बुधवार, 16 जून 2021

संघियों का ये कैसा राष्ट्रहित...

 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में कहा जाता है कि उसके संघ चालक, प्रचारक सभी काम राष्ट्रहित में कते है, राष्ट्रहित की वजह से वे परिवार नहीं बसाते और राष्ट्र निर्माण में ही अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं।

तब सवाल यह उठता है कि राष्ट्रहित क्या है और संघ के राष्ट्रहित का क्या मतलब है। यह सवाल इसलिए उठाये जा रहे है क्योंकि अयोध्या में जो जमीन घोटाले का आरोप सामने आया है उसके केन्द्र में जो नाम चर्च में है वे हैं चम्पत राय। चम्पत राय विश्व हिन्दू परिषद के बड़े चेहरे रहे हैं और संघ के प्रचारक भी रहे है यानी संघ के अनुसार चम्पत राय जो भी काम करते है वह राष्ट्रहित और राष्ट्र निर्माण के अनुरुप होता है तब सवाल यही उठता है कि राम मंदिर निर्माण के लिए जो जमीन घोटाले की खबर आ रही है उसकी हकीकत क्या है।

हकीकत में देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के लिए जो जमीन दी गई यानी 70 करोड़ जमीन के अलावा ट्रस्ट और जमीन क्यों खरीद रही है क्या इसके लिए कोर्ट से ईजाजत ली गई। दूसरा सवाल यही है कि क्या ट्रस्ट को कुछ भी कीमत पर जमीन खरीदने का अधिकार है। तीसरा सवाल उत्तरप्रदेश राजस्व अधिनियम के उल्लंघन का है कि आखिर रजिस्ट्रार ने बाजार दर से कम में रजिस्ट्री क्यों की और इसके एवज में होने वाली राजस्व घाटा के लिए क्या रजिस्ट्रार को बर्खास्त नहीं कर दिया जाना चाहिए या संघ के राष्ट्र हित कानून से उपर है।

ऐसे में सवाल यदि संघ के संस्कार पर भी उठ रहे हैं तो यकीन मानिये मोदी सरकार के इस दौर में संघ की प्रतिष्ठा भी गिरी है क्योंकि नरेन्द्र मोदी भी संघ के प्रचारक रहे हैं और राजनैतिक शुद्धिकरण के चलते संघ में आये हैं चूंकि प्रचारक राष्ट्रहित में काम करते है और परिवार के झंझट में नहीं पड़ते इसलिए नरेन्द्र मोदी के शादीशुदा होने के बाद भी प्रचारक बनना  और न बनना किसे धोखा देना था यह संघ ही जाने। संघ प्रचारक अटल बिहारी वाजपेयी जी भी रहे और गुजरात कांड के बाद एक संघ प्रचारक जो राष्ट्रहित में ही काम करते हैं दूसरे संघ प्रचारक नरेन्द्र मोदी को राष्ट्र धर्म सिखलाने गुजरात जाते है तो कौन राष्ट्रहित का काम कर रहे थे यह भी संघ जाने।

तब सवाल यही है कि क्या संघ के प्रचारक राष्ट्रहित में ही काम करते हैं तब प्रचारक से प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी का हर निर्णय क्या राष्ट्रहित में ही है। यह सवाल संघ के राष्ट्रहित की सोच को भी प्रदर्शित करता है कि आखिर नोटबंदी की लाईन में डेढ़ सौ लोगों की मौत क्या राष्ट्रहित में था, कोरोना की चेतावनी को नजर अंदाज करके नमस्ते ट्रम्प और मध्यप्रदेश में सत्ता का लोभ क्या राष्ट्रहित का निर्णय था, रिजर्व बैंक का रिजर्व फंड का उपयोग यदि राष्ट्रहित का निर्णय मान भी ले तो क्या 8 लाख करोड़ रुपये उद्योगपतियों का राईट ऑफ करना राष्ट्रहित का निर्णय है? या बढ़ती बेरोजगारी बढ़ती महंगाई और टैक्स में बढ़ोत्तरी भी क्या राष्ट्रहित का निर्णय है।

चूंकि संघ के मुताबिक प्रचारक राष्ट्रहित में ही निर्णय लेते हैं इसलिए बंगारु लक्ष्मण से लेकर राघव जी का कार्य भी क्या राष्ट्रहित का ही है? तब सवाल यही है कि राम मंदिर ट्रस्ट को मिले चंदा का खर्च राष्ट्रहित में है और घोटाले तो हो ही नहीं सकते भले ही कानून का उल्लंघन हो जाए।