सोमवार, 12 जुलाई 2010

शाबास आईजी साहब! आते ही शुरु हो गए

कभी वरिष्ठ पुलिस कप्तान के रुप में जोगी शासनकाल में नाम कमा चुके आईपीएस मुकेश गुप्ता के आईजी बनकर राजधानी पहुंचते ही कई लोगों को सांप सुंघ गया है। शिवसैनिक से लेकर भाजपाईयों को किनारे लगा चुके आईजी साहब का अपना जलवा है। तब भाजपाई आईजी साहब पर हाथ धोकर पीछे पड़े थे और न जाने क्या क्या आरोप लगाए थे। लेकिन सत्ता क्या बदली गुप्ता साहब भी बदल गए जो भाजपाई उन्हें पानी पी-पी कर गाली देते नहीं थकते थे उस राय में भी मुकेश गुप्ता जी इसलिए महत्वपूर्ण बने रहे क्योंकि उन्हें काम करना बखूबी आता है।
यही वजह है कि अनिल जग्गी के फार्म हाउस में शहर के रईसजादों को जुआं खेलते पकड़ा गया बल्कि उनकी मोबाइल व कारें तक जब्त कर दी गई। जुआं खेलना सामाजिक अपराध है और इसे पुलिस हर हाल में रोक लेना चाहती है इसलिए जुआरियों को सबक सिखाने उनके मोबाइल और कारें तक जब्त कर ली गई। हालांकि कानूनन मोबाइल व कारें जब्त नहीं की जा सकती लेकिन जब पुलिस अपनी हो और सरकार में जबरदस्त सेटिंग हो तो कानून तो तोड़ी ही जा सकती है और फिर जुआरियों में इतनी हिम्मत कहां कि उनके खिलाफ हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ वे लड़ सके।
अब बाहर हल्ला करते रहो कि पुलिस वाले अति कर रहे हैं तुम्हारी कौन सुनेगा आखिर जुआं खेलते पकड़ाए हो। अब तुम पर कितना भी अत्याचार हो कोई विश्वास नहीं करेगा। इसी बात का तो फायदा उठाती है पुलिस। हमारे गृहमंत्री ननकीराम कंवर जी तो वैसे भी सीधे हैं। उन्हें इससे क्या देना कि पुलिस वाले अति कर रहे हैं या नहीं। यदि उन्हें यादा गुस्सा आया तो कह देंगे एसपी निकम्मा है और कलेक्टर दलाल है। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह भी अपने में मगन हैं उन्हें तो फुर्सत ही नहीं है खनिज, उर्जा जैसे भरपूर पैसे वाला विभाग उनके पास है फिर सरकार की तारीफ कैसे हो जनसंपर्क के अफसरों का भी तो ब्रीफ सुनना है। ऐसे में वे भला गृहमंत्री के दर्द से कहां वाकिफ हो पाएंगे। और रहा सवाल आईजी साहब व अन्य पुलिस वालों का। वे तो मान बैठे हैं कि जनता में उनकी छवि खराब है और उनकी ऐसी गलत कार्रवाईयों से बुराई करने वाले दो चार और बढ ज़ाएंगे तो क्या फर्क पड़ेगा।
लेकिन पुलिस वाले इस बात का ध्यान रखें कि अति का अंत जरूर होता है। जुआरियों को सबक सिखाओं। अपराधियों को पकड़ो। सत्ताधीशों से भी मधुर संबंध बनाकर बस्तर जाने से बचो लेकिन जनता से पंगा न लो क्योंकि उसकी हाथ अच्छे खासे लोगों को भी कहां ले जाती है यह प्रदेश में भी उदाहरण स्वरुप मौजूद है।