब करना पड़ा।
 पुलिस तो यहां दिन में भी सोती है तभी तो दिन में उन्हे वारंटी नजर नहीं आते। हर थाने में दर्जनों वारंटी मजे से घूम रहे हैं। कोई खादी पहर रखा है तो कोई भगवा ओढ़ रखा है और थानेदार का तो पूरा समय ही अपने क्षेत्र में वसूली और थानेदारी बचाने में लग रहा है।
अब गृहमंत्री बोलते रहे कि दस-दस हजार में दारु ठेकेदारों के हाथों थाने बिक रहे हैं। किसी को फ़र्क नहीं पड़ता और जिन थानेदारों को फ़र्क पड़ता है वे लाईन में ड्यूटी कर रहे हैं। थानेदारी के लिए भी यहां कई शर्ते हैं और उन शर्तो में तो नेताओं का ध्यान रखना भी शामिल है।
चलते चलते
अकलतरा बलात्कार कांड में थाना प्रभारी को भाजपाईयों से रिश्तेदारी निभाना भारी पड़ा और अब वे निलंबित कर दिए गए  लेकिन इन दबंग भाजपाईयों ने आश्वासन दिया है कि उन्हे निलंबित करने वाले अफ़सर की खैर नहीं है, उन्हे भी चलता कर दिया जाएगा।

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

भाजपा की हैट्रिक में आधा दर्जन मंत्री सहित दो दर्जन विधायक बन रहे हैं रोड़


छत्तीसगढ़ में कोयले की कालिख पूते चेहरे के साथ हैट्रिक की तैयारी में भाजपा के सामने सबसे बड़ी दिक्कत उनके अपने मंत्री और विधायकों की करतूतों से होने लगी है। एक सर्वे ने जहां संघ की नींद उड़ा दी है वहीं इनकी टिकिट काटने की भी अंदरुनी चर्चा चल रही है। पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश नड्डा के बस्तर प्रवास के तुरंत बाद मुख्यमंत्री से हुई भेंट को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में कोयले की कालिख पूते चेहरे के साथ हैट्रिक की तैयारी में भाजपा के सामने सबसे बड़ी दिक्कत उनके अपने मंत्री और विधायकों की करतूतों से होने लगी है। एक सर्वे ने जहां संघ की नींद उड़ा दी है वहीं इनकी टिकिट काटने की भी अंदरुनी चर्चा चल रही है। पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश नड्डा के बस्तर प्रवास के तुरंत बाद मुख्यमंत्री से हुई भेंट को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
हमारे बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी भाजपा में हैट्रिक को लेकर जबरदस्त उहापोह है। रमन सरकार की हैट्रिक के लिए निजी कम्पनी से भी सर्वेक्षण भी कराया गया है ताकि सत्ता विरोधी कारणों को दूर किया जा सके। बताया जाता है कि संगठन स्तर पर कार्यकर्ताओं से मिलकर कार्यकर्ताओं से मिलकर भी एक रिपोर्ट बनाई गई है और दोनो ही रिपोर्ट में सबसे Óयादा एकरुपता इस बात की है कि यदि आधा दर्जन मंत्रियों सहित दो दर्जन विधायकों कि टिकिट नहीं काटी गई तो हैट्रिक तो दूर की बात शर्मनाक स्थिति भी आ सकती है। कोयला घोटाले के अलावा भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रभारी को बताया गया है। उद्योगपतियों और अधिकारियों की मनमानी पर भी तीखी टिप्पणी की गई है। यही नहीं संकल्प पत्र में शिक्षा कर्मियों के संविलियन,किसानों को 270 रुपए बोनस और बेरोजगारी भत्ता को पूरा नहीं करने से होने वाली दिक्कत को भी रेखांकित किया गया है। जबरिया जमीन अधिग्रहण को लेकर भी सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। यही नहीं सतनामी समाज व साहू समाज की नाराजगी को भी रिपोर्ट में जगह दी गई है।
सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में सर्वाधिक चौंकाने वाली बात मंत्रियों  और विधायकों  को लेकर है। कहा जाता है कि आधा दर्जन मंत्रियों सहित दो दर्जन विधायकों के रिपोर्ट कार्ड बेहद खराब हैं और इन्हे टिकिट दी गई तो पार्टी को शर्मनाक से गुजरना पड़ सकता है।
रिपोर्ट को लेकर सूत्रों का दावा है कि आदिवासी ही नहीं सामान्य वर्ग के कुछ मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड को बेहद खराब बताया जा रहा है। वहीं विधायकों में बस्तर संभाग से 5, बिलासपुर एवं अम्बिकापुर संभाग से एक दर्जन और रायपुर संभाग से आधा दर्जन विधायकों की रिपोर्ट को बेहद खराब बताया गया है। जिसमें महिला विधायक भी शामिल है।
सूत्रों का कहना है कि कार्यकर्ताओं ने कार्यकर्ताओं ने मंत्रियों एवं विधायकों की करतूतों की जमकर शिकायत की है। खासकर बस्तर और रायपुर संभाग में कई कार्यकर्ताओं ने साफ़ तौर पर कहा है कि यदि कुछ विधायकों को दोबारा टिकिट दी गई तो वे काम ही नहीं कर पाएगें।
इधर इस रिपोर्ट के आने के बाद से भाजपा संगठन ही नहीं सरकार में भी हड़कम्प मचा हुआ है और कहा गया है कि बजट सत्र के बाद न केवल प्रशासनिक फ़ेरबदल बल्कि मंत्री स्तर पर भी फ़ेरबदल में कड़ा रुख अख्तियार किया जा सकता है।
हांलाकि सरकार के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह स्वयं कोल घोटाले, अमन सिंह की प्रतिनियुक्ति सहित कई मामले से उबर नहीं पा रहे हैं। जबकि संगठन के अस्तित्व को लेकर भी कार्यकर्ताओं में चर्चा कम नहीं है। कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग मानता है कि यदि संगठन खेमे ने सरकार पर दबाव नहीं डाला तो हैट्रिक की मंशा पूरी होना मुश्किल है।
बहरहाल रिपोर्ट से सरकार में हड़कम्प है और आने वाले बजट में इससे निपटने की कोशिश साफ़ दिखेगी।