शुक्रवार, 28 मई 2021

देश को कहां ले जाओगे मोदी जी...


देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की पुण्यतिथि पर कुंठित हिन्दुओं ने सोशल मीडिया में जिस तरह के शब्दों का प्रयोग किया, अश्लीलता फैलाई वह न तो हिन्दू धर्म के अनुरुप है और न ही मानवता के।

पिछले कुछ सालों में इस देश में कुंठित हिन्दुओं ने एक नई परम्परा शुरु की है कि गांधी, नेहरु या ऐसा कोई भी नेता जो संघ और भाजपा के विचारधारा को नहीं मानता, उनके जयंती या पुण्यतिथि पर अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जाता है। यह परम्परा अमानवीय ही नहीं उस कुंठा का प्रतीक भी है जो सत्ता के अहंकार में फलने फूलने लगा है। और यह सब खेल वही लोग कर रहे है जिनका कहीं न कहीं से संघ या भाजपा से संबंध है। ऐसे में हम समाज को कहां ले जा रहे हैं, मानवता की कौन सी परिभाषा गढ़ रहे है यह सवाल देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भई पूछना चाहिए क्योंकि बात-बात पर झूठ बोलना और अमर्यादित भाषा के इस्तमेाल भी वे ही करते हैं।

हालांकि यह पार्टी अपने को हिन्दुवादी या हिन्दुओं की रक्षक ही नहीं बताती बल्कि समय-समय पर धार्मिक का चोला भी ओढ़ती है तब यह बात जरूरी हो जाता है कि जिस हिन्दू धर्म ग्रंथ में झूठ, छल प्रपंच और अमर्यादित भाषा केवल असुरों की बताई जाती है उस धर्म ग्रंथ के कथित रक्षकों को यह बात समझ में क्यों नहीं आ रही है। इस देश ने हमेशा ही मानवता के उस परम्परा को जिया है जिसके तहत मृतात्माओं की बुराई करने से बचा जा सके लेकिन हाल के सालों में जिस तरह की परम्परा को बढ़ावा दिया जा रहा है उसके बाद किसी के सम्मान को बचाये रखना मुश्किल हो जायेगा।

भारतीय जनता पार्टी में यह परम्परा क्यों शुरु हो गई यह कहना कठिन है क्योंकि पार्टी इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज भी कर सकती है लेकिन देखने वाली बात तो यही है कि इस तरह की हरकत सिर्फ उसी समूह के लोग ही कर रहे हैं और बेशर्मी से कर रहे हैं। तब सवाल यही उठता है कि यह हरकत क्या नीच किस्म का नहीं है? आप मेरी बातों से सहमत या असहमत हो सकते हैं। लेकिन परिवारवाद के विरोध के नाम पर जिस तरह से मर्यादा लांघी जा रही है उस पर रोक नहीं लगाई गई तो इस देश को रसातल में जाने से कोई बचा भी ले तो लोगों का जीवन नारकीय होना तय है।

सत्ता तो आती जाती रहती है लेकिन देश तभी बचेगा जब उसकी संस्कृति और परम्परा बची रहेगी वर्ना भूगोल को देश कहकर खुश तो हुआ जा सकता है लेकिन नफरत के बीच लोगों में खुशहाली नहीं ला पायेगा। इसलिए इस तरह की हरकत न केवल निंदनीय है बल्कि असुरों जैसी है जो हिन्दू धर्म के विपरीत है।