सोमवार, 15 जुलाई 2024

बच्चों की मौत को मौसमी बीमारी के नाम पर ढाँक रही साय सरकार

 बच्चों की मौत को मौसमी बीमारी के नाम पर ढाँक रही साय सरकार 

मलेरिया - डायरिया से बच्चों की मौत से राजनीति गर्म


छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में आदिवासी बच्चों की मौत का मामला अब गरमाने लगा है लेकिन राज्य में बैठी विष्णुदेव साय की डबल इंजन की सरकार इन मौतों को मौसमी बिमारी के नाम पर अपनी लापरवाही और उदा‌सिनता से पल्ला झाड़ रही है।

सूत्रों की माने तो पिहले दो सप्ताह के भीतर मलेरिया और डायरिया से मरने वाले बच्चों की संख्या आधा दर्जन से पार हो गई है लेकिन सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि  इन मौतों के लिए सत्ता की उदासिनता जिम्मेदार है, जबकि इससे पहले बारिश शुरु होने के साथ ही स्वास्थ्य अमले को हर साल सक्रिय कर दिया जाता था लेकिन विष्णुदेव सरकार ने इस ओर ध्यान देने की बजाय मंत्रिमंडल के विस्तार और निगम मंडल में नियुक्ति के लिए दिल्ली का चक्कर लगाने के नाम पर माथापच्ची में ही लगी रही।

सूत्रों की माने तो बस्तर के संगमपल्ली पोटा केबिन में ही मलेरिया से दो बच्चों की मौत हो गई है तीस घंटे के भीतर दो बच्चों की मौत से प्रशासन में हड़‌कम्प मचा हुआ है, तो दूसरी तरफ़ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गृह मंत्री विजय शर्मा के जिले में बैगा आदिवासी की डायरिया से मौत के मामले को लेकर डबल इंजन की सरकार पर हमला करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर कहा है कि भाजपा सरकार के आते ही डायरिया और मलेरिया से मौतें हो रही है। हमारी सरकार ने बस्तर को मलेरिया मुम्त करने का अभियान चलाया था। ये विशुद्ध रूप से भाजपा सरकार की नाकामी है।

इस पर बीजेपी प्रवक्ता शिवरतन शर्मा ने लापरवाही मानने से इंकार करते हुए इसे मौसमी बीमारी बता दिया और राजनीति नहीं करने की चेतावनी दे डाली। 

अभी भाजपा प्रवक्ता मौसमी बीमारी बता ही रहे थे कि उसी दौरान मैनपुर से खबर आ गई कि यहां के दर्रीपारा में कमार छात्र की मौत मलेरिया से हो गई।

सत्ता की इस तरह की मौतों से पल्ला झाड़ने की यह पहली कोशिश नहीं है, पहले भी ऐसी कोशिश होते रही है । लेकिन मलेरिया और डायरिया से हुई मौत को मौसमी बीमारी के नाम से पल्ला झाड़ने की कोशिय सत्ता की संवेदनहीनता को ही उजागर करता है।

ये सच है कि बारिश के दिनों में डायरिया का प्रकोप बढ़ जाता है लेकिन इसे मौसमी बीमारी बताकर जिम्मेदारी से बचा नहीं जा सकता और मलेरिया से मौत तो सत्ता की लापरवाही का नमूना है।