सोमवार, 24 मई 2010

पीडब्ल्यूडी में ठेका,जरूरी है मंत्री का टेका


छत्तीसगढ़ में पीडब्ल्यूडी विभाग ने टेंडर प्रक्रिया को जितना भी पारदर्शी बताए लेकिन ठेकेदारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि जब तक मंत्री स्तर पर पहुंच नहीं होगी ठेका मिलना मुश्किल है। वहीं बढ़ते कमीशन से भी ठेकेदारों में रोष है जबकि ठेकेदारी कर रहे भाजपाईयों की भी अब हालत खराब होने लगी है।
वैसे तो पीडब्ल्यूडी विभाग में इस तरह के आरोप नया नहीं है लेकिन विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पिछले सालभर से यहां जो कुछ हो रहा है वैसा कभी नहीं हुआ। भाजपाई सूत्रों के मुताबिक जब राजेश मूणत इस विभाग के मंत्री थे तब उन्होंने भाजपाईयों को अधिकाधिक ठेका दिलाने में रूचि दिखाई जिससे कार्यकर्ताओं में ठेकेदारी की रूचि बढ़ी थी लेकिन बृजमोहन अग्रवाल के पीडब्ल्यूडी मंत्री बनते ही स्थिति बदल गई है और कई भाजपाईयों ने ठेकेदारी ही बंद कर दी है।
इधर विभागीय सूत्रों का कहना है कि भले ही -टेंडरिंग से लेकर दूसरा पारदर्शी तरीका अपनाया गया है लेकिन ठेका किसे मिलना है यह पहले से तय कर लिया जाता है। बताया जाता है कि लागत बढ़ाने के खेल खेलकर विभागीय अधिकारी अनाप-शनाप पैसा कमा रहे हैं। इसका खुलासा करते हुए हमारे सूत्र ने बताया कि पिछले माह -टेडरिंग के जरिये करीब दर्जनभर निर्माण कार्यों की निविदा बुलाई गई थी और चहेते ठेकेदारों को बिलों में टेंडर भरने कहा गया। ताकि टेंडर इन्हें ही मिले और हुआ भी यही।
बताया जाता है कि मूल निविदा में जानबूझकर बदलाव किया जाता है और लागत बढ़ाई जाती है ताकि बिलों में टेंडर लेने वालों को घाटा उठाना पड़े और नीचे से ऊपर तक कमीशन की राशि मनमाने ढंग से वसूल की जा सके। सूत्रों ने बताया कि कभी पीडब्ल्यूडी में ठेकेदारों को बिल पास कराने 15 प्रतिशत रकम बांटना होता था और अब इसे पांच प्रतिशत बढ़ा दिया गया है और मंत्री तक कमीशन पहुंचाये जाने का दावा किया जाता है। डामर घोटाले की वजह से विवाद में आए इस विभाग में इन दिनों पदोन्नति सूची में गड़बड़ी की चर्चा है। कहा जाता है कि चहेते अधिकारियों को मनमाफिक पदों पर बिठाने पदोन्नति सूची में जबरदस्त गड़बड़ी की गई है। बहरहाल पीडब्ल्यूडी में चल रहे इस घपलेबाजी को लेकर कई तरह के चर्चे है और इसकी वजह से शासन की छवि भी खराब हो रही है।

मूणत पर भी लगने लगा आरोप थोक दवा बाजार हुआ अभिशाप

शदाणी दरबार के पास बन रहे थोक दवा बाजार के निर्माण में पदाधिकारियों द्वारा किए जा रहे घपले को लेकर सदस्यों में भारी रोष है और अब तो नगरीय निकाय मंत्री राजेश मूणत पर भी आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप खुले आम लगाया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक मेडिकल व्यवसायियों ने थोक दवा बाजार बनाने शदाणी दरबार के पास 14 एकड़ जमीन ली थी तथा इसका अध्यक्ष भरत आजवानी और कोषाध्यक्ष जुगल किशोर चांडक को बनाया गया इसके साथ ही संस्था में विजय जादवानी, वासु जोतवानी, राजन सहित अन्य को कार्यकारिणी सदस्य बनाए गए।
बताया जाता है कि पहले तो निर्माण में विलंब को लेकर सदस्यों ने पदाधिकारियों को घेरना शुरू किया तब पता चला कि 14 की जगह सिर्फ 11 एकड़ में ही दवा बाजार बनाया जा रहा है और तीन एकड़ जमीन पदाधिकारियों ने न केवल अपने नाम पर रजिस्ट्री करा ली बल्कि उसे अनाप शनाप कीमत पर बेचने की कोशिश कर रहे हैं। सदस्यों को जब इस घपलेबाजी का पता चला तो वे बैठक बुलाने की मांग करने लगे और कुछ लोगों ने इसकी शिकायत रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसायटी और राय सरकार से कर दी।
इधर उच्च स्तरीय शिकायत के डर से पदाधिकारियों ने स्वयं को बचाने हाथ-पैर मारना शुरु कर दिया और बताया जाता है कि उच्च स्तर पर दो करोड़ का लेन देन भी हो गया ताकि पदाधिकारियों को बचाया जा सके। इधर शिकायतकर्ताओं पर शिकायत वापस लेने का दबाव भी आने लगा। एक सदस्य ने तो नगरीय निकाय मंत्री राजेश मूणत पर भरी बैठक में आरोप लगाया कि वे शिकायतकर्ताओं को शिकायत वापस लेने दबाव डाल रहे हैं।
इधर सदस्यों द्वारा पदाधिकारियों से हिसाब मांगे जाने पर उन्हें पैसा वापस लौटाने की धमकी दी जाती हैं चूंकि यहां की जमीन की कीमत दो-तीन गुणा बढ़ गई है इसलिए कई सदस्य खामोश हैं। इधर इस मामले को लेकर सदस्यों में भारी रोष है जबकि चर्चा इस बात की भी है कि ले-आऊट से लेकर पानी-बिजली सड़क के मामले में भी घपलेबाजी जमकर हुई है चूंकि पदाधिकारियों ने उच्च स्तरीय लेन देन कर लिया है इसलिए भी कार्रवाई नहीं हो रही है और सदस्यों की बढ़ती-नाराजगी की वजह से कभी भी कोई अनिष्ट होने की संभावना भी जताई जा रही है। बहरहाल थोक दवा बाजार मामले में मंत्री का नाम आने से विवाद गहराने लगा है और उच्च स्तर पर धमकी-चमकी के चलते सदस्यों में भारी नाराजगी है।