मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

कांग्रेस के चर्चित दलाल

 शंकर नगर के इस दलाल का संबंध राजा महाराजाओं के अलावा भाजपा के नगर मंत्री से है। कांग्रेस की बुराई में माहिर इस दलाल को बड़े नेता भी अपने बगल में बिठाते हैं ताकि काम चलता रहे।
ऐसे ही कई दलालों की चर्चा कांग्रेस में आम रुप से सुनी जा सकती है। टिकरापारा क्षेत्र के एक दलाल की सांसद व नगर मंत्री से सेटिंग की बात हो या ब्राम्हणपारा के कुछ कांग्रेसियों की नगर मंत्री से सेटिंग की बात आम है। समता कालोनी के पास के वीसी के करीबी रहे अब जोगी के करीबी एक नेता की भी भूमिका सभापति चुनाव में दलाली की रही है। जबकि सुंदरनगर के शराब खोर पदाधिकारी का तो नाम ही दलाल रख दिया गया है। जबकि इसके खास फाफाडीह वाले को तो दलाल का दलाल कहा जाता है।
राजधानी के बाहर के भी कई नेताओं को दलाल के नाम से संबोधित किया जाता है। जबकि कई विधायक की भाजपाईयों से सेटिंग की चर्चा आम है। ऐसे में कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष वीसी-जोगी जैसा दमदार नहीं होगा तो स्थिति विकराल हो सकती है।

पार्टी में दलाल, कांग्रेस हुई हलाल

भाजपा नेताओं से संबंध, गुटबाजी

चरम पर, पैसा कमाना उद्देश्य
 कमजोर नेतृत्व गुटबाजी और पार्टी में दलालों की सक्रियता ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बदतर स्थिति में ला खड़ा किया है। हालत यह है कि कांग्रेस के नेताओं को भाजपा नेताओं के हार में दो-पांच हजार के चक्कर में लाईन लगाते देखा जा सकता है। अनुशासन का डर खत्म हो चुका है और संगठन में भाजपा की दलाली करने वालों का बोलबाला है?
छत्तीसगढ़ में इन दिनों नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कवायद चल रही है। प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, किस गुट का होगा इसे लेकर सवाल चर्चा में है। छत्तीसगढ़ में मुख्यत: विद्याचरण शुक्ल, अजीत जोगी और मोतीलाल वोरा जैसे लोग गुटबाजी को हवा देने में लगे है। जिसकी वजह से आम कार्यकर्ताओं में आक्रोश है और वे चौक चौराहों में इन नेताओं की बुराई करते देखे जा सकते हैं।
वास्तव में देखा जाए तो कार्यकर्ताओं की फौज और जमीनी ताकत सिर्फ विद्याचरण और अजीत जोगी के पास है जबकि मोतीलाल वोरा के साथ जुडऩे की वजह उनका हाईकमान के साथ सिर्फ संबंध होना है? और पार्टी का छत्तीसगढ़ में बदतर स्थिति के लिए इस गुट का ही सबसे बड़ा हाथ है। हाईकमान से संबंधों के चलते जानबूझकर ऐसे लोगों को प्रदेश का नेतृत्व दिया गया जिनकी औकात अपने विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र तक ही रही और इन अध्यक्षों ने अपनी कुर्सी बचाने भाजपा के साथ मिलकर दलाली ज्यादा की है।
दूसरी ओर अजीत जोगी और विद्याचरण शुक्ल के साथ भी ऐसे लोग जुड़ते चले गए हैं जिनका काम सिर्फ व्यापार करना है ऐसे लोगों ने अपने नेताओं को भाजपा के खिलाफ यह कहकर नहीं खड़ा होने दिया कि इससे वोरा गुट मजबूत होगा? लगातार सत्ता से दूर रहने की वजह से कांग्रेस में बेचैनी तो है लेकिन सत्ता से मिल रहे फायदे ने इन्हें संघर्ष करने से रोका। सर्वाधिक बुरी स्थिति राजधानी व आदिवासी क्षेत्रों की है। सरकार की मनमानी के खिलाफ उतना ही बोला गया जितने में पैसा मिल सके? इस स्थिति के चलते आम कार्यकर्ताओं में भी यह चर्चा होने लगी है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने भाजपा से सेटिंग कर ली है जबकि विधायकों व संगठन के पदाधिकारियों पर बिक जाने का आरोप लगाया जा रहा है।
टिकिट वितरण से लेकर पद देने में जिस तरह से खरीदी बिक्री के आरोप लग रहे हैं उसकी वजह से भी कांग्रेस की स्थिति बदतर होते जा रही है। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जिस तरह से बड़े नेताओं में रूचि और आम कार्यकर्ताओं में बेरुखी देखी जा रही है इससे भी कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। दरअसल जोगी वर्सेस ऑल की राजनीति ने कांग्रेस को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है और भाजपा की दलाली में भी जोगी विरोधी गुट के लोग ही अधिक नजर आते हैं। इस स्थिति में यदि प्रदेश अध्यक्ष किसी दमदार नेता को नहीं बनाया गया तो एक बार फिर कांग्रेस हाशिये में चली जाएगी। वैसे कांग्रेस के हित में विद्याचरण शुक्ल या अजीत जोगी को ही प्रदेशाध्यक्ष बना दिए जाने की मांग निष्ठावान कांग्रेसी कर रहे है लेकिन वोरा गुट कभी नहीं चाहेगा कि उसके लोगों की दलाली बंद हो और प्रदेश से उसकी जमीन खिसके।
बहरहाल कांग्रेस में सक्रिय दलालों ने कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा है हालत यह है कि इन दलालों को लेकर आम लोगों में चर्चा है लेकिन बड़े नेताओं को भी ये दलाल ज्यादा पसंद आते हैं?

प्रदेश कांग्रेस प्रभारी नारायण सामी को कालिख पोता









प्रदेश कांग्रेस के डेलिगेट्स की बैठक लेने आये  प्रभारी नारायण सामी को चार लड़कों ने कालिख पोत दी