रविवार, 3 अक्तूबर 2010

छत्तीसगढ़ में दागी व विवादास्पद आईएएस अफसरों का जमावड़ा...

भ्रष्टाचार का चौतरफा आरोप, कार्रवाई नहीं
 छत्तीसगढ़ में कार्यरत अधिकांश आईएएस अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं भारतीय प्रशासनिक सेवा के इन अधिकारियों की विवादास्पद छवि के चलते जनता के करोड़ों रुपए डकारे जा रहे हैं। पदों का दुरुपयोग खुलेआम किया जा रहा है और डॉ. रमन सरकार इन बेकाबू होते अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर उन्हें संरक्षण देने में आमदा है।
छत्तीसगढ़ में जिस तरह से लूट-खसोट मची है वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के दामन में एक बदनुमा दाग बनकर सामने आने लगा है और एक बारगी तो सीधे सरकार से गठजोड़ दिखाई देने लगा है। हालत यह है कि बेहिसाब संपत्ति के मालिक इन अफसरों पर अंकुश लगाने में सरकार पूरी तरह विफल है। सर्वाधिक चर्चित अफसरों में इन दिनों बाबूलाल अग्रवाल का नाम सबसे ऊपर है। उनके साथ तो सीधे सीएम हाउस से गठजोड़ की खबर है जबकि अन्य अफसरों में विवेक ढांड का नाम भी सामने आया है। कहा जाता है कि रायपुर के इस अफसर ने अपने पद का दुरुपयोग इतनी चालाकी से किया है कि अच्छे-अच्छे नटवर लाल भी फेल हो जाए ताजा मामला तो उनके स्वयं के दुकान सजाने व गृहनिर्माण मंडल के बंगले को रेस्ट हाउस के लिए किराए से देने का है।
मालिक मकबूजा कांड में फंसे नारायण सिंह को किस तरह से पदोन्नति दी जा रही है यह किसी से छिपा नहीं है जबकि सुब्रत साहू पर तो धमतरी कांड के अलावा भी कई आरोप है। दूसरे चर्चित अफसरों में सी.के. खेतान का नाम तो आम लोगों की जुबान पर चढ ग़या है। बारदाना से लेकर मालिक मकबूजा के आरोपों से घिरे खेतान साहब पर सरकार की मेहरबानी के चर्चे आम होने लगे हैं।
ताजा मामला जे. मिंज का है माध्यमिक शिक्षा मंडल के एमडी श्री मिंज पर रायपुर में अपर कलेक्टर रहते हुए जमीन प्रकरणों में अनियमितता बरतने का आरोप है। सरकारी जमीन को बड़े लोगों से सांठ-गांठ कर गड़बड़ी करने के मामले में उन्हें नोटिस तक दी जा चुकी है। एम.के. राउत पर तो न जाने कितने आरोप हैं जबकि अब तक ईमानदार बने डी.एस. मिश्रा पर भी आरोपों की झड़ी लगने लगी है। अजय सिंह, बैजेन्द्र कुमार, सुनील कुजूर तो आरोपों से घिरे ही है। आरपी मंडल के खिलाफ तो स्वयं भाजपाई मोर्चा खोल चुके हैं लेकिन वे भी महत्वपूर्ण पदों पर जमें हुए हैं। जबकि अनिल टूटेजा पर तो हिस्ट्रीशिटरों के साथ पार्टनरशिप के आरोप लग रहे हैं। कहा जाता है कि देवेन्द्र नगर वाले इस शासकीय सेवा से जुड़े अपराधी को हर बार बचाने में अनिल टुटेजा की भूमिका रहती है।

अधिकांश आईएएस की करतूतों का कच्चा चिट्ठा सरकार के पास है आश्चर्य का विषय तो यह है कि जब भाजपा विपक्ष में थी तब इनमें से अधिकांश अधिकारियों की करतूत पर मोर्चा खोल चुकी है लेकिन सत्ता में आते ही इनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर उन्हें महत्वपूर्ण पदों से नवाजा गया। बताया जाता है कि आईएएस और मंत्रियों के गठजोड़ की वजह से करोड़ों रुपए इनके जेब में जा रहा है। यहां तक कि जांच रिपोर्टों को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है। बहरहाल छत्तीसगढ़ में बदनाम आईएएस अफसरों का जमावड़ा होता जा रहा है और सरकार भी इनकी करतूत पर आंखे मूंदे है।

जो है नाम वाला, वही तो बदनाम है!

छत्तीसगढ़ की राजधानी में इन दिनों बड़े व प्रतिष्ठित माने जाने वाले अखबारों ने नया खेल शुरु किया है । अपनी प्रतिष्ठा बचाने के फेर में 'नवभारत' ने तो जग हंसाई कर दी। पता नहीं यह मैनेजमेंट का दिमाग था या शहर को नहीं जानने वाले संपादक का। हुआ यूं कि सीजी-04 में नार्को टेस्ट की कहानी छापी गई और कहा गया कि इसमें एक मंत्री व अधिकारी को बैंक मैनेजर सिंहा को बचाने करोड़ रुपए का लेन देन का खुलासा हुआ है और जिन्हें यह नार्को टेस्ट की सीडी देखना है वे नवभारत आकर देख सकते हैं। अब जिन्हें छत्तीसगढ़ का ज्ञान न हो वह ऐसी बचकानी हरकत कर सकता है क्योंकि यहां के लोग सीडी देखने पहुंच गए। अब उन्हें बगैर सीडी दिखाए लौटाया जा रहा है। यदि यही हरकत छोटे अखबार वाले करते तो इसे ब्लैकमेलिंग की संज्ञा दे दी जाती? आश्चर्य तो यह है कि यह सीडी नवभारत में काम करने वाले ही नहीं देख पाए है? यानी फुल सेटिंग? वसूली? या इसे और नाम कमाने का या पेपर बेचने का फार्मूला क्या कहें।
क्या पत्रिका भी इसी राह पर
रायपुर की आवाज उठाने का दावा करने वाले नए नेवले अखबार ने अपनी आमद से दूसरे बड़े अखबारों को हिला जरूर दिया है लेकिन उसके तेवर फिलहाल दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। खबरें नहीं गढ़ने का दावा तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन फ्रंट पेज में फुल पेज विज्ञापन छाप कर उसने भी वहीं किया है जो दूसरे बड़े अखबार कर रहे हैं यानी गुड़ के भाई पा...!
सीनियर फोटोग्राफर जब डर गए...
पिछले दिनों डांस बार में भाजपा नेता प्रभाष झा के बेटे के साथ मारपीट के मामले में गिरफ्तार शिव सैनिक प्रमुख धनंजय सिंह परिहार को जब पुलिस ने अदालत में पेश किया तो सीनियर फोटोग्राफरों की हवा निकल गई। पहचान और संबंध था या डर ये तो वही जाने लेकिन सीनियरों ने जूनियरों को फोटो खींचने लगा दिया। स्वयं बचने लगे। केवल विनय शर्मा ही ऐसे थे जो फोटो खींचने पहुंचे। अब चर्चा इस बात की है कि कौन-कौन बार में डांस देख चुका है?
हिमांशु का खेल...
वैसे तो इस बंदे का कोई जवाब नहीं है चाहे कर्मचारियों पर दबाव बनाने की बात हो या मालिकों पर प्रेशर बनाने की। समय के अनुरूप दबाव बनाओं और अपना उल्लू सीधा करो? ऐसे में पत्रिका के दहशत पर अपना उल्लू सीधा कर लिया जाए तो बुराई क्या है?
रमन प्रिंट में
हिन्दुस्तान से प्रताड़ित होने वाले इलेक्ट्रानिक मीडिया का यह कैमरा मेन इन दिनों हरिभूमि का फोटोग्राफर बन गया है। अब वह इलेक्ट्रानिक मीडिया से यादा खुश है।
रामकुमार की जनसत्ता से छुट्टी
भास्कर को अपना ईमान समझने के बाद भी जब वहां से हटाए गए तो रामकुमार परमार ने जनसत्ता का रुख किया अब वे वहां से भी चले गए। कहां जाना है अभी तय नहीं है।
'पप्पू' भी होगा पास...
मौका सबका आता है। जब बड़े-बड़े लोग सुपर स्टार बन रहे हैं तो पप्पू पटेल भला क्यों पीछे रहें? दो फीट का पप्पू पटेल भी बहुत जल्द एक छत्तीसगढ़ी फिल्म में हीरो बनकर आ रहा है। डोंगरगढ़ और इसके आसपास के इलाकों में इस फिल्म की शूटिंग जोर-शोर से चल रही है। पप्पू पटेल को पूरा विश्वास है कि छत्तीसगढ़ के दर्शक उसे जरूर पसंद करेंगे।



और अंत में...
एआईसीसी के इस मेंबर ने इतना अवैध निर्माण कर लिया है कि उसे बचाने भाजपाई नेताओं से गिड़गिड़ाना ही पड़ेगा। अब जनसंपर्क वाले मजा लें तो लेते रहें।

महात्मा गाँधी की प्रतिमा स्थापित

 छत्तीसगढ़िया सेना ने राजधानी रायपुर के गाँधी मैदान में आदम कद प्रतिमा स्थापित की . यह जगह गाँधी मैदान तो कहलाता था लेकिन गाँधी के बगैर सुना था . कुबेर सपहा ने इसका उदघाटन प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजित प्रमोद कुमार जोगी  के हाथों करवाया .