शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

राजनेताओं के खेल प्रेम पर राहुल का प्रहार...


खेलों की दुर्दशा को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। खेल संघो पर राजनेताओं की बढ़ती दखलदांजी से लोग नाराज भी है लेकिन ठुकुरसुहाती के फेर में खिलाड़ी भी इसका खुलकर विरोध नहीं कर पाते।
वैसे तो राजनीति ने हर क्षेत्र को दुर्दशा तक पहुंचा दिया है। राजनेताओं के लोभ ने खेलों को भी नहीं छोड़ा। छत्तीसगढ़ में भी प्रत्येक खेल संघो पर नेताओं का कब्जा है। हम यहां यह नहीं कह रहे हैं कि सभी राजनीतिज्ञ एक ही रास्ते से चलने वाले है। यहां भी कई खेल संघ ऐसे है और कई नेता ऐसे है जो पूरी ईमानदारी से खेलों को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन बहुत से नेता अपनी राजनैतिक फायदे के लिए खेल संघों का दुरूपयोग कर रहे हैं। खेलों के गिरते स्तर को लेकर हमेशा से ही चिंता की जाती है और राजनीति के बढ़ते हस्ताक्षेप पर विवाद होता रहा है।
राज्य बनने के बाद ओलंपिक और क्रिकेट एसोसिएसन का विवाद किसी से छिपा नहीं है। जिसकी सत्ता उसका खेल संघो पर कब्जा नया नहीं है। कभी छत्तीसगढ़ के प्राय: सभी खेल संघो पर कांग्रेसियों का कब्जा था और अब एक दो खेल संघों को छोड़ सभी पर भाजपाई बैठे हुए हैं।
खेलों को बढ़ावा देने के नाम पर अपनी राजनैतिक दुकान चलाने के अलावा आयोजनों में भ्रष्टाचार और खिलाडिय़ों के चयन में पक्षपात की खबरें लगातार आते रही है। अब तो मामला दैहिक शोषण तक जा पहुंच हैंं।
खेलों में राजनीति और राजनेताओं के हस्तक्षेप टोकने की मागं हर व्यक्ति की है लेकिन इसकी परवाह कभी किसी राजनैतिक दलों को नहीं रही। सावर्जनिक रूप से खेलों में राजनीति का विरोध करने वाले लोग भी मौका पाते ही खेल संघो में बैठने से गुरेज नहीं करते। ऐसे में राहुल गांधी का खेल से राजनेताओं को दूर रखने की सोच को एक  अच्छी खबर के रूप में देखा जा रहा है। यह पहली बार हुआ है जब खेल को लेकर किसी पार्टी के बड़े नेता ने ऐसी बात कही ंहै।
अपनी तरह की अलग सोच रखकर नई ईबादत की कोशिश में जुटे राहुल की यह सोच यदि उनकी पार्टी भी फरमान जारी कर पूरी करे तभी इसका मतलब है अन्यथा यह राजनैतिक ढकोसला ही माना जायेगा।
युवाओं को अधिकाधिक अधिकार देकर देश की दिशा बदलने की सोच को लेकर आगे बढ़ रहे राहुल गांधी के इस सोच पर कांग्रेस ही खरा उतर जाने तो खेल का भविष्य अलग होगा।
छत्तीसगढ़ में खेल संघो पर जिस तरह से राजनेताओं की माफियागिरी ने कब्जा कर रखा है वह किसी से छिपा नहीं है। नेताओं के अलावा जमीन, शराब और खनिज माफिया तक खेल संघो पर जमें हुए हैं। कई संघो पर तो आपराधिक रिकार्ड वाले भी बैठे हैं ऐसे में खिलाडिय़ों को भी ठुकुरसुहाती छोड़ अपने खेलों की प्रगति के लिए खुलकर आना होगा।
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